रात नहीं होती तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाईकोर्ट में भी धरना देने पहुंच जातीं। नारदा स्टिंग केस के आरोपियों से ममता के शासन में पूछताछ संभव नहीं। चार में से तीन आरोपियों को अस्पताल में भर्ती करावाया। सीबीआई बताए कि शुभेंदु अधिकारी और मुकुल राय को आरोपी क्यों नहीं बनाया?

17 मई को यदि रात नहीं होती तो पश्चिम बंगाल की फायर ब्रांड मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता के हाईकोर्ट परिसर में धरना देने पहुंच जाती और जब एक मुख्यमंत्री धरना पर होती तो हाईकोर्ट क्या निर्णय लेता? यह सवाल अपने आप में महत्वपूर्ण है। अलबत्ता कोलकाता हाईकोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर 17 मई की रात को ही सुनवाई की और स्पेशल कोर्ट के जमानत वाले आदेश पर रोक लगा दी। यही वजह रही कि ममता बनर्जी के मंत्री हाकिम फिरहाद, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा तथा टीएमसी के दिग्गज नेता सोवन चतुर्वेदी को सीबीआई की रिमांड पर जाना पड़ा। 17 मई को कोलकाता के निजाम पैलेस स्थित सीबीआई के दफ्तर के अंदर और बाहर जो हालात रहे उसमें सीबीआई के अधिकारी कोई पूछताछ कर ही नहीं सकते थे, इसलिए रात को ही चारों आरोपियों को जेल भेज दिया गया। चूंकि बंगाल में ममता बनर्जी का शासन है, इसलिए तीन आरोपी रात को ही जेल से अस्पताल पहुंच गए। अब सिर्फ हाकिम फिरहाद ही जेल में हैं। हाईकोर्ट ने इन चारों को 19 मई तक की रिमांड पर भेजा है। अब जब तीन आरोपी बीमार होकर अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं तो फिर पूछताछ का सवाल ही नहीं उठता। 17 मई को जब नारदा स्टिंग केस में चारों आरोपियों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया, तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आरोपियों को छुड़ाने के लिए सीबीआई के दफ्तर पहुंच गईं। मुख्यमंत्री पद का कामकाज छोड़ कर ममता तब तक सीबीआई के दफ्तर में बैठीं रहीं, जब तक चारों आरोपियों की जमानत स्पेशल कोर्ट से नहीं हुई। ममता कोई छह घंटे तक सीबीआई के दफ्तर में धरना देकर बैठ गईं। स्पेशल कोर्ट के जमानत के आदेश को सीबीआई ने रात को ही हाईकोर्ट में चुनौती दी। सीबीआई के आग्रह पर हाईकोर्ट ने रात को ही सुनवाई की और स्पेशल कोर्ट का जमानत का आदेश रद्द करते हुए चारों आरोपियों को 19 मई तक के लिए सीबीआई की रिमांड पर दे दिया। यदि रात नहीं होती तो दिन की तरह ममता बनर्जी हाईकोर्ट में पहुंच जातीं। जब एक मुख्यमंत्री आरोपियों के साथ इतनी हमदर्दी दिखा रही हैं, तब सीबीआई की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। हाईकोर्ट कुछ भी आदेश दे, लेकिन बंगाल में तो ममता बनर्जी का ही आदेश चलेगा। यही वजह है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सीबीआई के अधिकारी आरोपियों से पूछताछ करने की स्थिति में नहीं है। उल्टे सीबीआई के अधिकारियों की जान को भी खतरा है। 17 मई को भी सीबीआई के दफ्तर और अधिकारियों की सुरक्षा केंद्रीय सुरक्षा बलों को करनी पड़ी है। केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती नहीं होती तो 17 मई को सीबीआई के दफ्तर में अप्रिय घटना घटित हो सकती थी। दफ्तर के बाहर ममता के हजारों समर्थक मौजूद थे तो केन्द्रीय सुरक्षा बलों पर पथराव कर रहे थे। गंभीर बात तो यह थी कि बंगाल की पुलिस तमाशबीन बनी हुई थी। यह सही भी है कि मुख्यमंत्री के समर्थकों को बंगाल पुलिस पथराव करने से कैसे रोक सकती है? आखिर पुलिस के अधिकारियों को ममता के शासन में ही नौकरी करनी है। जब मुख्यमंत्री खुद धरने पर बैठी हों, तब समर्थक पथराव तो करेंगे ही। कोई माने या नहीं लेकिन पश्चिम बंगाल के हालात बेहद खराब हैं।शुभेन्दु और मुकुल को आरोपी क्यों नहीं बनाया?:जिस नारदा स्टिंग केस में हाकिम फिरहाद, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी को आरोपी बनाया है, उसी स्टिंग में भाजपा नेता शुभेन्दु अधिकारी और मुकुल राय की भी भूमिका रही थी। सीबीआई को यह बताना चाहिए कि इन दोनों भाजपा नेताओं को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है। जानकारों की मानें तो कैमरे में जो कृत्य ममता के समर्थकों का कैद हुआ वो ही कृत्य इन दोनों भाजपा नेताओं का भी है। 2014 में हुए स्टिंग के समय शुभेन्दु और मुकुल राय ही ममता बनर्जी की टीएमसी के ही नेता थे। S.P.MITTAL BLOGGER (18-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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