राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की जंग में उलझे हैं प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास। कुमार की पत्नी को मुद्दा बना कर पायलट गुट गहलोत पर हमला करता रहता है। कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे से राजनीतिक माहौल फिर गर्म।

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रतिद्वंदी सचिन पायलट के बीच जब भी राजनीतिक खींचतान होती है, तब सुप्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास की पत्नी श्रीमती मंजू शर्मा का मामला उछल जाता है। कहा जा सकता है कि पायलट गुट के पास गहलोत पर हमला करने का हथियार मंजू शर्मा के तौर पर है। अब जब पायलट गुट के विधायक और पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है, तब प्रदेश का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। माहौल के गर्म होने के साथ ही पायलट गुट ने कवि कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा का मामला फिर उछाल दिया। पायलट गुट के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी ने एक बार फिर श्रीमती मंजू शर्मा को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाए जाने पर ऐतराज जताया है। सोलंकी ने कहा कि मंजू के पति कुमार विश्वास ने 2014 में लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी के सामने लड़ा है, लेकिन अशोक गहलोत कुमार विश्वास की पत्नी को आयोग का सदस्य बना दिया। क्या अशोक गहलोत को कांग्रेस सरकार का मुख्यमंत्री इसलिए बनाया था? एक ओर कांग्रेस का आम कार्यकर्ता स्वयं को उपेक्षित समझ रहा है तो दूसरी ओर कुमार विश्वास जैसे व्यक्तियों की पत्नी को महत्वपूर्ण पद दिया जा रहा है। गत वर्ष जब मंजू शर्मा को आयोग का सदस्य बनाया गया था, तब भी कुमार विश्वास को लेकर मुख्यमंत्री पर हमला किया गया था, लेकिन अभी तक भी कुमार विश्वास ने अपनी ओर से कोई सफाई नहीं दी है। कुमार विश्वास जब आम आदमी पार्टी में थे, तब राजस्थान का उम्मीदवार न बनाए जाने पर उन्होंने नाराजगी जताई थी और टीवी चैनलों पर कहा था कि वे राजस्थान के सांसद का पद अपने जूते की नोक पर रखते हैं, लेकिन गत वर्ष उन्हीं कुमार विश्वास ने अपनी पत्नी को आयोग का सदस्य बनाना स्वीकार कर लिया। मंजू शर्मा जब से आयोग की सदस्य बनीं हैं, तब कुमार विश्वास भी सार्वजनिक मंचों से कांग्रेस पर कटाक्ष करने वाली कोई कविता नहीं सुनाते हैं। मंजू शर्मा को किस योग्यता की वजह से आयोग का सदस्य बनाया, यह तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही जानते हैं, लेकिन अब राजस्थान की राजनीति में कुमार विश्वास भी चर्चा का केन्द्र बने रहते हैं। हेमाराम चौधरी के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस की आंतरिक राजनीति में एक बार फिर तूफान आ गया है। छह बार के विधायक चौधरी अपने इस्तीफे पर कायम है। इस बीच पायलट गुट के विधायक वेद प्रकाश सोलंकी और मदन प्रजापत ने भी अपनी सरकार के कामकाज को लेकर नाराजगी जताई है। कांग्रेस विधायकों की नाराजगी के बीच खास बात यह है कि सचिन पायलट की कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है। पायलट पहले ही कह चुके हैं कि गत वर्ष जो समन्वय समिति बनी थी, उसके अनुरूप निर्णय होने चाहिए। पायलट कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होने के आरोप लगाते रहे हैं। भाजपा को भी अब गहलोत सरकार पर हमला करने का अवसर मिल गया है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि जब कांग्रेस के विधायक ही अपनी सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं है, तब कोरोना काल में आम लोगों की स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। S.P.MITTAL BLOGGER (20-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

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