कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से पहले ही अशोक गहलोत ने गांधी परिवार के मुकाबले में अपना गुट बनाया। खुली बगावत के बाद क्या अब अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लायक रहे हैं? सवाल! अब सचिन पायलट की कांग्रेस में क्या भूमिका रहेगी?

गांधी परिवार का भरोसा था कि अशोक गहलोत उनके सबसे भरोसेमंद नेता हैं, इसलिए गांधी परिवार ने गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर सहमति जताई। 17 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के लिए गहलोत  को 27 सितंबर को नामांकन करना है, लेकिन अध्यक्ष बनने से पहले ही गहलोत ने कांग्रेस में गांधी परिवार के मुकाबले अपना गुट बना लिया है। 25 सितंबर को अशोक गहलोत (कांग्रेस नहीं) के शासन वाले राजस्थान के जयपुर में जो राजनीतिक संकट खड़ा हुआ, उसकी कल्पना गांधी परिवार खासकर सोनिया गांधी ने कभी नहीं की थी। गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर राजस्थान में सरकार के नए मुख्यमंत्री के बारे में राय जानने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देशों पर कांग्रेस के विधायकों की बैठक मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर रात 8 बजे बुलाई गई। चूंकि अभी सोनिया गांधी ही कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष है, इसलिए राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े और प्रदेश प्रभारी अजय माकन को ऑब्र्जवर बना कर भेजा गया। लेकिन इसे गांधी परिवार के लिए शर्मनाक स्थिति ही कहा जाएगा कि बैठक में गहलोत गुट का कोई भी विधायक नहीं आया। संभवत: कांग्रेस के इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब विधायकों ने कांग्रेस के ऑब्र्जवरों की इतनी बेईज्जती की हो। गांधी परिवार के लिए गंभीर बात तो यह है कि दिखाने के लिए अशोक गहलोत अपने सरकारी आवास पर बैठक की तैयारी करते रहे और समर्थक विधायक वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर एकत्रित होते रहे। नए मुख्यमंत्री के बारे में राय देने के बजाए गहलोत समर्थक विधायकों ने गांधी परिवार द्वारा बुलाई बैठक पर ही आपत्ति कर दी। गहलोत के विधायकों ने कहा कि नए मुख्यमंत्री के बारे में राय जानने का जो तरीका अपनाया है, उससे नाराज होकर हम सभी  विधायक पद से इस्तीफा दे रहे हैं। प्रदेश में 200 में से 106 कांग्रेस के विधायक हैं और 93 विधायकों ने गहलोत के प्रति अपना समर्थन जताया है। गांधी परिवार किसे मुख्यमंत्री बनाएगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन गहलोत को आशंका है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। पायलट को रोकने के लिए ही गहलोत ने गांधी परिवार के खिलाफ खुली बगावत कर दी है। इसे कांग्रेस में होने वाला मजाक ही कहा जाएगा कि गहलोत गुट जिन सीपी जोशी को नया सीएम बनाने की मांग कर रहा है, उन्हीं सीपी जोशी को विधानसभा अध्यक्ष की हैसियत से इस्तीफे का सामूहिक पत्र दिया जा रहा है। 
क्या गहलोत अब अध्यक्ष बनने के लायक हैं:
मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अशोक गहलोत ने जो खुली बगावत की है, उसमें सवाल उठता है कि क्या अब गहलोत कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लायक रहे हैं? सवाल यह भी है कि आखिर पिछले 40 वर्षों से गांधी परिवार ने गहलोत को क्या नहीं दिया? परसराम मदेरणा से लेकर सचिन पायलट तक का हक मार कर गहलोत  को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया और अब जब गांधी परिवार के प्रति वफादारी दिखाने की बात सामने आई तो खुली बगावत कर दी। कांग्रेस में तो यही परंपरा रही है कि विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का निर्णय हाईकमान पर ही छोड़ा जाता है, लेकिन आज इस परंपरा को गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंद अशोक गहलोत ने ही तोड़ दिया हे। सवाल उठता है कि 1998, 2008 और 2018 में गहलोत ने कांग्रेस विधायकों की राय को तवज्जो क्यों नहीं दी? असल में तब गांधी परिवार ने गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। हालांकि तब गहलोत को विधायकों का समर्थन नहीं था। लेकिन तब भी कांग्रेस विधायकों ने हाईकमान के निर्णय को स्वीकार किया। 2018 में तो हाईकमान ने गहलोत को तब सीएम बनाया, जब कांग्रेस को जीत सचिन पायलट के नेतृत्व में मिली थी। अशोक गहलोत बगावत तब कर रहे हैं, जब उनके नेतृत्व में कांग्रेस सरकार कभी रिपीट नहीं हुई। गहलोत के सीएम रहते एक बार 56 और दूसरी बार मात्र 21 सीटें मिली। 
पायलट की अब क्या भूमिका होगी?
93 कांग्रेस विधायकों की राय के बाद सवाल उठता है कि कांग्रेस में अब सचिन पायलट की क्या भूमिका होगी? पायलट को मुख्यमंत्री पद से रोकने के लिए अशोक गहलोत को जो कुछ भी करना था वह उन्होंने कर दिया है। पायलट को भले ही कांग्रेस हाईकमान का समर्थन हो, लेकिन अब पायलट का राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना संभव नहीं है। ऐसे में पायलट की भूमिका के बारे में आने वाले दिनों में पता चलेगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-09-2022)
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