तीन वर्ष से कम उम्र वाले बछड़ों की राजस्थान से निकासी पर अपने अपने तर्क। गौ भक्तों को कत्लखाने में जाने की आशंका तो किसानों के लिए मुसीबत है बछड़े। अजमेर डेयरी में हाईटेंशन लाइन लगाने के निर्देश। डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ऊर्जा मंत्री कल्ला से मिले।

राजस्थान से तीन वर्ष से कम उम्र वाले बछड़ों की निकासी को लेकर गौ भक्तों और किसानों के अपने अपने तर्क हैं। राजस्थान में फिलहाल तीन वर्ष से कम उम्र वाले छबड़ों की निकासी पर रोक है, इसलिए पशुओं के मेलों में भी छबड़ों की बिक्री नहीं हो रही है, लेकिन अब अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार चाहती है कि गौवंश अधिनियम में संशोधन कर बछड़ों की निकासी में छूट दे दी जाए। यही वजह है कि गौ ग्राम सेवा संघ से जुड़े गौ भक्त सरकार के प्रयासों का विरोध कर रहे हैं। गत 5 जुलाई को प्रदेशभर में गौ भक्तों ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टरों को ज्ञापन भी दिए हैं।अजमेर के प्रमुख गौभक्त गिरिराज अग्रवाल, अमित भंसाली, लक्ष्मीनारायण हटूका, सतीश बंसल, संजय अत्तार, मनीष गोयल आदि का कहना है कि यदि तीन वर्ष से कम उम्र वाले बछड़ों की बिक्री और निकासी की छूट मिलती है तो अधिकांश बछड़े कत्ल खानों में ही जाएंगे। इससे गौ वंश की हत्या को बढ़ावा मिलेगा। पिछली भाजपा सरकार ने गौवंश की हत्या को रोकने के लिए तीन वर्ष से कम उम्र वाले बछड़ों की राजस्थान से निकासी पर रोक लगाई थी। प्रदेश के नागौरी नस्ल के बछड़ों की भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मांग है। अच्छा हो कि सरकार नागौरी वंश अनुसंधान केन्द्र की स्थापना कर तीन वर्ष से कम उम्र वाले बछड़ों को संरक्षित किया जाए। बाद में ऐसे बछड़ों को उन्नत नस्ल के बैलों के तौर पर बेचा जा सकता है। गौ भक्त गिरिराज अग्रवाल ने बताया कि अपने धर्मार्थ ट्रस्ट और संस्थाएं भी गौशाला चलाती है। अजमेर में अरड़का स्थित गौशाला में अभी भी 800 गौवंश है। इस गौवंश को जनसहयोग से ही चारा आदि उपलब्ध करवाया जाता है। गौवंश के संरक्षण के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9413345456 पर गौ भक्त गिरीराज अग्रवाल से ली जा सकती है।ग्रामीण क्षेत्रों में मुसीबत:बछड़ों की बढ़ती संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में मुसीबत बनी हुई है। चूंकि तीन वर्ष से कम उम्र वाले बछड़ों की निकासी पर रोक है, इसलिए बिक्री भी नहीं हो पाती है। अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर निकासी पर रोक हटाने की मांग की है। चौधरी का कहना है कि तटीय इलाकों में आज भी परंपरागत तरीके से बैलों के द्वारा ही खेती होती है, इसलिए बछड़ों की मांग इन क्षेत्रों में बनी रहती है। यदि गौवंश का संरक्षण गौशालाओं में ही रहा है तो ग्रामीण क्षेत्रों में बछड़े क्यों घूम रहे हैं? चूंकि बछड़ों का खेती में कोई उपयोग नहीं है, इसलिए राजस्थान में ऐसे बछड़े किसानों की फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। चौधरी ने कहा कि निकासी से बछड़ों को कत्लखाने में ले जाने की सिर्फ आशंका है। यदि निकासी की छूट मिलती है तो पशुपालक अपने बछड़ों की बिक्री पशु मेलों में कर कुछ राशि प्राप्त कर सकता है। बछड़ों की निकासी प्रदेश के किसानों और पशुपालकों के हित में है।हाईटेंशन लाइन के निर्देश:12 जुलाई को अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला से मुलाकात की। चौधरी ने कल्ला को बताया कि हाईटेंशन लाइन बिछाने के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपए की राशि अजमेर डिस्कॉम में जमा करवा रखी है, लेकिन अभी तक भी लाइन का काम शुरू नहीं किया गया है। डेयरी परिसर में अब नया प्लांट भी लग चुका है, इसलिए बिजली की खपत बढ़ गई है। इस पर कल्ला ने डिस्कॉम के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जल्द ही डेयरी परिसर तक हाईटेंशन लाइन बिछाई जाए। कल्ला ने इस बात पर अफसोस जताया कि साढ़े तीन करोड़ रुपए की राशि जमा करने के बाद भी डेयरी को हाईटेंशन लाइन की सुविधा नहीं दी जा रही है। मुलाकात में चौधरी कल्ला से आग्रह किया कि डेयरी के नए प्लांट में जो सोलर प्लांट लगाया गया है उस पर राज्य सरकार से सब्सिडी दिलवाई जाए। S.P.MITTAL BLOGGER (12-07-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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