तो फिर अजमेर के आनासागर के भराव क्षेत्र की जमीनों पर स्टे क्यों देता है हाई कोर्ट ? स्मार्ट सिटी योजना के तहत पक्के निर्माण भी आना सागर के भराव क्षेत्र में हो रहे हैं।

राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर स्थित खंडपीठ के न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास ने फलोदी तहसील के सावरीज गांव के जलभराव क्षेत्र में आवंटित की गई भूमि का आवंटन रद्द करने के लिए आदेश दिए हैं। दोनों न्यायाधीशों ने कहा है कि राजस्थान पत्रिका के संपादक गुलाब कोठारी की जनहित याचिका में स्पष्ट आदेश दे रखे हैं कि जल स्त्रोतों के भराव क्षेत्र में ना आवंटन होगा और ना ही कोई निर्माण। मौजूदा निर्माणों को हटाने के लिए आदेश दे रखे हैं। न्यायधीश लोढ़ा और व्यास का यह ताजा आदेश सराहनीय है, क्योंकि जल स्रोतों के भराव क्षेत्र में अतिक्रमण से मुक्त होने चाहिए। राजस्थान में पहले ही बरसात के पानी की कमी है और नदी नालों तालाबों आदि की भूमि पर अतिक्रमण हो जाने से हालात बहुत खराब है। सब जानते हैं कि ऐसे अतिक्रमण सरकार अमले से मिलीभगत कर होते हैं। अच्छा हो कि राजस्थान हाई कोर्ट के कर्तव्यनिष्ठ न्यायाधीश अजमेर के आनासागर के भराव क्षेत्र से जुड़े सभी प्रकरणों का एक साथ अध्ययन करे। इससे हाई कोर्ट को पता चलेगा कि भराव क्षेत्र के अतिक्रमण को नहीं हटाने के लिए माननीय न्यायाधीशों ने ही स्टे दे रखा है । आनासागर के भराव क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियां तक बन गई है। विभिन्न अदालतों के आदेशों के कारण ही भराव क्षेत्र के अतिक्रमण नहीं हट रहे हैं। स्मार्ट सिटी योजना के तहत आना सागर के किनारे आकर्षक पाथवे का निर्माण हो रहा है। कायदे से पाथ वे का निर्माण आनासागर के बाहरी किनारों पर होना चाहिए, लेकिन अदालतों के स्टे आदेशों के कारण पाथवे को आना सागर के अंदर बनाया जा रहा है जिसके कारण आनासागर के अंदर पानी में सैकड़ों टन मिटटी भरी जा रही है । पाथवे साथ में टेढ़ा मेढ़ा बन रहा है। अदालतों के आदेश के कारण प्रशासन एक भी अतिक्रमण को हटाने की हिम्मत नहीं दिखा रहा है। अब जब आना सागर के अंदर से अतिक्रमण नहीं हट रहे हैं तो स्मार्ट सिटी योजना के इंजीनियरों ने भी आना सागर के भराव क्षेत्र में सेवन वंडर के नाम पर पक्का निर्माण शुरू कर दिया है। स्वाभाविक है कि जब सरकारी निर्माण हो जाएगा तो अवैध निर्माण अपने आप सुरक्षित हो जाएंगे। अजमेर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शहर है और आना सागर शहर के बीचों बीच स्थित है । यानी आनासागर अजमेर का प्राकृतिक सौंदर्य है, लेकिन आज आनासागर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है । भू माफिया ही नहीं बल्कि विभिन्न विभागों के इंजीनियर भी आना सागर के प्राकृतिक सौंदर्य को बिगाड़ने में लगे हुए हैं। अजमेर के जागरूक नागरिकों की हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश इंद्र महंती से आग्रह किया है कि वे न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और रामेश्वर व्यास जैसे न्यायाधीशों के साथ अजमेर आए और आनासागर की दुर्दशा देखें। न्यायधीश गण अपने साथ फाइलों को लाएं जिसमें हाई कोर्ट ने स्टे दे रखा है । न्यायाधीश अपनी सच्ची आंखों से देखेंगे तो पता चलेगा कि प्रार्थना पत्र में लिखी बातें कितनी सच्ची है। यदि न्यायधीश गण मौके पर आकर देखेंगे तो संभवत सभी स्टे आदेश निरस्त हो जाए।S.P.MITTAL BLOGGER (04-04-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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