गुजरात के सभी 6 नगर निगमों में भाजपा की जीत। कांग्रेस बेहद कमजोर स्थिति में। कई जगह केजरीवाल की पार्टी से भी पीछे। पंजाब के निकाय चुनावों में कांग्रेस की जीत को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हार बताया था। भूपेन्द्र यादव है गुजरात के प्रभारी महासचिव। अगले वर्ष होने हैं विधानसभा के चुनाव।

23 फरवरी को घोषित गुजरात के छह नगर निगम के चुनावों में भाजपा को भारी जीत मिली है। भाजपा सभी छह निगमों में अपना बोर्ड बनाएगी। छह निगमों के 576 वार्डों में से 325 से भी ज्यादा पर वार्डों में भाजपा की बढ़त है। गुजरात में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं ऐसे में छह निगमों के चुनाव परिणाम भाजपा के लिए राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। खास बात ये है कि ये सभी निगम गुजरात के महानगर माने जाने वाले शहरों के हैं। अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, जामनगर, और भावनगर जैसे महानगरों में भाजपा को एक तरफा जीत हासिल हुई है। इससे गुजरात की जनता के रुख का भी पता चलता है। भाजपा के लिए निगमों के चुनाव परिणाम इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि गुजरात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गृह जिला है। मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बनने से पहले गत 12 वर्षों तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। यदि निगम चुनाव में भाजपा की हार होती तो इसे सीधे प्रधानमंत्री की हार माना जाता। हाल ही में 17 फरवरी को जब पंजाब के 8 नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस को 7 निगमों में जीत हासिल हुई तो कांग्रेस और विपक्ष की ओर से कहा गया कि यह नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली की हार है। पंजाब में कांग्रेस की जीत को तीन कृषि कानूनों के विरोध से भी जोड़ दिया गया। कहा गया कि पंजाब की जनता ने कृषि कानून के विरोध में अपना मत दिया है। चूंकि भाजपा को पंजाब के एक भी नगर निगम में सफलता नहीं मिली इसलिए भाजपा के नेताओं को बचाव की मुद्रा में रहना पड़ा। यहां यह उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों को लेकर ही अकाली दल ने भाजपा का साथ छोड़ दिया था, लेकिन निगम चुनाव में अकाली दल को भी सफलता नहीं मिली। निगम का चुनाव भाजपा और अकाली दल ने अलग अलग होकर लड़ा, इसका फायदा भी कांग्रेस को हुआ। पंजाब में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में ही कांग्रेस की सरकार चल रही है। दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब के किसानों को बैठाए रखने में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन अब जिस तरह गुजरात के छह निगमों के चुनाव परिणाम सामने आए हैं उससे प्रतीत होता है कि गुजरात में अभी भी नरेन्द्र मोदी का प्रभाव है। इसमें कोई दो राय नहीं कि गुजरात में लम्बे अर्सें से भाजपा की सरकार चल रही है। और स्थानीय निकायों के चुनावों में प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। माना जाता है कि प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार उसी पार्टी के बोर्ड शहरी निकायों में बनते हैं। गुजरात के चुनाव परिणाम बताते हैं कि सभी स्थानों पर कांग्रेस के उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से भी पीछे रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएमआई पार्टी के उम्मीदवार अहमदाबाद के पांच वार्डों में विजय हुए हैं। कई वार्डों में कांग्रेस के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है।

भूपेन्द्र यादव हैं प्रभारी महासचिव:

राजस्थान से राज्यसभा के सांसद भूपेन्द्र यादव गुजरात के प्रभारी महासचिव हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी यादव ने गुजरात में अभी से शुरू कर दी है। विधानसभा चुनाव की तैयारियों का लाभ भी भाजपा को नगर निगम के चुनाव में हुआ है। यादव ने प्रदेश भर में जो रणनीति बनाई, उसी का परिणाम रहा कि कई शहरों में कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर हुई है। यादव बिहार के भी प्रभारी महासचिव हैं। बिहार के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जेडीयू के गठबंधन को जीत दिलवाने में भी यादव की रणनीति रही। चूंकि गुजरात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह प्रदेश है, इसलिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने भूपेन्द्र यादव के ज़िम्मेदारी दी है। छह निगमों के चुनाव को गुजरात में विधानसभा का मिनी चुनाव भी माना जा रहा था। इसमें कोई दोराय नहीं कि यादव की चुनावी रणनीति का फायदा गुजरात में भाजपा को मिला है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-02-2021)

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