कश्मीर में हिन्दुओं की हत्याओं पर क्यों चुप हैं धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार?
अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य होने लगी । 1990 के दशक में आतंक के भय से जो हिन्दू कश्मीर में सब कुछ छोड़कर गए थे, वे भी अपनी संपत्तियों पर फिर से काबिज होने लगे। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाली कश्मीर घाटी में पर्यटकों की संख्या भी बढ़ने लगी है। यही वजह रही कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान से मजदूर वर्ग रोजी रोटी के लिए कश्मीर पहुंच गया। लेकिन यह स्थिति उन आतंकियों को पसंद नहीं आई जो कश्मीर को सिर्फ मुसलमानों का मानते हैं। यही वजह रही कि अब कश्मीर में हिन्दुओं की हत्याएं की जा रही है। हिन्दुओं में एक बार फिर दहशत का माहौल है। मजदूर वर्ग के लोग कश्मीर छोड़ रहे हैं। कई मौकों पर हमारे देश के नेता धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देते हैं। ऐसे नेताओं का कहना होता है कि संविधान में भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बताया गया है, इसलिए सभी धर्मों के लोगों को अपने धर्म के अनुरूप रहने की छूट है। इस कानून संमत बात को ध्यान में रखते हुए ही राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से गरीब लोग रोजी रोटी के लिए कश्मीर गए थे, लेकिन अब आतंकी ऐसे हिन्दुओं की हत्या कर रहे हैं। सवाल उठता है कि धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार कहां हैं? क्यों नहीं उन आतंकियों के खिलाफ आवाज उठाई जाती है जो चुन चुन कर हिंदुओं को मैत के घाट उतार रहे हैं। देश में जब कभी सिविल कोड, जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की बात कही जाती है तो धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देकर ऐसा कानून का विरोध किया जाता है, लेकिन अब जब कश्मीर में हिन्दुओं को मारा जा रहा है, तब धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार चुप हैं। क्या यह नेताओं का दोहरा चरित्र नहीं है? विपक्ष में बेठे कुछ नेता कह रहे हैं कि कश्मीर के मौजूदा हालातों के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं। ऐसे नेता बताएं कि मोदी सरकार ने ऐसा क्या किया, जिसकी वजह से हिन्दुओं को मारा जा रहा है? अनुच्छेद 370 के हटने के बाद ही कश्मीर में सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी रुकी। पंचायती राज के चुनाव से ग्रामीण वर्ग को सत्ता में भागीदारी मिली। कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी भी कश्मीर जाकर कांग्रेस संगठन को मजबूत कर रहे हैं। श्रीनगर के जिस लाल चौक पर आए दिन पाकिस्तान का झंडा लहराता था, अब वहां शान से तिरंगा लहरा रहा है। कश्मीरियों को भी रोजगार मिलने लगा है। आतंकवाद पर भी अंकुश लगा। कश्मीर में विकास और अमन चैन के लिए जो नीतियां बनाई गई वे बेकार थीं? असल में विपक्ष के नेता अपने राजनीतिक स्वार्थ के खातिर मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। देश की एकता और अखंडता के लिए जो कुछ भी किया जाना चाहिए, वह मोदी सरकार कर रही है। लेकिन ऐ कार्य उन लोगों को रास नहीं आ रहे है जो चुनाव में लगातार हार रहे हैं। भारत में लोकतंत्र है और लोकतंत्र में यदि कोई सरकार जन विरोधी काम करती है तो जनता उसे पलट देती है। मोदी सरकार ने यदि कोई गलती की है तो 2024 के चुनाव में देश की जनता मोदी सरकार को हटा देगी, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ राजनीतिक दल डंडे के बल पर मोदी सरकार को 2024 से पहले ही हटाने को उतावले हैं। ऐसे नेता दूसरों के आंदोलनों में खुद की राजनीति चमकाने में लगे रहते हैं। ऐसे नेता अच्छी तरह समझ लें कि यदि कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या होती रही तो वे चुनाव में जीत हासिल नहीं कर पाएंगे। जब हमारे ही देश में हिन्दुओं को मारा जाएगा और फिर धर्मनिरपेक्षता की दुहाई दी जाएगी तो लोगों में नाराजगी बढ़ेगी ही। धर्मनिरपेक्षता का नारा तभी अच्छा लगता है, जब सभी धर्मों के लोगों का सम्मान किया जाए। ऐसा नहीं हो सकता कि कश्मीर में हिन्दुओं को मारा जाए और फिर भी भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र माना जाए। S.P.MITTAL BLOGGER (19-10-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511