जनसंख्या नियंत्रण पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के सुझाव पर अमल किया जाना चाहिए। भारत से मोहब्बत करने वाले मुसलमान भी परिवार सीमित रखने के इच्छुक।
5 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर आयोजित वार्षिक समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में समग्र जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है। उन्होंने समाज में किसी भी प्रकार के भेदभाव नहीं होने की बात कहते हुए कहा कि शमशान, पानी, मंदिर सबका होना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत में जनसंख्या की विस्फोटक स्थिति है। जानकारों की मानें तो देश की जनसंख्या 130 करोड़ के पास हो गई है। देश में जब भी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की बात होती है तो मुस्लिम समुदाय के कुछ संगठन विरोध करते हैं। पांच अक्टूबर के संघ प्रमुख के बयान का भी एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध किया है। असल में अब जनसंख्या की स्थिति किसी समुदाय से जुड़ी हुई नहीं है। यह पूरे देश की समस्या है। आप चाहे कितने भी संसाधन जुटा ले, लेकिन यदि जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं होगा तो सभी संसाधन कम पड़ जाएंगे। भारत की स्थिति कुछ ऐसी ही हो गई है। देश का कृषि उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी कई खाद्य पदार्थ आयात करने पड़े रहे हैं। जनसंख्या नियंत्रण तो किसी जाति समुदाय से नहीं होना चाहिए। बदलते हुए माहौल में अब देश से मोहब्बत करने वाले मुसलमान भी सीमित परिवार के इच्छुक हैं, इस पर सैकड़ों परिवारों ने अमल भी शुरू कर दिया है, जिन मुस्लिम परिवारों के बच्चे कान्वेंट स्कूलों में पढ़ते हैं, उनमें देखा गया है कि दो या तीन बच्चे ही होते हैं। ऐसे अनेक मुस्लिम परिवार हैं जो बच्चों की संख्या सीमित रखकर बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवा रहे हैं। देश में ऐसी अनेक जमात हैं जो जनसंख्या पर कानून बनाने को पसंद नहीं करती हैं। ऐसा नहीं की किसी मुस्लिम राष्ट्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू न हुआ हो। अनेक मुस्लिम राष्ट्रों ने भी ऐसे कानून बनाए हैं। अब समय आ गया है कि जब भारत में भी ऐसा सख्त कानून बनाया जाना चाहिए। यदि जनसंख्या पर नियंत्रण होता है तो भारत तेजी के साथ समृद्ध होगा। बढ़ती जनसंख्या की भयावह स्थिति हमने कोरोना काल में देखी है। जब एक साथ अनेक लोग संक्रमित हो गए तो अस्पतालों में सभी साधन कम पड़ गए। यहां तक कि अस्पतालों के बाहर मरीज दम तोड़ते रहे और अंदर एक पलंग पर दो या इससे भी अधिक मरीजों को भर्ती किया गया। चिकित्सा कर्मियों ने रात और दिन ड्यूटी दी, लेकिन इसके बाद भी लाखों लोगों को बचाया नहीं जा सका। हम सबने देखा कि कोरोना का प्रभाव सभी जाति धर्म के लोगों पर रहा। कोरोना ने सभी समुदाय के लोगों को प्रभावित किया। पूरे देश में यह महसूस किया कि चिकित्सा संसाधन बेहद कम है। अच्छा हो कि देश में जनसंख्या नियंत्रण का कानून समान रूप से लागू किया जाए। संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को सकारात्मक दृष्टि से लेना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (06-10-2022)
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