आखिर एक इत्र कारोबारी के पास इतना काला धन जनरेट कैसे हुआ? क्या इसमें टैक्स वसूली वाले विभागों की भी मिलीभगत है? क्या नोटबंदी और जीएसटी के बाद भी काला धन जमा हो रहा है?
उत्तर प्रदेश के कानपुर और कन्नौज के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों से अब तक 300 करोड़ रुपए नकद और 200 किलो से भी ज्यादा सोना चांदी मिल चुका है। जिस तरह एक कारोबारी के यहां से इतनी धन दौलत मिली है, उससे यह सवाल उठता है कि इतना काला धन जनरेट कैसे हुआ? क्या टैक्स वसूली में अभी भी खामियां हैं, जिसका फायदा उठाकर एक कारोबारी अपने घर में 300 करोड़ रुपए के नोट भर लेता है? सरकार ने आयकर में अनेक संशोधन किए तथा टैक्स चोरी को रोकने के लिए देशभर में जीएसटी सिस्टम लागू किया गया। इन नियम कायदों की वजह से आम कारोबारी को परेशानी भी हो रही है। छोटे कारोबारी के टैक्स की चोरी करना मुश्किल है। बैंकों के नए नए कानून बना दिए हैं।पेन कार्ड को आधार से लिंक कर आम व्यक्ति के सभी बैंक अकाउंट एक नजर में रखे गए हैं। 50-50 हजार रुपए की राशि पर भी नजर रखी जा रही है। यदि कोई व्यक्ति स्कूटर भी खरीदता है तो आयकर विभाग को पता चल जाता है। जिस व्यक्ति के पास कितनी संपत्ति है इसकी संपूर्ण जानकारी आयकर विभाग के पास होती है। साधारण कारोबारी भी अब पूरी जानकारी प्रतिवर्ष आयकर विभाग को दे रहा है। बेनामी संपत्तियों पर भी सरकार ने प्रदत्त कानून बना दिए हैं। ऐसे बेईमानी करना मुश्किल है। केंद्र सरकार ने जब नोटबंदी की थी, तब यह भी दावा किया गया था कि इससे काला धन बाहर आएगा तथा भविष्य में कालाधन जर्नेट नहीं होगा। इसलिए एक हजार और पांच सौ के नोट बंद कर दिए। हालांकि बाद में सरकार ने दो हजार और पांच सौ के नए नोट जारी किए, लेकिन तब यह कहा गया कि इन नोटों का हिसाब किताब रहेगा, लेकिन एक इत्र कारोबारी के यहां से 300 करोड़ रुपए नकद मिलना यह बताता है कि सरकार के वित्तीय सिस्टम में छेद है। पीयूष जैन के ठिकानों से 2 हजार के नोट नहीं, बल्कि पांच सौ वाले नोट मिले हैं। आखिर इतने नोट अकेले एक कारोबारी ने कैसे जमा कर लिए? कानपुर तो देश का बड़ा शहर है। जब इत्र कारोबारी पांच पांच सौ के नोट जमा कर रहा था, तब आयकर और जीएसटी वालों को भनक नहीं लगी? सब जानते हैं कि देश के प्रमुख गुटखा निर्माता कानपुर के ही है और गुटखे के निर्माण में कन्नौज के परफ्यूम की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस खुली जानकारी के बाद भी उत्तर प्रदेश में तैनात आयकर और जीएसटी विभागों के अधिकारी आंखे बंद कर बैठे रहे। पीयूष जैन को यूपी के अधिकारियों ने नहीं पकड़ा है। विगत दिनों गुजरात के जीएसटी इंटेलिजेंस विंग ने गुटखे से भरे दो ट्रक पकड़े थे, जो बिना ई बिल के थे। ट्रकों के ड्राइवरों से ही पीयूष जैन के बारे में पता चला। पीयूष जैन अब जीएसटी और आयकर विभाग के अधिकारियों के कब्जे में है। पीयूष ने बता दिया है कि 300 करोड़ रुपए की नगदी और 200 किलो सोना चांदी किन किन गुटखा निर्माताओं का है। अब देखना है कि संबंधित अधिकारी गुटखा निर्माताओं के यहां कब कार्यवाही करते है।
S.P.MITTAL BLOGGER (28-12-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9799123137To Contact- 9829071511