युवा मुसलमान अपने भविष्य का भी ख्याल करें। भड़काने वाले नेताओं के पुत्रों पर दर्ज नहीं होते मुकदमें। देश का माहौल खराब नहीं होना चाहिए, क्योंकि मुस्लिम राष्ट्रों से भी ज्यादा बेहतर तरीके से भारत में रह रहे हैं मुसलमान।

10 जून को जुमे की नमाज के बाद देश भर में हिंसक वारदात हुईं। देश के 14 राज्यों में एक साथ पत्थरबाजी, आगजनी और गोलाबारी की घटनाएं हुई। पुलिस वाहनों तक को आग के हवाले कर दिया। यह हिंसा उन मुस्लिम युवाओं ने की जो नमाज पढ़कर मस्जिदों से बाहर निकले। हिंसा के लिए उकसाने में मुस्लिम नेताओं का ही हाथ रहा। इस हिंसा के बाद भी अनेक मुस्लिम नेताओं ने माहौल खराब करने वाले बयान दिए हैं। लेकिन हिंसा करने वाले मुस्लिम युवकों को अपने भविष्य का भी ख्याल रखना चाहिए। संबंधित राज्यों की पुलिस अब वीडियो देखकर हिंसा करने वाले युवकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर रही है। यदि किसी युवक पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होता है तो उसे भविष्य में अनेक परेशानियां होती है। पुलिस और कोर्ट के चक्कर लगाने के साथ साथ सरकारी और गैर सरकारी नौकरी मिलने में भी परेशानी होती है। जेल में बंद रहने पर परिवार के सदस्य खास कर मां, बहन, बेटी परेशानी होती है। ऐसी सभी परेशानियां आम मुस्लिम को उठानी पड़ती है। कभी किसी नेता के पुत्र या निकट के रिश्तेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होता। पत्थर फेंकने और आगजनी करने वाले युवा मुसलमान पता कर लें कि उकसाने वाले नेताओं के पुत्र रिश्तेदार कहां पर हैं? नेताओं के बेटे-बेटियां या तो विदेश में पढ़ रहे होंगे या फिर अपना बड़ा कारोबार कर रहे होंगे। किसी नेता का पुत्र पत्थर फेंकते नहीं देखा जाता। क्या नेताओं के रिश्तेदारों की भावनाएं आहत नहीं होती?  मुस्लिम युवाओं को यह समझना होगा कि नेता अपने स्वार्थ के कारण उकसाते हैं। देश में कानून का राज है और यदि किसी ने गलती की है तो उसे कानून के मुताबिक सजा मिलेगी। लेकिन हिंसा करवाना समस्या का समाधान नहीं है। युवा मुसलमानों को यह बात भी समझनी चाहिए कि मुस्लिम राष्ट्रों से भी ज्यादा बेहतर तरीके से मुसलमान भारत में रह रहे हैं। मुसलमानों की प्रतिनिधि संस्था जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी का कहना है कि यह मुल्क मुसलमानों का है। सवाल उठता है कि जब यह  मुल्क  मुसलमानों का है तो फिर हिंसा क्यों करवाई जा रही है? क्या नेताओं को अपने मुल्क के कानून पर भरोसा नहीं है? यह भारत ही है जहां जुमे की नमाज के बाद हिंसा हो जाती है। इतनी छूट तो किसी मुस्लिम राष्ट्र में भी नहीं है। स्थानीय प्रशासन को पता होता है कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों से निकलने वाली भीड़ हिंसा करेगी, लेकिन किसी प्रशासन में इतनी हिम्मत नहीं कि नमाजियों को मस्जिद में आने से रोक सके। युवा मुसलमान को इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि वे भारत में पूरे अधिकार और मान सम्मान के साथ रह रहे हैं। जो अधिकार किसी अन्य धर्म के नागरिकों के पास हैं, वही अधिकार मुसलमानों के पास भी है। जब मुसलमानों को भी बराबर का अधिकार है, तब यह हिंसा क्यों हो रही है? इसके उलट मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में चुन चुन कर हिन्दुओं की हत्या की जा रही है। जो मुस्लिम नेता युवाओं को हिंसा के लिए भड़काते हैं वे कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या पर चुप रहते हैं। देश के आम नागरिक को भी ऐसे हालातों को समझना होगा। यदि अब भी राजनीतिक पैंतरेबाजी की जाती रही तो देश के हालात और खराब होंगे। जुमे की नमाज के बाद होने वाली हिंसा से देश में दहशत का माहौल है। S.P.MITTAL BLOGGER (11-06-2022)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

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