कोरोना शेयर बाजार में भी घुसा। सेंसेक्स 1200 और निफ्टी 300 अंकों तक गिरा। अब सोशल डिस्टेंसिंग की नहीं बल्कि सोशल लाइजेशन पर रोक लगाने की जरूरत है। 130 करोड़ की आबादी पर 7 करोड़ लोगों को ही टीका लगाना कोई मायने नहीं रखता। कांग्रेस की सरकारें भी अब मोदी वाले लॉक डाउन की ओर बढ़ रही है।

महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों में लॉकडाउन को लेकर जो घोषणाएं की गई उसका परिणाम यह रहा कि 5 अप्रैल को शेयर मार्केट में भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स 1200 और निफ्टी 300 अंकों तक गिर गया। दूसरे दौर में कोरोनावायरस संक्रमण का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अब प्रतिदिन 1 लाख मरीज सामने आ रहे हैं। यदि लोगों के संक्रमित होने की यही रफ्तार रही तो जल्द ही गत वर्ष मार्च वाला संपूर्ण लॉकडाउन लगाना होगा। कांग्रेस शासित राजस्थान और पंजाब में लॉकडाउन के अनेक प्रतिबंध लगा दिए हैं, जबकि कांग्रेस के समर्थन में चल रही महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने तो 2 दिन का संपूर्ण लॉक डाउन लगा दिया है। जो विपक्षी दल पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉक डाउन का विरोध करते थे वहीं अब अपने राज्य में लॉकडाउन से जुड़े प्रतिबंध लागू कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने तो महाराष्ट्र में संपूर्ण लॉकडाउन की चेतावनी भी दे दी है। देश में कोरोना संक्रमण का जो दूसरा दौर चला है, उसमें लॉकडाउन के सिवाय कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा, जहां तक वैक्सीन लगाने का सवाल है तो 130 करोड़ की आबादी में मात्र 7 करोड लोगों को वैक्सीन लगाना कोई मायने नहीं रखता है। और फिर वैक्सीन के दोनों डोज लगाने के बाद भी व्यक्ति संक्रमित हो रहा है। वैक्सीन तैयार करने वाले वैज्ञानिक भी अब कह रहे हैं कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी व्यक्ति को सोशल डिस्टेंसिंग की पालना और मास्क लगाना जरूरी है। असल में जब तक सभी देशवासियों को वैक्सीन नहीं लगेगी तब तक वैक्सीन का प्रभाव नजर नहीं आएगा। अब सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग से काम नहीं चलेगा । अब देश में सोशलाइजेशन पर रोक लगाने की जरूरत है, हमने देखा है की छूट मिलते ही धार्मिक स्थलों पर लाखों लोग जुटने लगे, शादी ब्याह में भी हजारों लोग शामिल होने लगे। दिसंबर 2020 से मार्च 2021 तक यह मान लिया गया कि कोरोना समाप्त हो गया। लोगो ने परंपरा के अनुरूप अपने घरों पर दावतों का दौर शुरू कर दिया। यानी मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग को पूरी तरह भुला दिया गया। अब जब कोरोना संक्रमण ज्यादा खतरनाक है , तब सोशलाइजेशन पर रोक लगानी चाहिए। लोगों को बेवजह अपने रिश्तेदारों से मिलने नहीं जाना चाहिए। घरों पर होने वाली दावत पर तो तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए। सोशलाइजेशन पर प्रतिबंध सरकार नहीं लगा सकती, सरकार तो सिर्फ लॉकडाउन लागू कर सकती है। यदि हमें लॉकडाउन से बचना है तो सोशलाइजेशन पर स्वेच्छा से प्रतिबंध लगाना होगा। सरकार चिकित्सा सुविधाओं को लेकर चाहे जितने भी दावे कर ले लेकिन सरकारी अस्पतालों का हाल बहुत बुरा है। गत वर्ष लोग सरकारी अस्पतालों की हालत देख चुके हैं। प्राइवेट अस्पतालों में इलाज बहुत महंगा है, अच्छा हो कि हम सब मिलकर सोशलाइजेशन के प्रतिबंधों का पालन करे।

S.P.MITTAL BLOGGER (05-04-2021)

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