भीम आर्मी की पहल पर राजस्थान के भरतपुर के सैह गांव के सैकड़ों दलितों ने परिवार के साथ पलायन किया। दलितों के वोटों पर राजनीति करने वाले खामोश। पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की अपील भी बेअसर।

19 अप्रैल को राजस्थान के भरतपुर के सैह गांव के सैकड़ों दलितों ने पूरे परिवार के साथ गांव से पलायन कर दिया। पलायन करने वाले दलित परिवार धीरे धीरे भरतपुर के जिला मुख्यालय पर एकत्रित हो रहे हैं। दलितों ने अपने गले में तख्ती लटका रखी है, जिसमें लिखा है कि हम अत्याचार सहन नहीं कर सकते हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार गांव से दलितों के पलायन के पीछे भीम आर्मी की पहल रही है। 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती पर दो समुदायों में जो विवाद हुआ था, उसको लेकर प्रशासन समझाइश कर रहा था, लेकिन पिछले दो दिनों से भीम आर्मी के कार्यकर्ता सक्रिय हुए और उन्होंने 19 अप्रैल को गांव से बड़ी संख्या में दलितों का पलायन करवा दिया। भीषण गर्मी में दलित समुदाय के लोग अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ भरतपुर की पैदल कूच कर रहे हैं। दलितों का कहना है कि समुदाय विशेष के लोग बेवजह उनके साथ मारपीट करते हैं। इस स्थिति में अब गांव में रहना मुश्किल हो रहा है। जानकारों की मानें तो 14 अप्रैल को जो विवाद हुआ उसे प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं को सक्रिय होने का अवसर मिल गया। लेकिन इस मामले में खास बात यह है कि जो लोग दलितों के वोट पर राजनीति करते हैं वे खामोश है। किसी भी राजनेता ने दलितों के जख्मों को सहलाने का काम नहीं किया। हालांकि भरतपुर के कांग्रेसी विधायक और प्रदेश के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने दलितों से पलायन न करने की अपील की, लेकिन विश्वेंद्र सिंह की इस अपील का दलित समुदाय पर कोई असर नहीं हुआ। वहीं भाजपा के प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा ने कहा है कि कांग्रेस सरकार की नीतियों के कारण ही दलित समुदाय के पायलट हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि करौली के दंगाइयों पर सख्त कार्यवाही हो जाती तो भरतपुर के सैह गांव से दलित समुदाय को पलायन नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तुष्टीकरण की जो नीति अपनाई है, उसी का परिणाम है कि लोगों को अपने गांव से पलायन करना पड़ रहा है। 
 
S.P.MITTAL BLOGGER (19-04-2022)
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