सनातन संस्कृति की रक्षार्थ अजमेर में हिन्दुओं की एकता का ऐतिहासिक प्रदर्शन। न कोई नेतृत्व न कोई नेता, फिर भी कलेक्ट्रेट पर 20 हजार से ज्यादा सनातनियों का जमावड़ा। अनुशासन में दिखा युवाओं का जोश और होश। साधु संतों ने राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन दिया। एसपी विकास शर्मा ने खुद संभाली व्यवस्थाएं।
26 जून 2022 का दिन अजमेर के लिए ऐतिहासिक माना जाएगा। आमतौर पर भीड़ किसी नेता, अभिनेता के नाम पर या फिर किराए पर लाई जाती है। पारिश्रमिक देने के बाद भी खाने पीने के इंतजाम तक किए जाते हैं, लेकिन 26 जून को सनातन संस्कृति की रक्षार्थ अजमेर में हिन्दू समुदाय ने एकता का ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। इसे सनातन संस्कृति की मजबूती ही कहा जाएगा कि बिना किसी नेतृत्व और नेता के लोग इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए। हालांकि शांति मार्च को सफल बनाने के लिए हिन्दू विचारधारा के कार्यकर्ता सक्रिय रहे, लेकिन किसी भी हिन्दूवादी संगठन ने अपने नाम की पहल नहीं की। यही वजह रही कि सनातन संस्कृति में विश्वास रखने वाले 20 हजार से भी ज्यादा सनातनी कलेक्ट्रेट पर एकत्रित हो गए। शांति मार्च प्रात: साढ़े नौ बजे मार्टिंडल ब्रिज स्थित परशुराम मंदिर से रवाना होकर कलेक्ट्रेट पहुंची। रास्ते में केसरगंज, पड़ाव, मदार गेट, गांधी भवन, कचहरी रोड पर व्यापारियों ने जगह जगह सनातनियों का स्वागत किया। कई स्थानों पर तो फूल बरसाए गए। हालांकि मार्च में नारे लगाने पर रोक थी, लेकिन फिर भी कुछ उत्साही युवकों ने जय श्रीराम के नारे लगाए। व्यापारियों ने स्वेच्छा से दोपहर 12 बजे तक अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। जो व्यापारी शांति मार्च में नहीं हो सका उसने अपने प्रतिष्ठान के बाहर खड़े होकर मार्च का स्वागत किया। यही वजह रही कि शांति मार्च के दौरान बाजारों में भी जबरदस्त भीड़ थी। यदि बाजारों में स्वागत करने वालों की संख्या भी जोड़ ली जाए तो ऐतिहासिक एकता के प्रदर्शन में सनातनियों की संख्या 50 हजार के पार हो जाएगी। शांति मार्च में शामिल होने के लिए युवाओं ने शुरू से ही उत्साह देखा गया। हजारों युवा सिर पर केसरिया साफा बांध कर मार्च में शामिल हुए। कोई 200 फीट लंबा तिरंगा भी शांति मार्च में प्रदर्शित किया गया। हजारों युवाओं के हाथ में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा देखा गया। कोई 20 हजार से भी ज्यादा सनातनी जब कलेक्ट्रेट पर पहुंचे तो भीड़ का सैलाब देखने को मिला। कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाए थे। पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा के नेतृत्व में पुलिस फोर्स तैनात थी। लेकिन किसी भी युवा ने अनुशासन को तोड़ने का प्रयास नहीं किया। पहले से जो सूची दी गई उसी के अनुसार साधु संतों का एक प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मिलने और ज्ञापन देने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में गया। साधु संत जब ज्ञापन दे रहे थे, तब कलेक्ट्रेट के बाहर हजारों सनातनियों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। जिन साधु संतों और हिन्दू समाज के प्रतिनिधियों ने ज्ञापन दिया उनमें स्वामी स्वरूपदास, स्वामी अनादि सरस्वती, स्वामी शत्रुघ्न दास, श्याम सुंदर शरण, विमल गर्ग, राम निवास चौधरी, नरेंद्र सिंह छाबड़ा, कालीचरण खंडेलवाल, डॉ. विष्णु चौधरी, शिखर चंद सिंघी, डॉ. अशोक मेघवाल, किशन गुर्जर (पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश), शिवरतन वैष्णव, सुदामा शर्मा, पुनीत ढिलवारी, सुशील सोनी, प्रभु लौंगानी, गिरधारी मंगल, सूरज नारायण लखोटिया, ओम प्रकाश विजयवर्गीय, किशनगढ़ गुप्ता, आनंद अरोड़ा, भोलानाथ आचार्य, त्रिलोक इंदौरा, नरेश मुदगल, सुनील दत्त जैन आदि शामिल रहे। राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में कहा गया कि इन दिनों देश में हिन्दू देवी देवताओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही है, जिससे हिन्दू समुदाय आहत है। जो लोग भारत की सनातन संस्कृति की छवि खराब कर रहे हैं उनके विरुद्ध कार्यवाही किए जाने की मांग की गई। शांति मार्च को सुप्रसिद्ध फोटोग्राफर दीपक शर्मा ने अपने कैमरे में अलग अलग एंगल से कैद किया है। शर्मा द्वारा तैयार किया गया वीडियो मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। शांति मार्च को सफल बनाने में भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल भी अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय देखे गए। इसी प्रकार बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के संभाग संयोजक और एकल विद्यालय के जिला अध्यक्ष सुभाष काबरा भी अपने समर्थकों के साथ शांति मार्च में शामिल हुए।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-06-2022)
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