कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल- प्रियंका के फैसलों पर मोहर लगी। अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं, मैं फुट टाइम प्रेसिडेंट हूं-सोनिया गांधी। बैठक में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का प्रभाव दिखा।
16 अक्टूबर को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में कांग्रेस के असंतुष्ट माने जाने वाले जी 23 समूह के नेताओं ने भी भाग लिया। पिछले दिनों पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और हटा कर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर जी 23 समूह के नेताओं ने सवाल उठाया था कि वर्किंग कमेटी की बैठक के बगैर कांग्रेस में इतने बड़े निर्णय कौन ले रहा है? ऐसे नेताओं का कहना रहा कि श्रीमती सोनिया गांधी तो अंतरिम अध्यक्ष हैं। ऐसे सभी सवालों का जवाब देते हुए बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि मैं कांग्रेस की फुल टाइम प्रेसिंडेंट हूं और संगठन के सारे निर्णय मेरी सहमति से हो रहे हैं। श्रीमती गांधी ने कहा कि यदि किसी को ऐतराज है तो मीडिया के माध्यम से बात करने के बजाए सीधे मुझ से बात की जाए। उन्होंने कहा कि संगठन में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि कांग्रेस एकजुट रहती है तो हम देश का हर चुनाव जीत सकते हैं। इसके साथ ही सोनिया गांधी ने अक्टूबर माह से ही संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नवंबर 2022 तक कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी ने जिस अंदाज में भाषण दिया उससे जाहिर था कि वे असंतुष्ट नेताओं के दबाव में नहीं है। पिछले दिनों हुए फैसलों की जिम्मेदारी लेने का मतलब है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पंजाब को लेकर जो निर्णय लिए उन पर भी वर्किंग कमेटी मोहर लग गई है। अब असंतुष्ट नेता चाहे कुछ भी कहें, लेकिन सोनिया गांधी ने अपनी बात पूरे आत्मविश्वास के साथ रखी है। फैसले भले राहुल-प्रियंका ले, लेकिन जिम्मेदारी सोनिया गांधी ले रही है। इससे यह भी जाहिर है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने का निर्णय भी सोनिया गांधी की सहमति से लिया गया।गहलोत का प्रभाव:कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का प्रभाव साफ देखने को मिला। देश में इस समय तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। बैठक में तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे, लेकिन राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का प्रभाव अलग ही देखने को मिला। छत्तीसगढ़ और पंजाब के मुख्यमंत्री क्रमश: भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नी गहलोत के मुकाबले बहुत जूनियर हैं। बैठक में वर्किंग कमेटी के जो सदस्य मौजूद रहे, उनमें से अधिकांश सांसद ही नहीं है। बैठक में सबसे शक्तिशाली नेता के तौर पर गहलोत ही नजर आए। सूत्रों की माने तो सोनिया गांधी का आरंभिक संबोधन भी गहलोत की सोच से तैयार हुआ है। बैठक में जब कांग्रेस के नए अध्यक्ष की चुनाव की घोषणा हो चुकी थी, उसके बाद अशोक गहलोत ने प्रस्ताव रखा कि राहुल गांधी को नया अध्यक्ष बनाया जाए। इस प्रस्ताव का असंतुष्ट समूह के नेताओं ने भी समर्थन किया। सूत्रों की माने तो बैठक से पहले सीएम गहलोत ने जी 23 समूह के नेताओं से भी संवाद किया था। इसी का नतीजा रहा कि गहलोत ने जब राहुल गांधी के नाम का प्रस्ताव किया तो किसी ने भी एतराज नहीं किया। यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में राहुल गांधी को ही कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था। लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। अब जो हालात बन रहे हैं उसमें एक बार फिर राहुल गांधी ही कांग्रेस के नए अध्यक्ष बनेंगे। सूत्रों के अनुसार गहलोत ने जिस चतुराई से राहुल गांधी का नाम प्रस्तावित किया, उससे राजस्थान की राजनीति पर भी असर पड़ेगा। राजस्थान में गहलोत के प्रतिद्वंदी पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की मुलाकात पिछले दिनों कई बार राहुल गांधी से हो चुकी है। राहुल गांधी भी चाहते हैं कि पायलट और उनके समर्थकों को सरकार और संगठन में भागीदार बनाया जाए। यह बात अलग है कि गहलोत इसके पक्ष में नहीं है। राहुल गांधी के नाम का प्रस्ताव कर गहलोत ने राहुल गांधी को खुश करने का बड़ा काम किया है। अब देखना है कि सचिन पायलट को प्रदेश में कितना महत्व मिलता है। S.P.MITTAL BLOGGER (16-10-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511