राजस्थान के सरकारी अस्पताल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मुफ्त इलाज हो सकता है, लेकिन आम नागरिक का नहीं। अजमेर संभाग का सबसे बड़ा सरकारी जेएलएन अस्पताल मुख्यमंत्री के दावों को झुठला रहा है। मुख्यमंत्री बताएं कि ब्यावर के सरकारी अस्पताल में वायर के ओवरहीट होने से दो नवजात की मौत का जिम्मेदार कौन? लापरवाह चिकित्सकों पर कार्यवाही होगी-स्वास्थ्य मंत्री।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों हर सार्वजनिक समारोह में राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में होने वाले इलाज का जिक्र करते हैं। यह बताते हैं कि उन्हें एक कैंसर पीडि़त व्यक्ति मिला, उसने बताया कि सरकारी अस्पताल में उसका मुफ्त इलाज हुआ। उसे सिर्फ 247 रुपए टैक्सी किराए के खर्च करने पड़े। इस व्यक्ति ने इलाज पर सरकार का दो लाख रुपए का खर्च हुआ, लेकिन मरीज से एक रुपया भी नहीं लिया। सीएम गहलोत कहते हैं कि उन्होंने गत दिनों जयपुर के सरकारी एसएमएस अस्पताल में अपने हार्ट की एंजियोप्लास्टी करवाई थी। उनका इलाज भी मुफ्त हुआ। सीएम का दावा होता है कि सरकार अस्पतालों में मुफ्त इलाज की जो सुविधा राजस्थान में वैसी देश के किसी प्रदेश में नहीं है। अशोक गहलोत मुख्यमंत्री के पद पर हैं, इसलिए झूठ तो बोल नहीं सकते, लेकिन अजमेर संभाग का सबसे बड़ा जेएलएन अस्पताल मुख्यमंत्री के दावों को झुठला रहा है। 19 अप्रैल को अजमेर प्रदेश के सबसे बड़े अखबार राजस्थान पत्रिका में दावों की हकीकत शीर्ष से संवाददाता चंद्र प्रकाश जोशी की एक खोजपूर्ण खबर छपी है। इस खबर में अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. वीर बहादुर सिंह ने माना है कि दवाइयों की किल्लत है। चूंकि डॉ. सिंह गहलोत सरकार की मेहरबानी से सेवा विस्तार पर चल रहे हैं, इसलिए दवाइयों की कमी को ज्यादा गंभीर नहीं मान रहे हैं। जबकि जोशी की खबर बताती है कि भीषण गर्मी में अस्पताल में ग्लूकोज की बोतल तक नहीं है। भर्ती मरीजों को मजबूरन बाहर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है। नेहरू अस्पताल में अपनी माताजी को भर्ती कराने वाले नरेश ने डॉक्टर की लिखी पर्ची दिखाते हुए कहा कि ग्लूकोज की बोतल खरीदने बाहर जा रहा हंू। बडग़ांव निासी अमराराम ने बताया कि बच्चे को ताण की बीमारी का इलाज कराने के लिए भर्ती करवाया, लेकिन अस्पताल के डॉक्टर बाहर से ही दवाएं मंगा रहे हैं। होकरा निवासी राजेंद्र ने बताया कि गर्मी के दिनों में उल्टी दस्त होने के कारण बेटे हर्षित को भर्ती करवाया, लेकिन अस्पताल में संभाग के सबसे बडे जेएलएन अस्पताल में ओआरएस का घोल तक नहीं है। हमें बाजार से लाकर बच्चों को पिलाना पड़ रहा है। जेएलएन अस्पताल में भर्ती हर मरीज की यही स्थिति है। अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं, इसलिए उनके हार्ट की एंजियोप्लास्टी मुफ्त में हो सकती है, जेएलएन अस्पताल में हालात बद से बदतर हैं। अस्पताल में प्रतिदिन चार हजार मरीज अपने स्वास्थ्य की जांच कराने आते हैं तथा करीब एक हजार मरीज हमेशा से भर्ती रहते हैं। अस्पताल में 12 दवा काउंटर है, लेकिन इन काउंटरों पर मरीजों को दवा नहीं मिलती। मजबूरी परिजन अस्पताल के बाहर निजी दुकानों से दवा खरीदनी पड़ती है। यदि सरकारी अस्पतालों में वाकई मुफ्त इलाज होता तो अस्पताल के बाहर सभी मेडिकल स्टोर बंद हो जाने चाहिए, लेकिन मेडिकल स्टोरों की बिक्री लगातार बढ़ी है। असल में सीएम गहलोत को जमीनी हकीकत का पता नहीं है। सीएम के आसपास ऐसे चापलूसों का घेरा है जो हकीकत सामने आने नहीं देते। इन चापलूसों ने ही गहलोत को सरकार के रिपीट होने का सपना दिखा रहे हैं। नि:शुल्क दवा योजना ही नहीं बल्कि सरकार की सभी योजनाओं का यही हाल है। गहलोत के मंत्रियों का घमंड सातवें आसमान पर हैं।
 
नवजात बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन:
18 अप्रैल की शाम को अजमेर जिले के ब्यावर उपखंड के अमृतकौर अस्पताल की न्यूज़ बोर्न केयर यूनिट में वार्मर में ओवरहीट होने से दो नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन मानता है कि बिजली सप्लाई में गड़बड़ी होने की वजह से यूनिट के 11 नंबर के वार्मर में ओवरहीट हो गई। 11 नंबर के वार्मर पर दो नवजात को भर्ती किया गया था। अस्पताल में 15 वार्मर है। एक वार्मर पर दो नवजात का इलाज होता है। 18 अप्रैल को 20 नवजात बच्चों का इलाज हो रहा था। सीएम गहलोत बताएं कि इन दोनों नवजात की मौत का जिम्मेदार कौन है? ब्यावर के सरकारी अस्पताल में एक साथ दो नवजातों की मौत का मामला भी सरकारी दावों की पोल खोलता है।
 
कार्यवाही होगी:
प्रदेश के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने ब्यावर अस्पताल में हुई दो बच्चों की मौत पर गहरा दुख जताया है। मीणा ने कहा कि 19 अप्रैल को ही जयपुर से शिशु रोग विशेषज्ञों की एक टीम ब्यावर पहुंच गई है और शाम तक टीम की रिपोर्ट आ जाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही लापरवाह चिकित्सा कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। 
 
S.P.MITTAL BLOGGER (19-04-2022)
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