ग्रामीण ओलंपिक खेलों के नाम पर राजस्थान में खिलाडिय़ों के साथ मजाक। हकीकत यह है कि 2020 में हुए स्टेट गेम्स की ईनामी राशि भी खिलाडिय़ों को नहीं मिली है। खेलों के आयोजनों में सरपंचों की भी रुचि नहीं।

राजस्थान में इन दिनों सरकार की ओर से राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक का आयोजन हो रहा है। ओलंपिक का उद्घाटन 23 अगस्त को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया। ओलंपिक का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों के प्रति जागरुकता पैदा करना है। सरकार ने विजेता खिलाडिय़ों को ईनामी राशि देने की घोषणा की है। ओलंपिक खेल राजस्थान खेल परिषद की देखरेख में हो रहे हैं। वहीं अजमेर ओलंपिक एसोसिएशन के महासचिव देवेंद्र सिंह शेखावत ने ग्रामीण ओलंपिक के आयोजन को प्रदेशभर के खिलाडिय़ों के साथ मजाक बताया है। शेखावत का कहना है कि गहलोत सरकार ने 2020 में स्टेट गैम्स करवाए थे। हकीकत यह है कि दो वर्ष बाद भी खिलाडिय़ों को ईनामी राशि का भुगतान नहीं हुआ है। तब अजमेर की फुटबॉल टीम ने राजस्तरीय प्रतियोगिता जीती थी। घोषणा के मुताबिक  अजमेर टीम को 50 हजार रुपए की ईनामी राशि अभी तक नहीं मिली है। इसी प्रकार एथलिट में 100 मीटर की रेस में नेहा राठौड़ प्रथम स्थान पर रही। राठौड़ को भी घोषित 21 हजार ुपए की इनामी राशि नहीं मिली है। ऐसा प्रदेशभर में हुआ है। एक ओर सरकार ने 2020 की ईनामी राशि का भुगतान नहीं किया है तो दूसरी ओर ग्रामीण ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जा रहा है। शेखावत ने कहा कि प्रदेश भर में खेलों के संसाधन नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी खेल की प्रतियोगिताएं जबरन करवाई जा रही है। अधिकारियों पर दबाव डाल कर स्कूली बच्चों को शामिल करवाया जा रहा है। सरकार ने क्रिकेट प्रतियोगिता के लिए टीमों को किट के लिए मात्र 650 रुपए की राशि का प्रावधान किया है। इस राशि में खिलाडिय़ों के लिए बेट, पेड, स्टम्प, गेंद आदि सभी सामग्री खरीदनी है। शेखावत ने कहा कि सरकार ग्रामीण ओलंपिक के नाम पर सिर्फ मजाक कर रही है। हालांकि खेल आयोजन की जिम्मेदारी खेल मंत्रालय की होती है, लेकिन राजस्थान में ग्रामीण ओलंपिक की जिम्मेदारी खेल परिषद को दी गई है। यानी ओलंपिक खेल में प्रदेश के खेल मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है। उद्घाटन समारोह में खेल मंत्री अशोक चांदना अपनी नाराजगी जता चुके हैं। शेखावत ने बताया कि ओलंपिक खेलों के लिए सरकार ने खेल संघों की मदद भी नहीं ली है। इसलिए सरकार के खेल नियमों के अनुरूप नहीं हो रहे हैं। चूंकि ग्रामीण ओलंपिक खेल संघों की मान्यता नहीं है। इसलिए खिलाडिय़ों को मिलने वाले प्रमाण पत्र की भी कोई उपयोगिता नहीं है। राज्य सरकार भले ही कोई लाभ दे, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे प्रमाण पत्र का कोई महत्व नहीं है। सरकार में थोड़ी सी नैतिकता है तो उसे सबसे पहले 2020 की बकाया ईनामी राशि का भुगतान करना चाहिए। ग्रामीण खेलों के प्रति जनप्रतिनिधियों खास कर सरपंचों  में भी कोई रुचि नहीं है। खिलाडिय़ों से जुड़ी समस्याओं के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9740922222 पर देवेंद्र सिंह शेखावत से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-08-2022)
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