तो मुख्यमंत्री के सलाहकारों की स्थिति फारुख अफरीदी और लोकेंद्र शर्मा जैसी ही होगी। इसलिए सलाहकार बनने में विधायकों की रुचि नहीं है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि उन्होंने भले ही 6 विधायकों को अपना सलाहकार घोषित कर दिया हो, लेकिन ऐसे विधायकों के कोई सरकारी आदेश नहीं निकाले हैं। मैं मुख्यमंत्री हूं और किसी भी व्यक्ति का अपना सलाहकार नियुक्त कर सकता हंू। मैं सरकार चला रहा हूं और मुझे भी नियम कायदों की जानकारी है। मंत्रिमंडल में तीन मंत्रियों की नियुक्ति के बाद किसी भी विधायक को लाभ का पद नहीं दिया जा सकता। इसमें कोई दो राय नहीं कि अशोक गहलोत बहुत चतुर मुख्यमंत्री हैं, तभी तो मंत्रिमंडल फेरबदल वाले दिन ही 6 विधायकों को मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाने की घोषणा भी कर दी। इन विधायकों ने अखबारों में छपी खबर के आधार पर ही स्वयं को मंत्री मान लिया। सलाहकार बने विधायकों के अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मंत्री के तौर पर स्वागत समारोह भी होने लगे। अखबारों में खबरें भी छपी, लेकिन तब किसी ने नहीं कहा कि सलाहकारों को मंत्री का दर्जा नहीं मिलेगा। वाकई ऐसी चतुराई अशोक गहलोत ही कर सकते हैं। लेकिन जब राज्यपाल ने सलाहकारों की नियुक्ति का जवाब तलब किया तो 28 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गहलोत का कहना पड़ा कि सलाहकारों के कोई सरकारी आदेश नहीं है। यानी जिन 6 विधायकों को मुख्यमंत्री का सलाहकार घोषित किया गया, उन्हें वे ही सुविधाएं मिलेंगी जो एक विधायक को मिलती है। यानी मंत्री वाली सुविधा सलाहकारों को नहीं मिलेंगी। सवाल उठता है कि फिर सलाहकार बनने का क्या फायदा? सीएम गहलोत ने इससे पहले जनसंपर्क सेवा के रिटायर्ड अधिकारी फारुख अफरीदी और सोशल मीडिया के जानकार लोकेंद्र शर्मा को भी अपना ओएसडी घोषित कर रखा है। इन दोनों ओएसडी को भी सरकार से कोई सुविधा नहीं मिलती, लेकिन मुख्यमंत्री का ओएसडी होने का रुतबा तो है ही। जबकि विधायकों का रुतबा तो पहले ही बहुत होता है। अब देखना होगा कि सलाहकार बने विधायकों की क्या प्रतिक्रिया होती है। 28 नवंबर तक तो ऐसे सलाहकार स्वयं को मंत्री ही मान रहे थे। अच्छा हुआ कि सीएम ने जल्द ही गलतफहमी दूर कर दी। अब संसदीय सचिव का आकर्षण भी खत्म हो गया है। क्योंकि संसदीय सचिवों को भी सरकार से कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं दी जा सकती है। ऐसे में देखना होगा कि जिन विधायकों को मंत्री नहीं बनाया गया है, उन्हें किस प्रकार संतुष्ट किया जाता है। सीएम गहलोत को विधायकों को संतुष्ट करने की सब तरकीब आती है। राज्यमंत्री की शपथ लेने के बाद भी संतुष्ट नहीं होने वाले विधायक राजेंद्र सिंह गुढा की कड़वी बातों का भी गहलोत बुरा नहीं मान रहे हैं। मालूम हो कि गुढा ने अभी तक भी आवंटित विभागों का कार्यग्रहण नहीं किया है। S.P.MITTAL BLOGGER (29-11-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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