जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और अयोध्या में राम मंदिर बनवाने जैसा ही है गुजरात में राजनीतिक बदलाव। ऐसी इच्छाशक्ति और दृढ़ता नरेंद्र मोदी जैसा ताकतवर नेता ही दिखा सकता है। 71वें जन्मदिन पर यह भी एक उपलब्धि है।

17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहने वाले उनका 71वां जन्मदिन उत्साह से मना रहे हैं। पहले गुजरात और फिर देश की सरकार चलाते हुए मोदी को 20 वर्ष पूरे हो गए हैं, इसलिए भाजपा के कार्यकर्ता आगामी 7 अक्टूबर तक जन्मदिन को समर्पण सेवा के तौर पर मनाएंगे। अपने 71वें जन्मदिन पर 17 सितंबर को मोदी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। क्या कोई राजनीतिक दल किसी राज्य में पूरी सरकार को हटाने की कल्पना कर सकता है? राज्य के किसी मंत्री को हटाया जाता है तो राष्ट्रीय नेतृत्व तक में खलबली मच जाती है। भारत की राजनीति में अब तक यही माना गया कि अनुभव को प्राथमिकता मिलती है। दोबारा या तीसरी बार सत्ता में आने पर यही माना जाता है कि पुराने मंत्रियों को ही मंत्री बनाया जाएगा। लेकिन 16 सितंबर को गुजरात में जिन 24 मंत्रियों ने शपथ ली इनमें से एक भी पुराना मंत्री नहीं था। पहले 13 सितंबर को भूपेंद्र पटेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यानी गुजरात में अब भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री और सभी मंत्री एकदम नए हैं। इतना बड़ा राजनीतिक बदलाव तब किया है, जब अगले वर्ष गुजरात में विधानसभा के चुनाव होने हैं। सब जानते हैं कि गुजरात पीएम मोदी की कर्मस्थली है। मोदी पहली बार गुजरात के ही सीएम बने थे। पिछले 27 वर्षों से रणनीति के तहत ही गुजरात में भाजपा का शासन है। पीएम मोदी की रणनीति के तहत ही गुजरात में इतना बड़ा बदलाव किया गया। कुछ लोग इस फैसले को सत्ता विरोधी लहर होने से जोड़ कर देख रहे है। यह भी हो सकता है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या कोई राजनीतिक दल इस तरह का फैसला ले सकता है? हम देख रहे है कि भारत में अधिकांश राजनीतिक दलों पर परिवारवाद का कब्जा है। कांग्रेस जवाहरलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक आ गई है, तो यूपी में मुलायम सिंह के बाद उनके पुत्र अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के मुखिया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी का टीएमसी पर कब्जा है। ऐसी स्थिति उड़ीसा में पटनायक और जम्मू कश्मीर में अब्दुल्ला व मुफ्ती के परिवारों में देखी जा सकती है। यही स्थिति तमिलनाडु में करुणानिधि के परिवार की है। जब देश की राजनीति परिवारवाद से बाहर नहीं निकल रही हे, तब पीएम मोदी ने अपने गृह प्रदेश में पूरी सरकार को ही बदल डाला है। देश के राजनीतिक इतिहास में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा। असल में कोई भी राजनीतिक दल व्यक्ति पर आधारित नहीं होना चाहिए। राजनीतिक दल सिर्फ संगठन पर आधारित होना चाहिए। संगठन जो नीति बनाए उस पर ही राजनीतिक दल की सरकार को काम करना चाहिए। गुजरात का राजनीतिक बदलाव जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और अयोध्या में राम मंदिर बनवाने जैसा निर्णय ही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्यमंत्री सहित सभी 27 मंत्रियों को हटाने के बाद भी गुजरात भाजपा में विरोध का कोई स्वर नहीं है। यानी आज भी भाजपा में पीएम मोदी के निर्णय पर आपत्ति करने वाला कोई नहीं है। इसे पीएम मोदी की इच्छा शक्ति और दृढ़ता ही कहा जाएगा कि अपने गृह प्रदेश से राजनीति की नई शुरुआत की है। कांग्रेस भले ही गुजरात के बदलाव की आलोचना करें, लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों में किस तरह खींचतान चल रही है, इसे भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी देख रहे हैं। कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व चाहते हुए भी राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ में कोई बदलाव नहीं कर पा रहा है। खुलेआम राष्ट्रीय नेतृत्व को चुनौती दी जा रही है। S.P.MITTAL BLOGGER (17-09-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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