जब राजनीतिक दखल नहीं होता है तो रीट की परीक्षा शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो जाती है। 15 लाख अभ्यर्थियों वाली परीक्षा को शांतिपूर्ण संपन्न करवाने के लिए राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण मंत्री और सचिव मेघना चौधरी को शाबाशी मिलनी चाहिए।
24 जुलाई को राजस्थान भर में रज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) छिटपुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। इस परीक्षा में करीब 15 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया। किसी भी परीक्षा केंद्र अथवा प्रश्न पत्र रखने वाले स्थान से प्रश्न पत्र आउट होने की खबर नहीं है। शांतिपूर्ण परीक्षा संपन्न होने से 15 लाख अभ्यर्थियों के साथ साथ उनके परिवार के 50 लाख सदस्यों ने भी राहत की सांस ली है। रीट की शांतिपूर्ण परीक्षा के लिए परीक्षा का आयोजन करने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण मंत्री (आईएएस) और सचिव मेघना चौधरी (आरएएस) को शाबाशी मिलनी चाहिए। दोनों अधिकारियों के आपसी तालमेल का ही नतीजा रहा कि बिना शोर गुल के 15 लाख अभ्यर्थियों की परीक्षा शांति के साथ हो गई। भले ही ये दोनों अधिकारी पिछले 10 दिनों से 24 में से मात्र 5 घंटे ही सोए हों। असल में इन दोनों अधिकारियों की काबिलियत की इसलिए चर्चा हो रही है कि गत बार हुई रीट परीक्षा का प्रश्न पत्र जयपुर के शिक्षा संकुल से आउट हो गया था, फलस्वरूप परीक्षा को रद्द करना पड़ा। जांच एजेंसियों ने माना कि प्रश्न पत्र 10-10 लाख रुपए में बिका। प्रदेश की जनता को याद होगा कि पिछली रीट परीक्षा में राजनीतिक दखल जबर्दस्त था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही नहीं बल्कि तत्कालीन स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग और खुद बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली श्रेय लेने की होड़ में शामिल थे। ऐसा लग रहा था कि कोई प्रतियोगी परीक्षा न होकर, सत्तारूढ़ दल का उत्सव हो रहा है। नकल रोकने का बहाना कर दो दिन पूरे प्रदेश में नेटबंदी भी की गई। यहां तक की परीक्षा की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस भी की। बोर्ड अध्यक्ष जारोली ने भी उछल कूद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहां तक कि राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े कॉलेज शिक्षकों की भी सेवाएं ली गई। हालांकि परीक्षा की मुख्य जिम्मेदारी स्कूली शिक्षा मंत्री डोटासरा की थी, लेकिन रीट की तैयारियों में तनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग भी कूद पड़े। चूंकि बहुत ज्यादा घालमेल थी, इसलिए रीट का प्रश्न पत्र जयपुर से आउट हो गया। बाद में सरकार को डीपी जारोली को बोर्ड के अध्यक्ष पद से भी बर्खास्त करना पड़ा। जारोली और सुभाष गर्ग ने ही राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े शिक्षकों की एंट्री रीट परीक्षा में करवाई थी। लेकिन इस बार न तो राजीव गांधी स्टडी सर्किल की एंट्री हुई और न ही प्रदेश भर में नेटबंदी करनी पड़ी। मौजूदा स्कूली शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने भी परीक्षा को लेकर कोई बयानबाजी नहीं की। सीएम गहलोत ने भी परीक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह बोर्ड अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण मंत्री और सचिव मेघना चौधरी पर सौंपी दी। परीक्षा में कोई राजनीतिक दखल नहीं होने का नतीजा ही है कि 15 लाख अभ्यर्थियों ने शांति के साथ रीट की परीक्षा दे दी। मालूम हो कि गत बार परीक्षा रद्द होने के बाद वरिष्ठ आईएएस लक्ष्मीनारायण मंत्री को बोर्ड का अध्यक्ष और वरिष्ठ आरएएस मेघना चौधरी को सचिव नियुक्त किया था। मेघना चौधरी भाजपा शासन में भी दो बार रीट की परीक्षा करवा चुकी हैं। मेघना के अनुभव को देखते हुए ही कांग्रेस सरकार ने भी मेघना को बोर्ड का सचिव नियुक्त किया। मंत्री और मेघना की नियुक्ति तब हुई जब प्रदेश भर में शिक्षा बोर्ड की थू-थू हो रही थी। असल में मेघना चौधरी को अध्यात्म पर भी बहुत भरोसा है। अपने अध्यात्म के बल पर भी मेघना हर चुनौती को पार कर जाती है। मेघना ने भी मीडिया में कोई बयानबाजी किए बगैर चुपचाप अपना काम किया और परीक्षा संपन्न करवा दी। शांतिपूर्ण तरीके से परीक्षा संपन्न होने से राज्य सरकार और बाद में खुद सीएम गहलोत ने भी राहत की सांस ली। रीट परीक्षा के परिणाम के बाद करीब 30 हजार युवाओं को शिक्षक की नौकरी मिल सकेगी।
S.P.MITTAL BLOGGER (24-07-2022)
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