राहुल गांधी के दौरे में हुई उपेक्षा से सचिन पायलट के समर्थकों में गुस्सा। चाकसू की किसान महापंचायत में मौजूद रहे 15 से भी ज्यादा पायलट समर्थक विधायक। अब पार्टी में रह कर सम्मान की लड़ाई लड़ेंगे। जयपुर से चाकूस के बीच पायलट के साथ 700 वाहनों का काफिला। सीधे सीएम गहलोत को चुनौती।

गत 12 व 13 फरवरी को कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी के राजस्थान दौरे में जिस तरह पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की उपेक्षा हुई उसका गुस्सा पायलट समर्थकों ने 19 फरवरी को जयपुर के निकट चाकूस में हुई किसान पंचायत में देखने को मिला। समर्थकों ने यह दिखाने की कोशिश की कि आज भी सचिन पायलट कांग्रेस में मजबूत और लोकप्रिय नेता है। किसान महापंचायत में भीड़ तो जबर्दस्त थी ही साथ ही पायलट जब अपने जयपुर स्थित आवास से चाकसू के लिए रवाना हुए तो उनके साथ करीब 700 वाहन थे। इतनी बड़ी संख्या में वाहन होने की वजह से कई बार मार्ग जाम हो गया। इसलिए पायलट चाकसू की पंचायत में करीब एक घंटे देरी से पहुंचे। मंच पर पायलट को देखते ही समर्थकों ने पायलट जिंदा बाद के नारे लगाए। पायलट की महापंचायत में सीएम गहलोत के जिंदाबाद के नारे लगाने वाला कोई नहीं था। मंच पर 15 से भी ज्यादा कांग्रेस के विधायक मौजूद रहे। इनमें विश्वेन्द्र सिंह हेमा राम चौधरी, विजेन्द्र ओला, मुकेश भाकर, राम निवास गवाडिय़ा, जीआर खटाणा, रमेश मीणा, इंद्राज सिंह, सुरेश मोदी, राकेश पारीक, विरेन्द्र चौधरी, मुरारी मीणा, पीआर मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी, हरीश मीणा आदि उपस्थित थे। विधायकों और कांग्रेस के नेताओं के भाषणों से साफ जाहिर था कि राहुल गांधी के दौरे में सचिन पायलट की जिस तरह उपेक्षा की गई, उससे भारी गुस्सा है। विधायकों और नेताओं का कहना रहा कि यदि कोई व्यक्ति यह समझता हो कि मंच पर सचिन पायलट को नहीं बोलने देने से पायलट का कद छोटा हो जाएगा, तो यह उस नेता की गलतफहमी है। प्रदेश में कांग्रेस को दोबारा से सत्ता में लाने का श्रेय सचिन पायलट को ही है। यदि भाजपा राज में पायलट पांच वर्षों तक कार्यकर्ताओं के साथ संघर्ष नहीं करते तो आज राजस्थान में कांग्रेस की सरकार नहीं बनती। गुस्साए नेताओं का कहना रहा कि आज भी पायलट के समर्थन से ही राजस्थान में कांग्रेस की सरकार चल रही है। विधायकों और नेताओं ने पायलट को भरोसा दिलाया कि उनके सम्मान के लिए वे हमेशा साथ हैं। हालांकि इस महापंचायत में सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस संगठन पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन अपने समर्थकों को विश्वास दिलाया कि वे हमेशा उनके साथ खड़े हैं और सरकार व संगठन में कार्यकर्ता को सम्मान मिलना ही चाहिए। पायलट का भाषण तीन कृषि कानूनों पर केंद्रित रहा। पायलट ने इन कानूनों को किसान विरोधी मानते हुए केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि कानून को वापस लिया जाए। भले ही पायलट ने अपना भाषण कृषि कानूनों तक सीमित रखा, लेकिन चाकसू की महापंचायत का माहौल बता रहा था कि राहुल गांधी के दौरे में हुई उपेक्षा से पायलट समर्थकों में गुस्सा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी के दौरे में कई स्थानों पर पायलट को बोलने नहीं दिया तथा रूपनगढ़ की रैली में पायलट को मंच से नीचे उतार दिया गया। राहुल के दौरे ने सीएम गहलोत पूरी तरह छाए रहे।

दिल्ली वाले विधायकों का अभी समर्थन:

गत वर्ष जुलाई-अगस्त में सचिन पायलट के साथ कांग्रेस के जो 18 विधायक दिल्ली गए थे, उनमें से अधिकांश विधायकों का समर्थन अभी भी पायलट के साथ बना हुआ है। 19 फरवरी को चाकसू की महापंचायत में इन्हीं 18 में से अधिकांश विधायक मौजूद रहे। इससे प्रतीत होता है कि पायलट ने अपने समर्थक विधायकों पर पकड़ मजबूत कर रखी है। दिल्ली जाने के कारण ही पायलट विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि बाद में राहुल गांधी से मुलाकात करने के बाद पायलट और 18 विधायक जयपुर लौट आए थे, लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से अभी भी पायलट और उनके विधायकों पर भरोसा नहीं किया जा रहा है। 19 फरवरी को चाकसू में पायलट ने अपना राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन कर दिया है।

S.P.MITTAL BLOGGER (19-02-2021)

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