तो क्या राहुल गांधी की भावनाओं के विपरीत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान भर में सरकारी स्तर पर दांडी मार्च के आयोजन करवाए? दांडी मार्च पर राहुल गांधी के ट्वीट से तो ऐसा ही प्रतीत होता है। दांडी मार्च के 91 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित किसी भी समारोह में गांधी-वाड्रा परिवार के सदस्यों ने भाग नहीं लिया।
देश की आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी के दांडी मार्च का महत्वपूर्ण योगदान है, इसलिए दांडी मार्च के 91 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साबरमती आश्रम पहुंच कर प्रतीकात्मक दांडी मार्च को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर मोदी ने महात्मा गांधी को पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया। दांडी मार्च से जुड़े नमक सत्याग्रह को भी समझाया गया। 91 वर्ष का दांडी मार्च इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा कि अगले वर्ष देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यही वजह है कि दांडी मार्च के आयोजन देशभर में अगले एक वर्ष तक होंगे, लेकिन महात्मा गांधी से जुड़े दांडी मार्च के किसी भी कार्यक्रम में 12 मार्च को गांधी परिवार के किसी भी सदस्य ने उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई। गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस की ओर से भी राष्ट्रीय स्तर पर कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं हुआ। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, उनकी पुत्री और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तथा पुत्र राहुल गांधी 12 मार्च को कहीं भी नजर नहीं आए। महात्मा गांधी का नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही लेते रहे। लेकिन शाम होते होते राहुल गांधी का ट्वीट सामने आ गया। राहुल गांधी के ट्वीट से प्रतीत होता है कि दांडी मार्च के 91 वर्ष पूरे होने पर आयोजित दांडीमार्च के कार्यक्रमों से वे खुश नहीं है। गांधी सरनेम का फायदा उठाने वाले राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के दांडी मार्च के आयोजनों को किसान आंदोलन से जोड़ दिया। सब जानते हैं कि किसान आंदोलन अपनी जगह है और गांधी जी का दांडी मार्च का अलग महत्व है। यदि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के दांडी मार्च पर ऐतराज है तो फिर राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दांडी मार्च पर भी सवाल उठते हैं। नरेन्द्र मोदी ने तो अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में सिर्फ प्रतीकात्मक मार्च को हरी झंडी दिखाई, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में बजाज नगर खादी सेंटर से गांधी सर्किल तक पद यात्रा की। सीएम के साथ अनेक मंत्री और सरकार के मुख्य सचिव निरंजन आर्य भी मौजूद थे। इतना ही नहीं सरकारी स्तर पर जिला मुख्यालयों पर भी दांडी मार्च का आयोजन किए जा रहे हैं। यानि सीएम गहलोत ने महात्मा गांधी के दांडी मार्च का राजनीतिक फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जबकि राहुल गांधी ने दांडी मार्च पर कोई कार्यक्रम नहीं रखा। उल्टे आयोजनों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने राहुल गांधी की भावनाओं के विपरीत दांडी मार्च के आयोजन किए? राहुल गांधी की सोच चाहे कुछ भी रही हो, लेकिन अशोक गहलोत ने महात्मा गांधी की लोकप्रियता को कांग्रेस और उनकी सरकार से जोडऩे की कोशिश की है। चूंकि प्रदेश में कांग्रेस संगठन विभाजित हो रखा है, इसलिए दांडी मार्च के आयोजन सरकारी स्तर पर करवाए गए।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-03-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9602016852
To Contact- 9829071511