सचिन पायलट ने गहलोत सरकार की प्रशंसा में एक शब्द भी नहीं कहा। सरकार रिपीट के सवाल पर बोले 2013 में कांग्रेस को मात्र 21 सीटें मिली थीं। कांग्रेस के विधायक भरत सिंह ने चिंतन शिविर से पहले गहलोत सरकार में फैले भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया।
12 मई को राजस्थान के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट के लंबे इंटरव्यू प्रकाशित हुए हैं। ऐसे इंटरव्यू 13 से 15 मई के बीच राजस्थान के उदयपुर में होने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय चिंतन शिविर से जुड़े हुए हैं। पायलट ने अपने इंटरव्यू में केंद्र सरकार की नीतियों की तो आलोचना की, लेकिन स्वयं के गृह प्रदेश राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार की प्रशंसा में एक शब्द भी नहीं कहा। सरकार रिपीट पर सीएम गहलोत के दावे पर पायलट ने कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि 2013 में कांग्रेस को 200 में से मात्र 21 सीटें मिली थीं। कांग्रेस के चिंतन शिविर के मद्देनजर गहलोत सरकार अपनी उपलब्धियों पर अखबारों में पूरे पृष्ठ के विज्ञापन दे रही है, लेकिन सरकार की उपलब्धियों पर पायलट ने कुछ नहीं कहा। पायलट कई बार कह चुके हैं कि सरकार रिपीट के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। मालूम हो कि राजस्थान में डेढ़ वर्ष बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस के चिंतन शिविर की तैयारियों में पायलट की कोई भूमिका नहीं है। तैयारियों का सारा जिम्मा खुद सीएम गहलोत ने ले रखा है। चिंतन शिविर के राष्ट्रीय स्तर पर जो 6 कमेटियां बनी है, उनमें से एक आर्थिक कमेटी का सदस्य पायलट को बनाया गया है। इस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को बनाया गया है। यानी यह कमेटी देश के आर्थिक हालातों पर शिविर में रिपोर्ट रखेगी। कमेटी का सदस्य होने के नाते पायलट कांग्रेस के शिविर में भाग ले सकेंगे। फिलहाल पायलट की स्थिति कांग्रेस में सिर्फ एक विधायक के तौर पर हे। जबकि पायलट 6 वर्षों तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। पायलट के अध्यक्ष रहते हुए ही 2018 में कांग्रेस को सरकार बनाने लायक बहुत मिला था, लेकिन तब हाईकमान ने पायलट के बाजए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया। तभी से दोनों नेताओं में खींचतान चल रही है। जहां सीएम गहलोत प्रदेश की राजनीति में पायलट को कोई महत्व नहीं दे रहे हैं, वहीं पायलट भी सरकार की कोई उपलब्धि नहीं गिना रहे। सीएम गहलोत अपनी सरकार के कामकाज की चाहे जितनी भी प्रशंसा करें, लेकिन पायलट हर बार 2013 में मिली 21 सीटों का जिक्र करते हैं। 2013 में गहलोत ही प्रदेश में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री थे। डेढ़ वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में गहलोत सरकार की वापसी के लिए पायलट कितनी भूमिका निभाएंगे, यह तो भविष्य में ही बताएगा, लेकिन यह सही है कि गहलोत के मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस सरकार कभी भी रिपीट नहीं हुई है। मौजूदा हालातों में अशोक गहलोत ही विधानसभा चुनावों तक मुख्यमंत्री रहेंगे। अभी यह भी पता नहीं है कि चुनाव में पायलट की क्या भूमिका होगी? जहां तक पायलट की लोकप्रियता का सवाल है तो वह अभी भी पूरे प्रदेश में बनी हुई है। पायलट जहां भी जाते हैं, वहां समर्थकों की भीड़ जुट जाती है। जबकि सरकार और संगठन में पायलट का कोई महत्व नहीं है। सीएम गहलोत आज भी 2019 के राजनीतिक संकट के लिए पायलट को ही दोषी मानते हैं।
विधायक ने उठाया भ्रष्टाचार का मुद्दा:
कोटा के सांगोद विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर हमला बोला है। 12 मई को भरत सिंह ने कहा कि कोटा क्षेत्र में जबर्दस्त भ्रष्टाचार फैला हुआ है। मुझे सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार खनन विभाग में नजर आ रहा है। मैंने भ्रष्टाचार के संबंध में कई बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आगाह किया है। कांग्रेस के चिंतन शिविर में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी चिंतन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोई चूहा मर जाता है तो उसकी बदबू नाक तक पहुंचती है, लेकिन मुझे लगता है कि राजस्थान में जिम्मेदार लोगों की नाक तक मरे हुए चूहे की बदबू नहीं पहुंच रही है। मैं चाहता हंू कि मरे हुए चूहे को हटाकर बदबू को दूर किया जाए। यहां उल्लेखनीय है कि भरत सिंह पहले भी सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा चुके हैं। लेकिन इस बार भरत सिंह ने यह मुद्दा तब उठाया है, जब चिंतन शिविर में भाग लेने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता 13 मई को उदयपुर पहुंच रहे हैं। भरत सिंह का ताजा बयान राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (12-05-2022)
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