मंदिर के पुजारी की मौत के प्रकरण में अजमेर के ब्राह्मण और अग्रवाल समाज को समझदारी दिखाने की जरुरत। पुजारी के शव का भी सम्मान पूर्वक अंतिम संस्कार हो।
आम तौर पर यह माना जाता है कि बनिये और ब्राह्मणों की सुनने वाला कोई नहीं है। इन दोनों समुदायों को न तो आरक्षण का लाभ मिलता है और न ही राजनीति में मजबूत भागीदारी है। इसका मुख्य कारण यही है कि दोनों समुदाय एकजुट नहीं है। दोनों ही समुदायों में टांग खींचने वाले भरे पड़े हैं। यही वजह है कि दोनों ही समुदायों में अनेक संगठन और धड़े हैं। राजनीति में ऐसे अनेक नेता हैं जो अपनी जाति के बल पर सफलता प्राप्त करते रहते हैं। इसके विपरीत बनिया व ब्राह्मण समुदाय के नेताओं को राजनीति में बहुत कम सफलता मिलती है। बनिए ब्राह्मणों के ऐसे अनेक परिवार है जो आर्थिक दृष्टि से बेहद कमजोर हैं। ऐसे माहौल में ही ब्राह्मण, अग्रवाल समाज को चुनौती दे रहा है। अजमेर में श्री अग्रवाल पंचायत मारवाड़ी धड़े का एक मंदिर ऋषि घाटी पर स्थित है। सत्यनारायण भगवान के इस मंदिर में पिछले पचास वर्षों से गोविंद नारायण शर्मा पुजारी का कार्य कर रहे थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से मारवाड़ी धड़ा प्रबंध कमेटी और पुजारी के बीच विवाद हो गया। दोनों ही पक्षों के अपने अपने तर्क हैं, लेकिन विवाद तब बढ़ा जब बुजुर्ग पुजारी ने स्वयं पर केरोसिन डालकर आग लगा ली। 11 अक्टूबर की घटना के बाद 13 अक्टूबर की रात को पुजारी का अजमेर के जेएलएन अस्पताल में निधन हो गया। अब ब्राह्मण समाज आक्रोशित है। समाज की ओर से तीन मांगे रखी गई है। एक 50 लाख रुपए का मुआवजा, दो मंदिर प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष नरेंद्र डिडवानिया, प्रमोद डिडवानिया, रितेश कंदोई और सुशील की गिरफ्तारी, तीन पुजारी के पौत्र भरत शर्मा को नया पुजारी घोषित किया जाए। पुजारी गोविंद नारायण ने आत्मदाह से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा जिसमें मौत का जिम्मेदार इन चारों पदाधिकारियों को बताया। हालांकि मंदिर कमेटी के पदाधिकारी ऐसे आरोपों से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि गोविंद नारायण पूजा पाठ करने में असमर्थ थे, इसलिए सहायक के तौर पर अन्य पुजारी को नियुक्त किया गया। ब्राह्मण समाज अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है और शव का अंतिम संस्कार भी नहीं हो रहा है। इस बीच अग्रवाल समाज ने अपनी ओर से पांच लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है और मृतक पुजारी के पौत्र को पुजारी बनाने पर भी सहमति दे दी है। लेकिन इसके बावजूद भी ब्राह्मण समाज के कुछ लोग मंदिर प्रबंध कमेटी के पदाधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हुए हैं। अब सरकार से भी मुआवजे की मांग की जा रही है। ऐसे माहौल में दोनों समुदायों को समझदारी दिखाने की जरूरत है। इस मामले में पुलिस भी संयम से काम ले रही है। थानाधिकारी धर्मवीर का प्रयास है कि दोनों समुदाय आमने सामने न हो। हालांकि अभी तक भी अग्रवाल समाज में आंदोलन का रास्ता नहीं अपनाया है। ब्राह्मण समाज ने भी कई लोग चाहते हैं कि मामले को तूल न दिया जाए। इस मामले में जिला प्रशासन को भी सतर्कता के साथ काम करना चाहिए। यदि कोई मुआवजा राशि संभव हो तो उसकी घोषणा तत्काल की जाए। ब्राह्मण समुदाय के जो लोग मंदिर प्रबंध कमेटी के पदाधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े हुए हैं उन्हें इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि वयोवृद्ध पुजारी गोविंद नारायण शर्मा के शव का अंतिम संस्कार सम्मान पूर्वक हो।
S.P.MITTAL BLOGGER (14-10-2022)
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