राजस्थान में अभी तक नहीं हुआ है लॉकडाउन का असर। 15 से 24 अप्रैल तक 519 मौतें। संक्रमित मरीज 5 लाख के पार। प्रतिदिन 15 हजार से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। यानि ज्यों ज्यों दवा की त्यों त्यों मर्ज बढ़ता ही गया। क्या सभी मौतें ऑक्सीजन के अभाव में हो रही है?

23 अप्रैल को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वाधिक संक्रमित वाले 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना की स्थिति पर विचार विमर्श किया तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी ओर से कोई आरोप लगाने के बजाए दैनिक भास्कर अखबार की एक खबर पढ़ कर सुनाई। इस खबर में कहा गया कि कोरोना के एक्टिव कैसेज में राजस्थान देश में छठे स्थान पर है, लेकिन केन्द्र सरकार ने ऑक्सीजन देने के लिए राजस्थान को 17वें स्थान पर रखा है। यानी कोरोना की सबसे बड़ी दवा ऑक्सीजन ही है, यदि ऑक्सीजन नहीं मिला तो लोग मर जाएंगे। प्रधानमंत्री की वीसी में भास्कर की खबर पढ़ने से जाहिर है कि सीएम गहलोत भास्कर पर कितना भरोसा करते हैं। यह बात अलग है कि सीएम गहलोत अक्सर मीडिया को बिका हुआ या दबाव में होने का आरोप लगाते हैं। अब जब सीएम गहलोत भास्कर की खबर को प्राथमिक मान रहे हैं तो फिर पाठकों को भास्कर में प्रकाशित कोरोना के आंकड़े भी देखने चाहिए। सब जानते हैं कि कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए ही सीएम गहलोत ने 16 अप्रैल को सायं 5 बजे से प्रदेशभर में सम्पूर्ण लॉकडाउन घोषित किया गया है, लेकिन प्रदेश के जैसे हालात हैं उसे देखते हुए लॉकडाउन तीन मई के आगे भी बढ़ाया जा सकता है। भास्कर में प्रकाशित संक्रमित मरीजों और मरने वालों की संख्या देखी जाए तो ज्यों ज्यों दवा की त्यों त्यों मर्ज बढ़ता ही गया, वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। सीएम गहलोत ने 15 अप्रैल को आधी रात को जब सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी, तब 15 अप्रैल को दिन में नए संक्रमित मरीज 6 हजार 658 दर्ज किए थे, जबकि 33 संक्रमित व्यक्तियों की मौत हुई थी। 15 अप्रैल से 24 अप्रैल तक संक्रमित व्यक्तियों और मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। भास्कर में प्रकाशित प्रतिदिन के आंकड़ों का जोड़ लगाया जाए तो पिछले 10 दिनों में 519 संक्रमित व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। हालांकि इन सरकारी आंकड़ों पर खुद भास्कर ने आपत्ति दर्ज करवा चुका है। यदि सरकारी आंकड़े सही भी माने जाए तो 10 दिनों में 519 संक्रमित व्यक्तियों की मौत होना भयावह स्थिति को दर्शाता है। 20 अप्रैल के अंक में भास्कर ने अनुमान लगाया था कि 30 अप्रैल तक एक्टिव केस एक लाख 29 हजार हो जाएंगे, जबकि 24 अप्रैल को ही एक्टिव केस एक लाख तक पहुंच गए हैं। इसी प्रकार प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या 5 लाख पार हो गई है। जहां 15 अप्रैल को 6 हजार 658 नए संक्रमित दर्ज हुए थे, वहीं 24 अप्रैल को 15 हजार 355 संक्रमित दर्ज किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग और भास्कर के आंकड़े बताते हैं कि 100 में 17 से भी ज्यादा व्यक्ति संक्रमित हो रहे हैं। सवाल उठता है कि अभी तक लॉकडाउन का असर क्यों नहीं हुआ है? 10 दिन गुजरने के बाद भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं। क्या लॉकडाउन की क्रियान्विति में कमी है? सीएम गहलोत स्वयं भी लम्बे लॉकडाउन के पक्ष में नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी भी कह चुके हैं कि लॉकडाउन आखिरी विकल्प होना चाहिए। अभी कोई भी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि लॉकडाउन का असर कब से शुरू होगा। 15 अप्रैल से लेकर 24 अप्रैल तक राजस्थान में दर्ज हुए संक्रमित व्यक्तियों और मरने वालों के आंकड़े मेरे फेसबुक पेज Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog पर देखे जा सकते हैं। इससे राजस्थान में प्रतिदिन बढ़ रहे कोरोना संक्रमण का पता चलेगा। गंभीर बात यह है कि अब संक्रमण बढ़ने और लोगों के मरने की जिम्मेदारी ऑक्सीजन पर डाली जा रही है। राज्य सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि एक्टिव मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रतिदिन ऑक्सीजन के 45 टैंकर चाहिए, जबकि प्रदेश को 23 टैंकर ही मिल रहे हैं। सवाल उठता है कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों का इलाज क्या सिर्फ ऑक्सीजन से ही होगा? यह माना कि एक्टिव मरीजों के कारण ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है, लेकिन हर मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत हो, ऐसा जरूरी नहीं है। सरकारी अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने और भर्ती मरीजों की देखभाल करने की जरूरत है। कोरोना संक्रमण की सारी जिम्मेदारी ऑक्सीजन पर नहीं डाली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (25-04-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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