काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत राजेंद्र तिवारी का बयान हिन्दू धर्म की उदारता ही दिखाता है। इसमें कट्टरपंथ की कोई जिद नहीं है। तिवारी ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग के होने पर सवाल उठाए हैं।

बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे के दौरान मिले हिन्दू धार्मिक प्रतीकों को लेकर इन दिनों न्यूज चैनलों पर चौबीस घंटे बहस हो रही है। बहस के कार्यक्रमों में मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं। इनमें मौलाना, मौलव, मुस्लिम स्कॉलर, विद्वान आदि भाग ले रहे हैं। सभी का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूदा स्थान पर ही कायम  रहनी चाहिए। मस्जिद के पक्ष में जो भी तर्क रखे जा सकते हैं वो रखे जा रहे हैं। एक भी मुस्लिम प्रतिनिधि ने मस्जिद में हिन्दू प्रतीक चिन्ह होना स्वीकार नहीं किया है। असदुद्दीन ओवैसी जैसे कट्टरपंथी नेता का तो कहना है कि कयामत तक ज्ञानवापी मस्जिद रहेगी। लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत परिवार के वरिष्ठ सदस्य महंत राजेंद्र तिवारी का कहना है कि बिना प्रमाणित हुए कैसे स्वीकार कर लिया जाए कि वहां शिवलिंग है। सुना है कि वहां एक गोल खंभे नुमा आकृति मिली है। काशी के दशाश्वमेध (राजेंद्र प्रसाद घाट) पर भी गोल खंभे हैं तो क्या उन्हें भी शिवलिंग मान लिया जाएगा। तिवारी का तर्क है कि मस्जिद के वजू खाने में मिली आकृति की सत्यता प्रमाणित होनी चाहिए। राजेंद्र तिवारी का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है कि वे काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत की भूमिका निभा रहे हैं। असल में यही हिन्दू धर्म की उदारता है। अपने धर्म को लेकर राजेंद्र तिवारी जैसे हिन्दू अपना पक्ष रखने को स्वतंत्र हैं। ऐसा नहीं कि इस बयान के बाद राजेंद्र तिवारी को महंत परिवार से बाहर कर दिया जाएगा। राजेंद्र तिवारी पहले की तरह मंदिर में महंत का धार्मिक कार्य करते रहेंगे। ऐसी उदारता और स्वतंत्रता अन्य धर्मों में देखने को नहीं मिलती है। धर्म के विरुद्ध तर्क रखने पर सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है। इतिहास गवाह है कि मोहम्मद गौरी से लेकर औरंगजेब तक ने काशी विश्वनाथ मंदिर को लूटा और क्षतिग्रस्त किया। 1669 में औरंगजेब के शासन में ही मंदिर परिसर में मस्जिद का निर्माण करवाया गया। मस्जिद की दीवारों पर आज भी हिन्दू धर्म के चिन्ह नजर आ रहे हैं। मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग होने के अनेक सबूत है, लेकिन फिर भी उसे फाउंटेन बताया जा रहा है। अभी तो सभी दावे बनारस की सेशन अदालत में ही है। देश में धर्म और आस्था की लड़ाई भी सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी जाती है। जब राजेंद्र तिवारी जैसे महंत पैरवी कर रहे हों तब नंदी महाराज को अपने प्रभु (शिवलिंग) के दर्शन कब होंगे, यह भगवान शिव ही जानते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-05-2022)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...