आयकर विभाग के छापों के बाद समझदारी दिखा रहा है भास्कर समूह। असल में अखबार पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। 6 हजार करोड़ के कारोबार में 2200 करोड़ रुपए की गड़बड़ी से खलबली।
भास्कर समूह के अखबार के कारोबार को छोड़कर आयकर विभाग ने गत 19 जुलाई को समूह के राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों के दफ्तरों पर छापामार कार्यवाही की। भास्कर समूह के 6 हजार करोड़ रुपए के कारोबार में से 2200 करोड़ रुपए की गड़बड़ी होने की बात आयकर विभाग ने मानी है। जांच में पता चला है कि कंपनियों में करोड़ों रुपए की राशि डाली गई। इससे आयकर की चोरी भी हुई। भास्कर समूह ने भी गड़बड़ी के वो ही तरीके अपनाए जो अन्य कारोबारी कंपनियां अपनाती थी, लेकिन भास्कर को उम्मीद थी कि देश का सबसे बड़ा अखबार निकालने के कारण उनके रियल एस्टेट, कपड़ा, पावर प्लांट आदि के कारोबार की कोई जांच पड़ताल नहीं होगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हालांकि अभी भी जांच के दायरे में भास्कर अखबार को शामिल नहीं किया गया है। आयकर विभाग की टीमें अखबार से होने वाली कमाई की जांच पड़ताल भी नहीं कर रही है। न ही कोई एजेंसी भास्कर का सर्कुलेशन की पड़ताल कर रही है। यहां तक कि अखबार को रियायती दरों पर मिली भूमि की भी जांच नहीं हो रही है7 चूंकि रियल एस्टेट, कपड़ा, पावर प्लांट शिक्षा आदि से जुड़ी कंपनियों के दफ्तर भास्कर अखबार वाले परिसर में ही खोल रखे हैं, इसलिए आयकर विभाग की टीमें परिसर में मौजूद हैं। भास्कर के मालिक सुधी अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल और पवन अग्रवाल के साथ साथ विभिन्न कंपनियों के प्रमोटरों से भी पूछताछ हो रही है। 27 जुलाई को सातवें दिन भी जांच पड़ताल का काम जारी रहा है। भास्कर ने छापे के शुरू के एक दो दिन तो दबाव की रणनीति के तहत छापों के विरुद्ध खबरें प्रकाशित की। यहां तक लिखा कि भास्कर पर कार्यवाही के विरोध में संसद, ठप हो गई। विदेशी अखबारों के माध्यम से भी विरोध जताया गया, लेकिन जैसे जैसे वित्तीय अनियमितता सामने आने लगी, वैसे वैसे भास्कर के मालिकों ने समझदारी दिखाना शुरू कर दिया। अब विरोध की खबरें भी नहीं आ रही है ना भास्कर की ओर से जांच में सहयोग की बात बार बार दोहराई जा रही है। आयकर विभाग के अधिकारी ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जिनका जवाब देना मुश्किल हो रहा है। भास्कर पर हुई इस कार्यवाही से उन धंधेबाज लोगों को सबक लेना चाहिए, जो पत्रकारिता की आड़ में कारोबार करते हैं। ऐसे लोगों को लगता है कि अखबार या चैनल की आड़ में गलत कार्यों को संरक्षण मिल जाएगा। लेकिन भास्कर पर हुई कार्यवाही बताती है कि अब गलत कार्यों को पत्रकारिता की आड़ में बचना मुश्किल है। असल में पत्रकारिता और कारोबार एक साथ करना अब मुश्किल है।
S.P.MITTAL BLOGGER (27-07-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511