अर्पिता मुखर्जी के घरों से 50 करोड़ रुपए नकद, 6 किलो सोना, 8 फ्लैट के कागजात आदि सामग्री मिलने से ममता सरकार में फैले भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छवि तो एक जुझारू और मेहनतकश महिला की थी। भाजपा के नेताओं को राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु छत्तीसगढ़, पंजाब आदि राज्यों में क्यों नहीं पकड़ा जाता?
पश्चिम बंगाल के ताकतवर मंत्री और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी की महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के घरों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने अब तक 50 करोड़ रुपए नकद, 6 किलो सोना, 8 फ्लैट के कागजात, शिक्षक भर्ती से संबंधित सरकारी दस्तावेज आदि सामग्री जब्त कर ली है। ईडी को अभी और माल मिलने की उम्मीद है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती में एक हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप है। पार्थ चटर्जी और अर्पिता के बीच कैसी मित्रता है, यह तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही जाने, लेकिन अर्पिता के घरों से जो सरकारी दस्तावेज मिले हैं, उनसे प्रतीत होता है कि अभ्यर्थियों को अर्पिता के घर से ही शिक्षक भर्ती के नियुक्ति आदेश दिए जाते थे। नियुक्ति आदेश कैसे मिलते थे, इसका अंदाजा 50 करोड़ रुपए नकद, 6 किलो सोना और 8 फ्लैट के कागजात से लगाया जा सकता है। पूरा पश्चिम बंगाल जानता है कि पार्थ चटर्जी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे भरोसेमंद मंत्री हैं। यही वजह है कि पार्थ को पार्टी का महासचिव भी बनाया गया। जब पार्थ चटर्जी की महिला मित्र से इतनी संपत्ति मिली है तो फिर ममता सरकार में फैले भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह तो सिर्फ शिक्षा विभाग का हाल है। खान, पुलिस, राजस्व, नगरीय विकास, ग्रामीण विकास, आबकारी पीडब्ल्यूडी आदि विभागों में फैले भ्रष्टाचार की स्थिति का आकलन किया जा सकता है। पश्चिम बंगाल के गत विधानसभा चुनाव में यह आरोप लगा कि सरकार में बैठे मंत्री अफसर और टीएमसी के नेता कटमनी यानी रिश्वत वसूलते हैं, लेकिन बंगाल की जनता ने ऐसे आरोपों को दरकिनार कर ममता बनर्जी को लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनवाया। यह सही है कि कोई 13 वर्ष पहले जब ममता ने कांग्रेस छोड़ कर टीएमसी बनाई थी, तब उनकी छवि एक जुझारू और मेहनतकश महिला की थी, इसलिए उन्होंने 25 वर्षों से काबिज कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को बंगाल से उखाड़ फेंका। तब यह माना गया कि ईमानदारी देखने को मिलेगी, लेकिन अर्पिता मुखर्जी के घरों से मिली अकूत संपत्ति से पता चलता है कि अब ममता बनर्जी की छवि भी बदल गई है। यह बात किसी के भी गले नहीं उतरेगी कि शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार की जानकारी ममता बनर्जी को नहीं थी। मंत्रियों पर निगरानी के लिए ममता ने अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को नियुक्त कर रखा है। अभिषेक को सब पता है कि कौन मंत्री कितनी कट मनी वसूल रहा है। कांग्रेस की तरह टीएमसी भी परिवारवादी पार्टी है। टीएमसी में भ ममता और उनके भतीजे अभिषेक ही सर्वेसर्वा हैं। ममता और अभिषेक के बाद टीएमसी में कोई सुनवाई नहीं है। यदि ममता और भतीजे को खुश कर लिया जाए तो अर्पिता मुखर्जी के घरों पर करोड़ों रुपया नकद और सोना-चांदी रखा जा सकता है।
भाजपा नेताओं को भी पकड़ो:
देश के भ्रष्ट राजनेताओं पर इन दिनों सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों ने शिकंजा कस रखा है। भ्रष्टाचार करने वाले कई राजनेता जेल में बंद हैं तो कईयों से पूछताछ का दौर जारी है। चूंकि ऐसे भ्रष्टाचार राजनेताओं में ज्यादातर विपक्षी दलों के हैं, इसलिए आरोप लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। लेकिन कोई भी भ्रष्ट नेता अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब नहीं दे रहा है। पार्थ चटर्जी जैसे मंत्री की महिला मित्र के घरों से इतनी संपत्तियां मिल रही है, फिर भी केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लगाए जा रहे हैं। यदि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का इस्तेमाल अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए कर रही है तो फिर विपक्ष को भी मौका नहीं छोड़ना चाहिए। राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार हैं। भ्रष्टों को पकडऩे के लिए राज्यों में भी एसीबी जैसी एजेंसियां हैं। अच्छा हो कि विपक्षी दलों की सरकार भ्रष्टाचार करने वाले भाजपा नेताओं को भी पकड़े। भ्रष्टाचार करने वाले भाजपा नेताओं को पकड़ने से विपक्षी सरकारों को कोई नहीं रोक रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (28-07-2022)
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