विवाह कर लेने से क्या किसी शिष्य को मंदिर में सेवा करने से रोका जा सकता है? अजमेर में प्रेम प्रकाश आश्रम के सेवा कार्य और करोड़ों की संपत्तियों को लेकर विवाद। जीवन भर संन्यासी रहने का मैंने कभी भी संकल्प नहीं लिया-सांई ओम प्रकाश।
अजमेर में सिंधी समुदाय के अराध्य स्वामी बसंत राम जी द्वारा स्थापित प्रेम प्रकाश आश्रम के मंदिर में सेवा कार्य और करोड़ों की सम्पत्ति को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। इसी संस्था का एक आश्रम गुजरात के सूरत शहर में भी है। देशभर के प्रेम प्रकाश आश्रमों में संन्यास व्यवस्था एक समान ही है और बह्मचार्य का पालन करने वाला व्यक्ति ही आश्रम के प्रमुख की गद्दी पर बैठता है। सिंधी इतिहास की जानकारी रखने वाले अजमेर के इंजीनियर भाऊ हरिचंदनानी ने बताया कि स्वामी टेऊराम के शिष्य स्वामी बसंत राम जी ने पाकिस्तान सिंध से आकर अजमेर में देहली गेट पर प्रेम प्रकाश आश्रम और मंदिर की स्थापना की। स्वामी बसंत राम जी ने जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन किया। अपने जीवनकाल में ही उन्होंने स्वामी ब्रह्मानंद शास्त्री को गोद ले लिया। ब्रह्मानंद जी बचपन से ही स्वामी बसंत राम के पास रहे। आश्रम परंपरा का निर्वाह करते हुए ब्रह्मानंद जी ने भी ब्रह्मचर्य का पालन किया और स्वयं को संन्यासी माना। इसी परंपरा के अंतर्गत स्वामी ब्रह्मानंद जी ने ओम प्रकाश को गोद लिया। स्वामी ब्रह्मानंद डेढ़ वर्ष की उम्र से ही ओम प्रकाश को पाल रहे हैं। स्वामी ब्रह्मानंद ने ओम प्रकाश को ही अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। तभी से ओम प्रकाश प्रेम प्रकाश आश्रम के मंदिरों में पूजा पाठ करता रहा। भक्तों ने भी ओम प्रकाश को स्वामी माना और चरण स्पर्श किए। महिलाओं ने भी ओम प्रकाश को अपना गुरु माना। अजमेर में होने वाले संत सम्मेलनों में ओम प्रकाश ने ही स्वामी ब्रह्मानंद की ओर से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। यह सब वर्ष 2019 तक चलता रहा। तब किसी को भी ओम प्रकाश के सेवा कार्य पर ऐतराज नहीं था, लेकिन 2019 में ही एक दिन ओम प्रकाश आश्रम से गायब हो गया। कुछ दिनों बाद पता चला कि आश्रम में आने वाली एक युवती से ओम प्रकश ने विवाह कर लिया। विवाह के बाद कोरोना की वजह से वर्ष 2020 में लॉकडाउन में प्रेम प्रकाश आश्रम की धार्मिक गतिविधियां भी बंद हो गई। अब जब अजमेर के चौरसियावास रोड स्थित प्रेम प्रकाश आश्रम में धार्मिक गतिविधियां शुरू हुई हैं तो ओम प्रकाश के सेवा कार्य और आश्रम की संपत्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ओम प्रकाश चाहते हैं कि वे पहले की तरह आश्रम में रहे और उनकी पत्नी गोरांगी भी मंदिर में सेवा कार्य करें। जबकि 77 वर्षीय स्वामी ब्रह्मानंद शास्त्री का कहना है कि अब ओम प्रकाश का आश्रम से कोई संबंध नहीं है। उसे बसंत राम सेवा ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है। ओम प्रकाश की उपस्थिति में मंदिर की मर्यादा का भी उल्लंघन हो रहा है। अब यदि ओम प्रकाश के साथ कोई घटना घटित होती है तो ट्रस्ट का कोई पदाधिकारी जिम्मेदार नहीं होगा। स्वामी ब्रह्मानंद शास्त्री के इस कथन का ओम प्रकाश ने कड़ा ऐतराज किया है। ओम प्रकाश का कहना है कि सिर्फ विवाह कर लेने से उन्हें मंदिर में सेवा कार्य करने से वंचित नहीं किया जा सकता है। आज भी वे स्वामी ब्रह्मानंद को अपना गुरु मानते हैं। ओम प्रकाश ने स्पष्ट कहा कि स्वामी जी का शिष्य रहते हुए उन्होंने कभी भी संन्यास धारण करने का संकल्प नहीं लिया। ओम प्रकाश ने इस बात पर अफसोस जताया कि गत दिनों जब मेरी पत्नी गोरांगी मंदिर में सेवा कार्य कर रही थी, तब लक्ष्मण भक्तानी, रेणु जेठानी, मोहन शिवनानी, पदमा शिवनानी, दीपक निहलानी, दीपा लालवानी, वर्षा मोहनानी, किशोर रायसिंघानी आदि ने दुर्व्यवहार किया। मेरा आज भी मानना है कि स्वामी ब्रह्मानंद जी की मेरी प्रति कोई र्दुभावना नहीं है। कुछ लोग अपने स्वार्थ के खातिर स्वामी को गुमराह कर रहे हैं। मेरी प्रेम प्रकाश आश्रम के प्रति पहले की तरह आस्था है। चौरसियावास रोड स्थित जिस भूमि पर प्रेम प्रकाश आश्रम बना हुआ है उसमें 350 वर्गगज के भूखंड पर मेरा मालिकाना हक है। लेकिन मैंने कभी अपना हक नहीं जताया है। आश्रम के निर्माण के समय मैंने अपने भूखड का सिर्फ समर्पण किया था। इस सच्चाई को स्वामी जी भी जानते हैं।
देहली गेट के आश्रम का कुछ भाग बेचा गया है:
हालांकि चौरियावास रोड पर स्वामी बसंत राम द्वारा स्थापित देहली गेट के आश्रम के कुछ हिस्से का बेचान किया गया है। इस बेचान में ओम प्रकाश की भी सहमति रही थी।
S.P.MITTAL BLOGGER (23-02-2021)
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