सोनिया गांधी से पूछताछ के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में आरोपियों से पूछताछ और गिरफ्तार करने का अधिकार। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने ही कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जल्द फैसला दे।

27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मनी लॉन्ड्रिंग के आपराधिक मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आरोपियों से पूछताछ और गिरफ्तार करने का अधिकार सही है। कोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है और वर्ष 2018 में इस कानून में जो संशोधन हुए वह भी सही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ईडी  मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में राजनेताओं के साथ साथ बैंक घोटाले बाजों से भी जांच पड़ताल और गिरफ्तारी का दौर जारी रखेगी। सुप्रीम कोर्ट का यह महत्वपूर्ण फैसला तब आया है, जब नेशनल हेराल्ड की 2 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति के हस्तांतरण के प्रकरण में ईडी के अधिकारी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से पूछताछ कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि कोर्ट का फैसला आज ही आना चाहिए। गहलोत ने केंद्र सरकार पर ईडी के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 242 याचिकाएं दाखिल की गई थी। अधिकांश याचिकाएं वित्तीय घोटाला करने वाले राजनेताओं की ओर से दायर करवाई गई। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र कार्ति चिदंबरम की याचिका भी शामिल है। इन याचिकाओं में कहा गया कि प्राथमिकी दर्ज किए बिना ईडी आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाता है फिर उसकी गिरफ्तारी कर ली जाती है। गिरफ्तारी से पहले आरोप के कोई दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं करवाए जाते। याचिकाओं में ईडी द्वारा संपत्तियों को जब्त करने को भी चुनौती दी गई। मौजूदा समय में ईडी देश भर में करीब 3 हजार मामलों की जांच पड़ताल कर रही है। यह ऐसे मामले में जिन में इनकम टैक्स, सीबीआई या अन्य जांच एजेंसियों ने एफआईआर दर्ज की हे। संबंधित जांच एजेंसियों की जानकारी और जुटाए गए सबूतों के आधार पर ही ईडी आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाती है। जरूरी होने पर पूछताछ के दौरान ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाता है। इसमें आरोपियों को अदालत से अग्रिम जमानत करने का अवसर भी नहीं मिलता है। जानकार सूत्रों के देश में हुए वित्तीय घोटालों पर अंकुश लगाने के लिए ही वर्ष 2018 में कानून में संशोधन किया गया। इसी के बाद प्रवर्तन निदेशालय को अनेक अधिकार प्राप्त हुए। जिन राजनेताओं ने बेनामी संपत्तियां अर्जित कर रखी थी, उन्हें ईडी ने न केवल गिरफ्तार किया बल्कि जेल भी भिजवाया। कानून की खामियां का फायदा उठाकर ही बैंकों में बड़े पैमाने पर घोटाले हुए। बेईमानी से अर्जित संपत्ति को प्रभावशाली लोगों ने सफेद कर लिया। ईडी अब ऐसे बेईमान व्यक्तियों खास कर राजनेताओं पर नकेल कस रही है। यही वजह रही कि ईडी के अधिकारों को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ईडी की कार्यवाही जारी रहेगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-07-2022)
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