तो क्या उत्तर प्रदेश की मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए मुसलमान नहीं आएंगे? 10 हजार मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए तथा 35 हजार मस्जिदों के लाउडस्पीकरों की आवाज धीमी की गई। अजान का मतलब नमाज के लिए बुलाना है। अब तो पांचों वक्त की नमाज के लिए अजान का मोबाइल एप भी आ गया है।

आपसी सहमति के बाद उत्तर प्रदेश की 10 हजार मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिए गए हैं तथा 35 हजार मस्जिदों के मौलानाओं ने स्वेच्छा से लाउडस्पीकर की आवाज को धीमा कर दिया है। उत्तर प्रदेश में यह सिलसिला लगातार जारी है। सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने की परंपरा भी उत्तर प्रदेश में समाप्त हो रही है। सब जानते हैं कि मस्जिदों में नमाज के लिए अजान की परंपरा है। अजान का मतलब लोगों को नमाज के लिए आमंत्रित करना है। इसीलिए मस्जिदों पर ऊंची आवाज वाले लाउडस्पीकर लगाकर अजान दी जाती है। लेकिन लाउडस्पीकर की आवाज से किसी अन्य को परेशान न हो इसलिए अब उत्तर प्रदेश की मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए जा रहे हैं या फिर आवाज को धीमा किया जा रहा है। सवाल उठता है कि इस व्यवस्था के बाद क्या मुसलमान मस्जिदों में नमाज पढ़ने नहीं आएंगे? असल में अजान एक सुविधा है। आमतौर पर किसी भी मस्जिद से नमाज लाउडस्पीकर के माध्यम से नहीं होती है। कई बार बिजली बंद होने अथवा अन्य कारणों से लाउडस्पीकर के जरिए अजान का ऐलान नहीं हो पाता है। जो लोग नमाज के प्रति पाबंद हैं, वे निश्चित समय पर मस्जिद में पहुंचकर नमाज अदा करते हैं। अजान हो या नहीं लेकिन फिर भी आसपास के लोग नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में आ ही जाते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश की मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने या फिर आवाज को कम करने के बाद मस्जिदों में नमाज पढ़ने पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बहुत से लोग अजान को सुनने के बाद भी नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में नहीं जाते हैं, लेकिन जिन्हें नमाज पढ़नी होती है वे अजान के बगैर भी नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में पहुंच जाते हैं। अब तो पांच वक्त की नमाज के लिए अजान का मोबाइल एप भी आ गया है, इस एप के माध्यम से निश्चित समय पर अजान को सुना जा सकता है। ऐसे बहुत से मुसलमान हैं जो अपने घरों पर ही नमाज अदा करते हैं। आमतौर पर मुसलमान नमाज के प्रति पाबंद रहता है। घर पर भी निश्चित समय पर नमाज पढ़ ली जाती है। लेकिन अब मोबाइल एप की वजह से नमाज पढ़ना और सुविधाजनक हो गया है। उत्तर प्रदेश के हाल ही के चुनाव में कई मौकों पर हिन्दू मुस्लिम विवाद देखने को मिला, लेकिन मौजूदा समय में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने और आवाज को कम करने को लेकर कोई विवाद नहीं हो रहा है। उत्तर प्रदेश का प्रशासन भी लाउडस्पीकर को हटाने अथवा आवाज को कम करने के लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर रहा है। आपसी समझाइश और सहमति के बाद लाउडस्पीकर की आवाज पर नियंत्रण किया जा रहा है। जिस लाउडस्पीकर को लेकर महाराष्ट्र में घमासान मचा हुआ है, वही लाउडस्पीकर उत्तर प्रदेश में नियंत्रित हो रहे हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का भी पालन किया जा रहा है। ऐसा नहीं कि उत्तर प्रदेश में ध्वनि प्रसारण नियंत्रण कानून सिर्फ मस्जिदों पर ही लागू हो रहा है। मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर पर भी ऐसा कानून लागू किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़े गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर के लाउडस्पीकर को भी नियंत्रित किया गया है। मंदिरों के पुजारी भी स्वेच्छा से माइक हटा रहे हैं या फिर आवाज को काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र में जो लोग लाउडस्पीकर को लेकर हंगामा कर रहे हैं उन्हें उत्तर प्रदेश से सबक लेना चाहिए। उत्तर प्रदेश ने यह दर्शा दिया है कि धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर समाज में कोई मुद्दा ही नहीं है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (28-04-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

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