राजस्थान में मोहनलाल सुखाडिय़ा के बाद अशोक गहलोत का मुख्यमंत्री का कार्यकाल सबसे ज्यादा। तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहे हरि देव जोशी और भैरो सिंह शेखावत को भी पीछे छोड़ा। लेकिन मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत कांग्रेस सरकार रिपिट करवाने में सफल नहीं।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में 12 दिसंबर को कांग्रेस की राष्ट्रीय रैली हो रही है। इस रैली में गांधी परिवार के तीन प्रमुख सदस्य श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी उपस्थित रहेंगी। इस रैली के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में मोहनलाल सुखाडिय़ा के बाद सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का जश्न भी मना सकते हैं। गहलोत 6 मुख्यमंत्रियों में से अकेले हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर 13 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है। अगले दो वर्ष भी गहलोत के ही मुख्यमंत्री रहने की संभावना है, इसलिए गहलोत का 15 वर्ष का कार्यकाल हो जाएगा, लेकिन यह 15 वर्ष का कार्यकाल मोहनलाल सुखाडिय़ा के 17 वर्ष के कार्यकाल से कम होगा। हालांकि गहलोत ने घोषणा की है कि वे 2023 में होने वाले चुनाव के बाद भी मुख्यमंत्री बनेंगे। यदि गहलोत दिसंबर 23 में चौथी बार मुख्यमंत्री बन कर पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हैं तो फिर वे सुखाडिय़ा को भी पीछे छोड़ देंगे। लेकिन अब तक का रिकॉर्ड रहा है कि अशोक गहलोत जब जब मुख्यमंत्री बने हैं, तब तब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट नहीं हुई है। गहलोत पहली बार 1998 से 2003 तक और 2008 से 2013 तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन दोनों ही बार कांग्रेस की बुरी हार हुई। 2003 में तो 200 में से 56 तथा 2013 में मात्र 21 सीटें मिली। गहलोत अभी इन दिनों प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान चला रहे हैं, ऐसे अभियान गहलोत ने दोनों कार्यकालों में चलाएं हैं, लेकिन दोनों ही बार प्रदेश की जनता ने कांग्रेस और अशोक गहलोत के नेतृत्व को नकार दिया है। लेकिन यह सही है कि गहलोत को अल्पमत की सरकार चलाने का अच्छा अनुभव हो गया है। 2008 में भी बसपा के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाया और 2018 के बाद भी ऐसा ही किया। अपनी सरकार को बहुमत में लाने के लिए गहलोत राजनीति की हर चाल चलते हैं। इसमें आदर्शवाद और नैतिकता का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है। जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 विधायक दिल्ली चले गए, तब भी गहलोत ने अपनी सरकार को बचाए रखा। विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राजभवन का घेराव तक किया गया। गहलोत के नेतृत्व में राजभवन के अंदर धरना तक दिया गया। हालांकि जुलाई 2020 में कांग्रेस में सियासी संकट सचिन पायलट के दिल्ली जाने के कारण आया था, लेकिन अशोक गहलोत इस संकट को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा सरकार गिराने के प्रयास मानते हैं। इसके लिए डेढ़ साल बाद भी अमित शाह को कोसते हैं। यह बात अलग है कि दिल्ली जाने वाले 19 विधायकों में से पांच को मंत्री बना लिया है।जोशी और शेखावत तीन-तीन बार सीएम रहे:यूं तो हरिदेव जोशी कांग्रेस और भैरो सिंह शेखावत विपक्षी सरकारों के तीन तीन बार मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन ये दोनों ही दिग्गज राजनेता मुख्यमंत्री के तौर 10 वर्ष का कार्यकाल ही पूरा नहीं कर पाए। शेखावत पहली बार 1977 में संयुक्त विपक्ष जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 1980 में केंद्र में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार बनने पर शेखावत की सरकार धराशायी हो गई। शेखावत ने 1990 में भाजपा सरकार के फिर से मुख्यमंत्री बने तो 1992 में अयोध्या विवाद में शेखावत की सरकार बर्खास्त कर दिया गया। शेखावत जब 1993 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने तभी अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर सके। इसी प्रकार हरिदेशी जोशी भी तीन बार सीएम बने, लेकिन तीनों ही बार पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। कांग्रेस आला कमान ने जब चाहा तब जोशी को सीएम बनाया और जब चाहा तब जोशी को सीएम पद से हटा दिया। 1989 में बीमारी की हालत में जोशी को सीएम बनाया गया। जगन्नाथ पहाडिय़ा भी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन हाडिय़ा को एक वर्ष में ही हटा दिया गया। शिवचरण माथुर दो बार कंग्रेस सरकार के सीएम बने, लेकिन दोनों ही बार पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ। माथुर कुल मिलाकर करीब 6 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे। माथुर जब मुख्यमंत्री रहे, तभी अशोक गहलोत प्रदेश के गृहमंत्री बने थे। भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी दो बार सीएम बनी और दोनों ही बार पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया लेकिन राजे ने भी गहलोत वाली परंपरा को ही निभाया। राजे भी मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेश में भाजा को रिपीट नहीं कर पाईं। पिछले 20 वर्षों से मुख्यमंत्री की कुर्सी का आदान-प्रदान वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत के बीच ही हो रहा है। राजे 2003 से 2007 तथा 2013 से 2017 के बीच मुख्यमंत्री रहीं। जयनारायण व्यास को राजस्थान का प्रथम मुख्ममंत्री बनने का श्रेय मिला, लेकिन व्यास मात्र दो वर्ष ही मुख्यमंत्री रह पाए। अशोक गहलोत के समर्थक इस बात से खुश हो सकते हैं कि गहलोत दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री हैं। सुखाडिय़ा 1959 में सीएम बने थे जो 1967 तक रहे। यानी लगातार 12 वर्ष फिर 1967 से 1971 तक पांच वर्ष कार्यकाल पूरा किया। बाद में आलामकान ने सुखाडिय़ा को सक्रिय राजनीति से हटा कर राज्यपाल बना दिया। S.P.MITTAL BLOGGER (08-12-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511