आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर पर अब इस्तीफा देने का दबाव। आयोग के कामकाज से भी दूरी बनाई। भाजपा के शासन में हबीब खान को भी आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था। श्रीमती गुर्जर के पति भैरो सिंह गुर्जर संदेह के घेरे में है। संविधान के अनुसार आयोग के सदस्य को सरकार नहीं हटा सकती है।

आरएएस के इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलवाने के नाम पर 23 लाख रुपए की रिश्वत लेने के प्रकरण में उलझी राजस्थान लोक सेवा आयोग की सदस्य श्रीमती राजकुमारी गुर्जर 12 जुलाई को आयोग के अजमेर स्थित मुख्यालय पर नहीं आई। ऐसे में आरएएस के इंटरव्यू में शामिल होने का मुद्दा अपने आप समाप्त हो गया। जानकार सूत्रों के अनुसार आयोग प्रबंधन और श्रीमती गुर्जर की आपसी सहमति से ऐसा संभव हुआ है। यदि श्रीमती गुर्जर आयोग मुख्यालय में उपस्थित होती तो फिर इंटरव्यू बोर्ड को लेकर अनेक सवाल उठते। आयोग ने 1 हजार 51 आरएएस के इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है। 13 जुलाई तक इंटरव्यू होने हैं। आयोग के अध्यक्ष भूपेन्द्र यादव का कहना है कि इंटरव्यू पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ हो रहे हैं। एसीबी ने गत 9 जुलाई को आयोग के जूनियर अकाउंटेंट सज्जन सिंह गुर्जर 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा था। 10 जुलाई को एसीबी ने आयोग की सदस्य राजकुमारी गुर्जर के भाई सुरेंद्र की कंपनी यूएस इंडिया होरेजन प्राइवेट लिमिटेड में अलवर सिकंदरा स्टेट हाईवे टोल नाके पर काम करने वाले नरेन्द्र पोसवाल को भी गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपियों का कहना है कि आयोग में होने वाले विभिन्न इंटरव्यू को लेकर वे राजकुमारी गुर्जर के पति भैरो सिंह गुर्जर के संपर्क में थे। 9 जुलाई को भी भैरो सिंह गुर्जर के लिए ही 23 लाख रुपए की रिश्वत ली जा रही है। चूंकि गिरफ्तार आरोपियों ने भैरो सिंह गुर्जर के नाम का उल्लेख किया है, इसलिए अब इस मामले में आयोग की सदस्य श्रीमती गुर्जर की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। भले ही एसीबी के पास श्रीमती गुर्जर का कोई ऑडियो न हो, लेकिन इतना जरूरी है कि रिश्वत लेते पकड़े गए लोगों की घुसपैठ राजकुमारी गुर्जर के घर के अंदर तक है। यही वजह है कि अब श्रीमती गुर्जर पर आयोग के सदस्य के पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है। एसीबी इस मामले में 12 जुलाई को एफआईआर दर्ज कर रही है और अब तक की जांच पड़ताल में श्रीमती गुर्जर के पति भैरो सिंह गुर्जर की भूमिका सामने आई है। हो सकता है कि इस मामले में भैरो सिंह गुर्जर को भी पूछताछ के लिए बुलाया जाए या फिर उसकी गिरफ्तारी की जाए। यदि पति भैरो सिंह गिरफ्तार होते हैं तो फिर श्रीमती गुर्जर के लिए मुसीबत खड़ी होगी। मौजूदा समय में श्रीमती गुर्जर को संविधान का संरक्षण मिला हुआ है, राज्य सरकार चाहते हुए भी श्रीमती गुर्जर को आयोग के सदस्य के पद से नहीं हटा सकती है। संविधान के जानकारों के अनुसार आर्टिकल 317 में राष्ट्रपति इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से जांच करवा सकते हैं। इस जांच के आधार पर ही कोई कार्यवाही को सकती है। राज्यपाल चाहे तो जांच अवधि तक श्रीमती गुर्जर को आयोग के सदस्य के पद से सस्पेंड कर सकते हैं। लेकिन हटाने का अधिकार राज्यपाल को भी नहीं है। चूंकि श्रीमती गुर्जर को संविधान का संरक्षण मिला हुआ है, इसलिए राज्य सरकार का प्रयास है कि श्रीमती गुर्जर स्वेच्छा से ही आयोग के सदस्य के पद से इस्तीफा दे दें। एसीबी की कार्यवाही श्रीमती गुर्जर पर दबाव बनाने के लिए ही है। सब जानते हैं कि श्रीमती गुर्जर को दिसम्बर 2016 में तब आयोग का सदस्य बनाया गया था, तब भाजपा सरकार की कमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पास थी। अब चूंकि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है, इसलिए इस मामले को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है। वसुंधरा राजे के कार्यकाल में आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष हबीब खान गौरान को भी इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि तब गौरान के खिलाफ इंटरव्यू के नाम पर रिश्वत लेने जैसा कोई आरोप नहीं था, लेकिन उनकी पुत्री के आरजेएस की परीक्षा में शामिल होने और गौरान का संबंधित प्रिंटिंग प्रेस में जाने के कारण एसीबी की कार्यवाही तब भी हुई थी। तब आरजेएस की परीक्षा का प्रश्न पत्र आउट होने का मामला उछला था। हालांकि आयोग की ओर से परीक्षा ली गई और गौरान की पुत्री सफल भी रही। लेकिन जांच एजेंसियों के दबाव को देखते हुए ही गौरान को इस्तीफा देना पड़ा। इस्तीफे के बाद ही गौरान गिरफ्तारी से बच सके। गौरान की नियुक्ति भी 2008 से 2013 के कांग्रेस शासन के दौरान हुई थी। तब भी मुख्यमंत्री के पद पर अशोक गहलोत विराजमान थे। आयोग में जो परिस्थितियां हबीब गौरान के समय उत्पन्न हुई वही परिस्थितियां अब उत्पन्न हो रही है। ताजा मामले में गंभीर बात ये है कि आरएएस के इंटरव्यू में अच्छे अंक दिलवाने के नाम पर 23 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया है। यह मामला इसलिए भी गंभीर है कि इसके तार आयोग की एक महिला सदस्य के घर तक जुड़े हुए हैं। असल में आयोग में राजनीतिक नजरिए से ही नियुक्तियां होती रही है। श्रीमती गुर्जर भी भाजपा की राजनीति से जुड़ी रही तो हबीब खान गौरान भी आरपीएस की सेवा से रिटायर होने के बाद कांग्रेस की राजनीति से जुड़े रहे। कहा जा सकता है कि भाजपा के राज हबीब खान गौरान शिकार हुए तो अब कांग्रेस के शासन में राजकुमारी गुर्जर निशाने पर है।S.P.MITTAL BLOGGER (12-07-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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