जब जननायक की छवि है तो फिर आधी रात को राजस्थान में 15 दिन के लॉकडाउन की घोषणा क्यों की? 18 अप्रैल को शाम साढ़े सात बजे टीवी पर घोषणा कर देते तो सुबह इतनी अफरा तफरी नहीं होती। हर आदमी अखबार नहीं पढ़ता। लेकिन हर मेहनतकश के पास मोबाइल है। प्रदेश अपने स्तर पर ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं कर सकता, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से देश 130 करोड़ लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लगाने की उम्मीद।
18 अप्रैल को सायं साढ़े सात बजे न्यूज चैनलों और मोबाइल पर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर अधिकांश राजस्थान के निवासी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सुनने को उत्सुक थे। सारा काम काज छोड़ लाखों लोग टीवी पर नजर गढ़ाए बैठे थे। तय घोषणा के मुताबिक सीएम गहलोत साढ़े सात बजे टीवी और मोबाइल पर लाइव आए भी, लेकिन लॉकडाउन की घोषणा नहीं की। गहलोत ने यह तो बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण राजस्थान की स्थिति भी बेहद खराब है, लेकिन यह नहीं बताया कि 19 अप्रैल को प्रात: 6 बजे बाद प्रदेश में लॉकडाउन की क्या स्थिति रहेगी। गहलोत का इस बात पर जोर था कि लोग चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में 30 अप्रैल तक अपना रजिस्ट्रेशन करवा लें। इधर उधर की बात करने के बाद गहलोत ने अपना संबोधन समाप्त कर दिया। चूंकि लॉकडाउन की घोषणा सीएम ने नहीं की, इसलिए प्रदेश के लोगों का मानना रहा कि अब 19 अप्रैल को प्रात: 6 बजे से 60 घंटे का लॉकडाउन समाप्त हो जाएगा। लेकिन 15 अप्रैल की तरह 18 अप्रैल को भी गहलोत के अधीन आने वाले गृह विभाग ने आधी रात को 3 मई तक लॉकडाउन लगाने का आदेश जारी कर दिया। सवाल उठता है कि जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि जननायक की होने का दावा किया जाता है, तो फिर गहलोत ने साढ़े सात बजे टीवी पर लॉकडाउन लगाने की घोषणा क्यों नहीं की? जननायक का मतलब तो यही है कि जनता आपके पीछे खड़ी और आपका नेतृत्व स्वीकार करती है। लॉकडाउन की घोषणा सीएम गहलोत टीवी पर करें या अंधेरे में आदेश जारी करें, यह उनका विशेषाधिकार है, लेकिन लोग भी प्रदेश के मुखिया से छवि के अनुरूप आचरण की उम्मीद करते हैं। शाम को घोषणा नहीं होने से 19 अप्रैल सुबह बाजारों में अफरा तफरी मच गई। लोगों ने समझा कि लॉकडाउन समाप्त हो गया है, इसलिए घर से बाहर निकल आए। सैकड़ों लोग अपनी दुकानें भी खोल कर बैठ गए। जब पुलिस कर्मियों ने जानकारी दी तब पता चला कि 3 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। मुख्यमंत्री को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि अखबारों में आदेश छप जाने से प्रदेश की सात करोड़ जनता को लॉकडाउन की जानकारी हो जाएगी। आखिर कितने से लोग अखबार पढ़ते हैं? अखबार से कई गुना ज्यादा लोगों के पास मोबाइल फोन है। हर मेहनतकश के पास मोबाइल मिल जाएगा। यही वजह है कि किसी भी घटना की जानकारी सबसे पहले सोशल मीडिया पर होती है। जब मुख्यमंत्री स्वयं सरकारी बैठकों का प्रसारण फेसबुक आदि पर करवाते हैं तो लॉकडाउन की घोषणा में सोशल मीडिया का उपयोग क्यों नहीं किया गया है।मोदी से वैक्सीन की उम्मीद:राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने स्वयं माना है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की भी कमी है। दोनों ने इसके लिए केन्द्र सरकार से सहयोग का आग्रह किया। रघु शर्मा का कहना रहा कि कोरोना में संक्रमित मरीजों को लगाए जाने वाला रेमडिसिविर इंजेक्शन सरकार के पास मात्र 1400 से बचे हैं, जबकि हमें एक लाख इंजेक्शन की जरुरत है। रेमडिसिविर इंजेक्शन राज्य सरकार सीधे निर्माता कंपनियों से खरीद रही है। इसी प्रकार ऑक्सीजन के उत्पादन की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की ही है। लेकिन सरकार मांग के अनुरूप ऑक्सीजन का प्रबंध भी नहीं कर पा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद जताई जा रही है कि देश के 139 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लगा दिए जाएं। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी प्रधानमंत्री को एक पत्र लिख कर देशवासियों को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध करवाने की मांग की है। अच्छा होता कि डॉ. सिंह कांग्रेस शासित राज्यों में संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन और रेमडिसिविर इंजेक्शन उपलब्ध करवाने के लिए भी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखते। सब जानते है कि मौजूदा समय केन्द्र सरकार ही राज्यों को वैक्सीन मुफ्त में उपलब्ध करवा रही है। 45 वर्ष के सभी व्यक्तियों को नि:शुल्क वैक्सीन लगाई जा रही है।S.P.MITTAL BLOGGER (19-04-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511