राजस्थान लोक सेवा आयोग सूचना आयोग जैसे संस्थानों के सदस्यों को भी अब पेंशन मिलेगी। परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र आउट होने से सरकार की छवि भी खराब होती है-सीएम अशोक गहलोत। कार्यकाल समाप्त होने से तीन दिन पहले सरकारी भर्तियों की प्रक्रिया में सुधार के सुझाव दिए-भूपेंद्र यादव ने।

29 नवंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अजमेर स्थित राजस्थान लोक सेवा आयोग के नए ब्लॉक का शिलान्यास किया। इस नए ब्लॉक पर 3 करोड़ 73 लाख की राशि खर्च की जाएगी। इससे आयोग के कामकाज को और गति मिलेगी। सीएम ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शिलान्यास किया और शिलान्यास समारोह को संबोधित भी किया। सीएम ने अपने अंदाज में कहा कि यह शिलान्यास समारोह नहीं बल्कि आयोग के अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र यादव का विदाई समारोह भी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि डॉ. यादव करीब 14 माह तक आयोग में काम करने के बाद 2 दिसंबर को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। सीएम गहलोत ने डॉ. यादव के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। समारोह में गहलोत ने कहा कि राजस्थान लोक सेवा आयोग सूचना आयोग जैसे संस्थानों में सदस्य के तौर पर सेवाएं देने वालों को पेंशन देने को लेकर बार बार आग्रह आ रहे हैं। उन्होंने माना कि सरकारी अधिकारी जब आयोग में सदस्य बनते हैं तो उन्हें सरकार की पेंशन मिलती है। लेकिन जब गैर सरकारी सदस्य मुक्त होते हैं तो उन्हें पेंशन नहीं मिलती। आयोग ने नियुक्त होने के बाद दूसरी नौकरी भी संभव नहीं होती है। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे सदस्यों को पेंशन देने के प्रस्ताव पर सहमत हंू। सरकार जल्द ही पेंशन की राशि का निर्धारण करेगी। सीएम ने कहा कि कि राज्य लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका है। सरकारी नौकरियां देने में इन दोनों ही संस्थानों को ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम करने की जरूरत है। जब कभी परीक्षा से पूर्व प्रश्न पत्र लीक होने की खबरें आती हैं तो इससे सरकार की छवि भी खराब होती है। गहलोत ने कहा कि परीक्षा की प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए कि ताकि परीक्षार्थी को विश्वास हो सके। गहलोत ने माना कि आयोग की भर्तियों का वार्षिक कैलेंडर होना चाहिए, लेकिन यह तभी संभव है जब राज्य सरकार भी भर्तियों के बारे में सही समय पर आवेदन भेजे। इस विषय पर विचार विमर्श करने की जरूरत है। गहलोत ने बताया कि उनके कार्यकाल में अब तक एक लाख 92 हजार नौकरियां दी जा चुकी हैं। गहलोत ने कहा कि सरकारी कार्मिकों की पदोन्नति को लेकर होने वाली डीपीसी पर कई  बार विवाद की स्थिति होती है। उन्होंने कहा कि यह कोई अहम का मुद्दा नहीं है। अब तक डीपीसी आयोग के अजमेर स्थित मुख्यालय पर ही होती रही हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि आयोग का एक स्थान जयपुर स्थित सचिवालय परिसर में निर्धारित हो, क्योंकि डीपीसी में सरकार के बड़े अधिकारियों को भी शामिल होना होता है, इसलिए यदि सचिवालय परिसर में आयोग का दफ्तर होगा तो डीपीसी की बैठकें आसानी से हो सकेगी। इसके लिए जयपुर में आयोग का स्थाई स्टाफ भी नियुक्त किया जा सकता है। इससे पहले समारोह में मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि आयोग में परीक्षार्थी का मूल्यांकन मौलिक आधार पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक ही विषय पर दो जांचकर्ताओं का नजरिया अलग अलग हो सकता है। एक जांचकर्ता परीक्षार्थी को दस में से 6 नंबर जबकि दूसरा जांचकर्ता 8 नंबर देता है। आयोग में ऐसी प्रक्रिया होनी चाहिए ताकि जांच का दायरा एक समान हो। आर्य ने कहा कि कई बार साक्षात्कार के समय अभ्यर्थी अपनी योग्यता के अनुरूप जवाब नहीं दे पाता है। उसे साक्षात्कार का माहौल  भय वाला लगता है। ऐसे में आयोग को चाहिए कि साक्षात्कार की  प्रक्रिया  को अभ्यर्थी के अनुकूल बनाया जाए। आर्य ने कहा कि आयोग के सदस्य कई बार यह मांग कर चुके हैं कि उनका स्तर हाईकोर्ट के जज के बराबर किए जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार को निर्णय लेना है।  
यादव ने दिए सुझाव:
आयोग के अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र यादव ने आयोग के कामकाज की जानकारी देते हुए भर्ती प्रक्रिया में सुझाव भी दिए। उन्होंने बताया कि अभी आयोग में तीन प्रकार से चयन होता है। प्रथम मेरिट, द्वितीय लिखित परीक्षा और साक्षात्कार तथा तृतीय सिर्फ साक्षात्कार। यादव ने कहा कि इन तीनों प्रक्रियाओं में सुधार की जरूरत है। ताकि अधिक से अधिक योग्य व्यक्ति का चयन हो सके। उन्होंने कहा कि यूपीएससी की तरह आयोग का वार्षिक कैलेंडर तभी बन सकता है, जब सरकार से निर्धारित समय पर भर्तियों की स्वीकृति प्राप्त हो। 
S.P.MITTAL BLOGGER (29-11-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511

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