राजस्थान छत्तीसगढ़ और गुजरात कांग्रेस ने राहुल गांधी के समर्थन में प्रस्ताव पास किया तो महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक आदि राज्यों में विरोध के स्वर। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कई प्रदेशों के अध्यक्ष बदले जा सकते हैं।

राहुल गांधी ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने इसको लेकर राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात कांग्रेस कमेटियों ने प्रस्ताव पास कर दिए हैं। लेकिन वहीं महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक आदि राज्यों में विरोध के स्वर सामने आए हैं। असल में इन दिनों कांग्रेस संगठन में चुनाव प्रक्रिया चल रही है। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में वोट देने वाले प्रतिनिधियों का चुनाव हो रहा है। इसी प्रक्रिया में संबंधित प्रदेश के अध्यक्ष का चुनाव भी होता है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात में तो वोट देने वाले प्रतिनिधियों की सूची तैयार कर ली गई है और इन प्रदेशों के अध्यक्षों का निर्णय करने का अधिकार कांग्रेस हाईकमान को दे दिया गया है। लेकिन वहीं महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक आदि राज्यों में ऐसी सफलता नहीं मिल रही है। महाराष्ट्र में असंतुष्ट नेता पृथ्वीराज चौहान ने प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की बात कही। इसलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों की सूची मांगी जा रही है। लेकिन जिस प्रकार राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ में सदस्यों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई है। उसी प्रकार महाराष्ट्र में भी सूची को गुप्त रखा गया है। राजस्थ्ज्ञान में महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरुपम को चुनाव अधिकारी बनाया गया था, लेकिन ऐन वक्त पर निरुपम को हटा कर राजेंद्र कुम्पावत को चुनाव अधिकारी नियुक्त कर दिया गया। असल में गांधी परिवार नहीं चाहता कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने पर किसी राज्य में कोई विवाद हो। यही वजह है कि अब कुछ राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जा रहे हैं। कांग्रेस के मुख्य चुनाव अधिकारी मधुसूदन मिस्त्री भी नहीं चाहते हैं कि राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर कोई चुनौती खड़ी है। यही वजह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदाता सूची घोषित नहीं की जा रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राहुल गांधी से आग्रह किया है कि वे अध्यक्ष पद स्वीकार करें। हालांकि अभी तक राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनना स्वीकार नहीं किया है। अशोक गहलोत जैसे कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी के बगैर कांग्रेस का चलना मुश्किल है। आज देश को राहुल गांधी जैसा विपक्षी नेता चाहिए। सब जानते हैं कि इन दिनों गहलोत ही गांधी परिवार के मुख्य सलाहकार हैं। गहलोत के सुझाव पर ही राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा कर रहे हैं। वहीं जानकारों का मानना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा से कांग्रेस और मुश्किल में फंस गई है। राहुल गांधी पहले ही अध्यक्ष बनने से इंकार कर रहे हैं और अब यदि कांग्रेस का कोई नेता अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करता है तो राहुल गांधी की नाराजगी और बढ़ेगी। राहुल गांधी परिवारवाद के आरोपों से बचना चाहते हैं। अशोक गहलोत जैसे वफादार नेता को कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया जाए और वे अध्यक्ष बने बगैर ही कांग्रेस का नेतृत्व करते रहे। यानी राहुल गांधी कांग्रेस में किंग मेकर की भूमिका में रहना चाहते हैं। यह सही है कि कांग्रेसियों का गांधी परिवार के बगैर गुजारा नहीं हो सकता। यदि गांधी परिवार अलग हो गया तो देश में कांग्रेस का अस्तित्व ही नहीं बचेगा। मौजूदा समय में कांग्रेस के वही नेता बचे हैं जो गांधी परिवार की मेहरबानी से सांसद विधायक और राज्यों के मुख्यमंत्री हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-09-2022)
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