गुजरात में अरविंद केजरीवाल की चालाकियों का मुकाबला अब अशोक गहलोत करेंगे। दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद गहलोत अहमदाबाद पहुंचे। गहलोत का पांच दिन में दूसरा दौरा।
23 अगस्त को सुबह राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद सीएम गहलोत गुजरात के अहमदाबाद पहुंच गए। पिछले पांच दिनों में गहलोत का यह दूसरा गुजरात दौरा है। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल इन दिनों गुजरात में जो राजनीतिक चालाकियां कर रहे हैं उनका मुकाबला कांग्रेस की ओर से अशोक गहलोत करेंगे। यही वजह है कि गत 16 और 17 अगस्त को गुजरात दौरे पर रहने के बाद गहलोत 23 अगस्त से फिर से गुजरात दौरे पर हैं। गुजरात में तीन माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए केजरीवाल ने पूरी ताकत गुजरात में लगा रखी है। केजरीवाल भी 22 अगस्त से गुजरात के दौरे पर हैं। केजरीवाल को लगता है कि जिस प्रकार पंजाब में कांग्रेस से सत्ता छीनी इसी प्रकार गुजरात में भाजपा से सत्ता छीन ली जाएगी। क्योंकि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह प्रदेश हैं इसलिए केजरीवाल का हमला मोदी और शाह पर ही होता है। केजरीवाल भाजपा से सत्ता छीनेगे या नहीं यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा, लेकिन केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक चालाकियों से गुजरात में आम की स्थिति को मजबूत कर लिया है। केजरीवाल का दावा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा और आम के बीच ही मुकाबला होगा। यानी केजरीवाल कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल रहे हैं। केजरीवाल की चालाकियों से कांग्रेस भी घबराई हुई है। सोनिया गांधी को लगता है कि केजरीवाल का मुकाबला अशोक गहलोत ही कर सकते हैं। कांग्रेस यह कभी नहीं चाहेंगी कि गुजरात में उसकी स्थिति तीसरे नंबर की हो। यदि गुजरात में केजरीवाल की पार्टी कांग्रेस से आगे निकल जाती है तो इसका असर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस के हाथ से कई राज्य निकल चुके हैं। पूरे देश में कांग्रेस के पास सिर्फ दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ ही बचे हैं। गहलोत गांधी परिवार के सबसे विश्वासपात्र कांग्रेसी है। सोनिया गांधी ने गहलोत को पूरी छूट देकर गुजरात भेजा है। गहलोत का भी दावा है कि गुजरात में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला है। गहलोत केजरीवाल की पार्टी की उपस्थिति को गंभीर नहीं मानते हैं। देखना होगा कि केजरीवाल की चालाकियों का मुकाबला गहलोत की जादूगरी कैसे करती है। गत विधानसभा के चुनाव में गहलोत ही प्रभारी थे। तब गुजरात की 182 में से 77 सीटें मिली थी। गुजरात में पिछले 27 वर्षों से भाजपा का शासन है। गहलोत को लगता है कि इस बार गुजरात में भाजपा से सत्ता छीन जाएगी। यहां उल्लेखनीय है कि गहलोत ने राजस्थान में अपने विश्वास पात्र रघु शर्मा को पहले ही प्रभारी नियुक्त करवा दिया था। रघु शर्मा ने गहलोत को जो फीडबैक दिया उसमें गुजरात में केजरीवाल की स्थिति को भी मजबूत बताया गया। रघु शर्मा ने बताया यदि गुजरात के मुस्लिम वोटरों पर सेंध लगाई गई तो भाजपा को फायदा होगा। रघु शर्मा के फीडबैक के बाद ही अब गहलोत ने गुजरात में कांग्रेस की कमान संभाल ही है। गहलोत को उम्मीद है कि उनकी वजह से मुसलमानों के वोट कांग्रेस को ही मिलेंगे। अशोक गहलोत और अरविंद केजरीवाल के प्रचार की एक समानता यह भी है कि दोनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कटु आलोचक हैं। दोनों के हर भाषण में मोदी ही निशाने पर होते हैं। मोदी की आलोचना गुजराती कितना बर्दाश्त करेंगे यह चुनाव परिणाम ही बताएगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (23-08-2022)
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