हरियाणा राजस्थान की सीमा पर भी किसानों ने नेशनल हाइवे जाम कर रखा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रतिदिन दिल्ली जाने वाले हजारों राजस्थानियों की पीड़ा को भी समझें। सीएम गहलोत एक बार स्वयं भी सड़क मार्ग से दिल्ली जाएं।
मेरे एक रिश्तेदार एसके गुप्ता की पत्नी श्रीमती आशा गुप्ता का विगत दिनों अचानक निधन हो गया। हिन्दू परंपरा के मुताबिक निधन के तीसरे दिन परिवार के सदस्य जयपुर से सड़क मार्ग अस्थियां लेकर हरिद्वार के लिए रवाना हुए, लेकिन राजस्थान हरियाणा सीमा के शाहजहांपुर में किसानों ने नेशनल हाइवे जाम कर रखा था, इसलिए कार ट्रक ट्रेलर आदि वाहनों को कच्चे रास्ते से होकर गुजरना पड़ रहा था। इससे हर वाहन को पुन: हाइवे पर आने के लिए चार से पांच घंटे लग रहे थे। ऐसे में परिजनों ने हरिद्वार जाने का इरादा त्याग दिया और अजमेर के पुष्कर सरोवर में अस्थियां विसर्जित की। गुप्ता परिवार की तरह ऐसे अनेक लोग होंगे जो जाम की वजह से हरिद्वार में अस्थियां विसर्जित नहीं कर सके। 10 मार्च को मुझे भी कार द्वारा दिल्ली जाना पड़ा। मेरी कार भी दो घंटे शाहजहांपुर के जाम में फंसी रही। हमारी कार को भी कई किलोमीटर तक कच्चे उबड़ खाबड़ रास्ते से गुजरना पड़ा। मैंने स्वयं अपनी अंाखों से देखा कि लोगों को कितनी परेशानी हो रही थी। कारों और अन्य वाहनों में बैठे बच्चे और महिलाएं व्याकुल नजर आ रहे थे। राजस्थान से हजारों वाहन इसी मार्ग से रोजाना दिल्ली पहुंचते हैं। मुझे बताया गया कि आज तो सिर्फ दो घंटे का ही जाम है। आमतौर पर पांच से छह घंटे का जाम होता है। यह माना कि किसानों ने नेशनल हाइवे जाम को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी समर्थन है, लेकिन गहलोत को जाम से होने वाली हजारों लोगों की परेशानी को भी समझना चाहिए। गहलोत को लगता है कि अपने प्रदेश की सीमा में किसानों को हाइवें जाम पर बैठाकर वे केन्द्र सरकार पर दबाव डाल रहे हैं, लेकिन यदि जाम में फंसे लोगों की प्रतिक्रिया सुने तो गहलोत को हकीकत समझ में आ जाएगी। चूंकि गहलोत स्वयं जाम का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए जाम में फंसे हजारों वाहनों के यातायात को संभालने वाला कोई नहीं है। आमने सामने से वाहनों के आने से जाम और तगड़ा हो जाता है। कई छोटे वाहन तो कीचड़ आदि में फंस जाते हैं। लोगों की परेशानी का अहसास सीएम गहलोत को तभी होगा, जब वे स्वयं सड़क मार्ग से जयुपर से दिल्ली जाएं। मेरा सीएम गहलोत से विनम्र आग्रह है कि इस बार जब उन्हें कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को सलाह देने के लिए दिल्ली जाना हो तो वे सरकारी विमान से जाने के बाजए सरकारी कार से दिल्ली जाएं। राजस्थान सरकार भले ही हाइवे पर किसानों को शौचालय, पेयजल आदि की प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध करवाए, लेकिन एक बार उन लोगों की पीड़ा का भी अहसास करें जो सड़क मार्ग से जाते हैं। गहलोत किसी भी समय जा सकते हैं, क्योंकि जाम की स्थिति चौबीस घंटे रहती है। जब मैं किसानों के जाम के पास से गुजर रहा था, तब मुझे बताया गया कि अब शाहजहांपुर सीमा पर किसानों की कोई सभा भी नहीं होती है। अधिकांश तम्बू डेरे खाली हो गए हैं। वामपंथी विचार धारा के किसान भी बहुत कम संख्या में मौजूद है, लेकिन तम्बू और डेरों की मौजूदगी बनाए रखी गई है। यानि किसानों के नहीं होने के बाद भी नेशनल हाईवे जाम पड़ा है। सवाल उठता है कि खाली पड़े तम्बुओं को कौन हटाए? ऐसे तम्बुओं को तो सरकार का खुद का समर्थन है। इससे यदि रोजाना हजारों लोगों को परेशानी हो रही है तो सरकार का कोई सरोकार नहीं है। सरकार के ऐसे रवैये के कारण महंगा डीजल पेट्रोल भी व्यर्थ जल रहा है। यहां पर खासतौर से उल्लेखनीय है कि जयपुर दिल्ली नेशनल हाइवे 8 देश के प्रमुख व्यस्ततम मार्गों से एक है, इसलिए इसे सिक्स लेन का एक्सप्रेस हाइवे बनाया गया है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी सिक्स लेन एक्सप्रेस हाइवे के दो-तीन माह से जाम होने से लोगों को कितनी परेशानी होगी। मुझे मीडिया पर तरस आता है जो इतनी बड़ी समस्या पर आंखें बंद कर बैठा है। मीडिया को कम से कम खाली तम्बुओं की तो हकीकत बतानी चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (11-03-2021)
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