अजमेर के जिला प्रमुख के चुनाव में जो कांग्रेस ने किया वही अब जयपुर के जिला प्रमुख के चुनाव में भाजपा ने कर दिखाया। कांग्रेस के नेता अब भाजपा पर खरीद फरोख्त का आरोप लगा रहे हैं, तो अजमेर के जिला प्रमुख के चुनाव में भी कांग्रेस ने भाजपा के सदस्यों को खरीदा था?

9 माह पहले अजमेर के जिला प्रमुख के चुनाव में कांग्रेस ने जो खेल खेला वही खेल 6 सितम्बर को जयपुर के जिला प्रमुख के चुनाव में भाजपा ने खेला है। सब जानते हैं कि 9 माह पहले अजमेर की जिला परिषद के 31 सदस्यों में से भाजपा के 21 और कांग्रेस के मात्र 10 सदस्य चुने गए थे। भाजा का जिला प्रमुख बनना तय था, लेकिन मतदान वाले दिन कांग्रेस ने भाजपा की बागी उम्मीदवार श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा को समर्थन दे दिया, फलस्वरूप भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार महेंद्र सिंह मझेवला जिला प्रमुख नहीं बन सके। कांग्रेस के समर्थन से श्रीमती पलाड़ा जिला प्रमुख बनी। यानी भाजपा जीती हुई बाजी हार गई। अब यही रणनीति 6 सितम्बर को जयपुर के जिला प्रमुख के चुनाव में भाजपा ने अपनाई है। जयपुर जिला परिषद के 51 वार्डों के चुनाव में कांग्रेस के 27 और  भाजपा  के 24 सदस्य चुने गए हैं। यानी कांग्रेस का बहुमत है, लेकिन भाजपा ने कांग्रेस की बागी उम्मीदवार रमादेवी को अपना समर्थन दे दिया है। इससे बाजी पलट गई है। अब कांग्रेस के नेता आरोप लगा रहे है कि भाजपा ने खरीद फरोख्त की है7 सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी का कहना है कि भाजपा तो खरीद फरोख्त की उस्ताद रही है। विधायकों को खरीद कर ही कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भाजपा ने अपनी सरकार बनाई और अब वही हथकंडा जयपुर के जिला प्रमुख के चुनाव में भी अपनाया गया। जोशी ने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ पर भी गंभीर आरोप लगाए। जयपुर में कांग्रेस की बागी उम्मीदवार को समर्थन देने से यदि कांग्रेस को भाजपा की खरीद फरोख्त नजर आती है तो सवाल उठता है कि 9 माह पहले क्या अजमेर में जिला प्रमुख के चुनाव के समय भी खरीद फरोख्त हुई? कांग्रेस के नेता अब चाहे कुछ भी कहे, लेकिन सब जानते हैं कि जब किसी प्रमुख दावेदार को उम्मीदवार नहीं बनाया जाता है, तब ऐसी ही राजनीतिक परिस्थितियां उत्पन्न होती है। अजमेर जिला परिषद के चुनाव के समय भी श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा ने जिला प्रमुख के पद पर दावेदारी जताई थी, लेकिन तब पहाड़ा की दावेदारी खारिज कर महेन्द्र सिंह मझेवला को उम्मीदवार बनाया गया। इससे नाराज होकर श्रीमती पलाड़ा ने कांग्रेस का समर्थन प्राप्त कर भाजपा से जिला प्रमुख का पद छीन लिया। यदि भाजपा संगठन पलाड़ा को उम्मीदवार बना देता तो आज अजमेर में भी भाजपा का जिला प्रमुख होता। जयपुर में भी कांग्रेस की सदस्य श्रीमती रमादेवी ने जिला प्रमुख के पद पर दावेदारी जताई थी, लेकिन कांग्रेस संगठन ने सरोज देवी को उम्मीदवार बनाया। ऐसे में रमादेवी ने भाजपा से हाथ मिला लिया। अजमेर के मुकाबले जयपुर में मतों का अंतर बहुत कम है। कांग्रेस के 27 सदस्यों के मुकाबले भाजपा के 24 सदस्य हैं। जबकि अजमेर में तो 10 मतों का अंतर था। स्वाभाविक है कि जिस पार्टी में बगावत होती है उसे उसके नेता ऐसे ही नाराज होते हैं। जानकारों की माने तो कांग्रेस में यह लड़ाई मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गुटों के बीच की है। श्रीमती रमादेवी को कांग्रेस का उम्मीदवार इसलिए नहीं बनाया क्योंकि उनके पति पायलट समर्थक है। रमादेवी के बागी होने का कांग्रेस संगठन ने कितनी गंभीरता से लिया है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि रमादेवी हाथों हाथ 6 वर्ष के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (06-09-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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