अयोध्या में राम मंदिर के बनने और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने पर इतनी चिढ़ क्यों?
महबूबा मुफ्ती सहित देश के कई नेताओं ने रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति के कार्यकाल पर प्रतिकूल टिप्पणी की है। ऐसे नेताओं का कहना है कि कोविंद ने राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए भाजपा के एजेंडे को पूरा किया है। लेकिन ऐसे नेताओं ने यह नहीं बताया कि कोविंद ने राष्ट्रपति पद पर रहते हुए क्या गैर संवैधानिक कार्य किया? मालूम हो कि कोविंद का पांच वर्ष का राष्ट्रपति का कार्यकाल 25 जुलाई को ही पूरा किया है। इसी के साथ द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति का पद संभाल लिया है। आमतौर पर कार्यकाल पूरा होने के अवसर पर राष्ट्रपति के लिए इस तरह की टिप्पणी नहीं की जाती है, लेकिन महबूबा मुफ्ती जैसी नेता अपने चिढ़चिढ़ेपन को उजागर करने का कोई अवसर नहीं छोड़ती हैं। भारत की जो संवैधानिक व्यवस्था है, उसमें राष्ट्रपति केंद्र सरकार की सिफारिशों पर ही काम करता है। राष्ट्रपति के भाषण में भी यही कहा जाता है कि मेरी सरकार का यह निर्णय है। यही स्थिति राज्यों के राज्यपाल की होती है। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनकड़ के भले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से टकराव की स्थिति रही हो, लेकिन सरकारी भाषण में तो धनकड़ को वो ही कहना पड़ता था जो ममता का मंत्रिमंडल तय करता था। सब जानते हैं कि रामनाथ कोविंद के 2017 से 2022 तक के राष्ट्रपति कार्यकाल में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के गठबंधन वाले एनडीए की सरकार रही। स्वाभाविक है कि कोविंद को मोदी सरकार की सिफारिशों पर काम करना था। पर कोई एजेंडे की बात नहीं है, बल्कि भाजपा के लोकसभा चुनाव में जो वादे किए उन्हें पूरा करने की बात है। भाजपा ने देशवासियों से वादा किया था कि सत्ता में आने पर अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण तथा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया जाएगा। हालांकि अयोध्या में मंदिर निर्माण में संवैधानिक दृष्टि से राष्ट्रपति की कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन अनुच्छेद 370 को हटाने वाले सरकारी प्रस्ताव पर कोविंद ने राष्ट्रपति के तौर पर हस्ताक्षर किए। यह सही है कि यदि कोविंद हस्ताक्षर नहीं करते तो मोदी सरकार का निर्णय प्रभाव नहीं होता। महबूबा मुफ्ती खुद बताएं कि अनुच्छेद 370 को हटाने वाले बिल पर कोवङ्क्षद हस्ताक्षर क्यों नहीं करते? अनुच्छेद 370 को हटाना भाजपा का एजेंडा नहीं, बल्कि देश हित का फैसला है। अनुच्छेद 370 के कारण ही कश्मीरियों का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। एक ओर जहां कश्मीरियों को अपने अधिकार नहीं मिले, वहीं जम्मू कश्मीर आतंकवाद की जड़ में रहा। वर्ष 2014 से पहले तक कश्मीर में सुरक्षाबलों पर किस तरह पत्थर फेंके जाते थे, यह किसी से छिपा नहीं है। अब श्रीनगर के लाल चौक पर भी कोई भारतीय तिरंगा लेकर खड़ा हो सकता है। कश्मीर अब फिर से पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन गया है। इससे कश्मीरियों की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है। महबूबा मुफ्ती जैसे नेता कुछ भी कहें, लेकिन अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने से करोड़ों देशवासी गौरवान्वित हैं। जहां तक रामनाथ कोविंद का सवाल है तो सब जानते हैं कि वे बेहद गरीब परिवार में जन्मे। उनके गांव की झोंपड़ी भी बरसात का पानी टपकता था। क्या ऐसे व्यक्ति का राष्ट्रपति बनना कम बात है। कोविंद ने राष्ट्रपति के तौर पर न केवल संविधान का संरक्षण किया बल्कि देश को मजबूत बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महबूबा पाकिस्तान का समर्थन करती हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (27-07-2022)
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