पुष्कर में जिस एंट्री प्लाजा का लोकार्पण वसुंधरा राजे ने 6 अक्टूबर 2018 को कर दिया था, उसी का लोकार्पण अब एक नवंबर को मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे। पुष्कर में पशु मेले पर रोक लगाने वाले लोग ही सरोवर के घाटों पर सवा लाख दीपक जलाएंगे। मेले का नहीं, प्रशासनिक कैम्प का झंडारोहण करेंगे सीएम गहलोत।
अजमेर में प्रकाशित प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों के 29 अक्टूबर के अंक में छपा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक नवंबर को पुष्कर दौरे के दौरान ब्रह्मा मंदिर के एंट्री प्लाजा का भी लोकार्पण करेंगे। यह खबर राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और विधानसभा का अगला चुनाव पुष्कर से लड़ने के लिए लालायित धर्मेन्द्र राठौड़ के हवाले से छपी है। यानी एंट्री प्लाजा का लोकार्पण सीएम गहलोत करेंगे, यह बात पत्रकारों को राठौड़ ने बताई है। चूंकि राठौड़ ही सीएम गहलोत को पुष्कर ला रहे हैं, इसलिए पत्रकारों ने भी राठौड़ के बयान पर भरोसा किया है, लेकिन लोकार्पण की इस खबर पर पुष्कर और अजमेर के प्रशासनिक अधिकारियों और जागरूक लोगों को आश्चर्य हो रहा है, क्योंकि ब्रह्मा मंदिर के एंट्री प्लाजा का लोकार्पण तो 6 अक्टूबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कर दिया था। जागरूक लोगों को होगा कि तब अजमेर स्थित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभागार में आयोजित एक समारोह में सीएम राजे ने अन्य कार्यों के साथ साथ एंट्री प्लाजा के लोकार्पण की घोषणा की थी। राजे के लोकार्पण के बाद पुष्कर नगर पालिका के चार पूर्व अध्यक्षों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर एंट्री प्लाजा के निर्माण में हुए घोटाले की जांच की मांग भी की थी। इन पूर्व अध्यक्षों में दामोदर शर्मा और मंजू कुर्डिया भी शामिल रही। सवाल उठता है कि क्या अब उसी एंट्री प्लाजा का लोकार्पण सीएम गहलोत करेंगे? हालांकि अभी सीएमओ से गहलोत के पुष्कर आने का कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है, लेकिन धर्मेन्द्र राठौड़ की सीएम गहलोत से मित्रता को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारी भी मानते हैं कि गहलोत 1 नवंबर को पुष्कर आ जाएंगे। राठौड़ भी सीएम को पुष्कर बुलाकर अपना रुतबा बढ़ाना चाहते हैं। ये वही धर्मेन्द्र राठौड़ हैं जिन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनहीनता का नोटिस दे रखा है। इस नोटिस की वजह से ही राठौड़ के आरटीडीसी के अध्यक्ष पद पर तलवार लटकी हुई है। अध्यक्ष के पद से हटने से पहले राठौड़ पुष्कर में सीएम का दौरा करवाना चाहते हैं। इस बीच पुष्कर की एसडीएम सुखराम पिंडेल ने स्पष्ट कर दिया है कि श्री पुष्कर पशु मेले का ध्वजारोहण एक नवंबर को तय कार्यक्रम के मुताबिक मेला मैदान पर प्रात: 10 बजे ही होगा। पिंडेल ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो शाम को प्रशासनिक कैम्प का ध्वजारोहण करेंगे। सीएम के ध्वजारोहण का पुष्कर मेले के ध्वजारोहण से कोई संबंध नहीं है ।
घाटों पर जलेंगे दीपक:
आरटीडीसी के अध्यक्ष राठौड़ की पहल पर ही 1 नवंबर को मुख्यमंत्री गहलोत के आगमन पर पुष्कर सरोवर के घाटों पर सवा लाख दीपक जलाए जाएंगे। ये दीपक अयोध्या में दीपावली के अवसर पर जलने वाले दीपकों की तरहे ही होंगे। राठौड़ की पर्यटन निगम भले ही अयोध्या की नकल कर रहा हो, लेकिन सब जानते हैं कि इस बार पुष्कर में पशु मेले के आयोजन पर राज्य सरकार ने ही रोक लगा रखी है, इससे पशु पालन और ग्रामीण बेहद नाराज हैं। सरकार ने यह रोक गोवंश में लंपी रोग की वजह से लगाई, जबकि इन दिनों राजस्थान में लंपी रोग समाप्त हो गया है। यानी जिन लोगों ने पशुपालकों और ग्रामीणों को नाराज कर रखा है, वही लोग पुष्कर के घाटों पर दीपक जला रहे हैं। मजे की बात तो यह भी है कि पुष्कर मेले के निमंत्रण पत्र में भी श्री पुष्कर पशु मेला 2022 के नाम पर छपवाए गए हैं। सवाल उठता है कि जब मेले में पशुओं के आने पर ही रोक है तो फिर विभिन्न आयोजन पशु मेले के नाम पर क्यों किए जा रहे हैं। जाहिर है कि मेले को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई तालमेल नहीं है। परंपरा के अनुसार ध्वजारोहण भी पुष्कर पशु मेले का ही होता है। लेकिन प्रशासन अपने नजरिए से धार्मिक मेले का ध्वजारोहण भी करवा रहा है। प्रति वर्ष कार्तिक माह की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक धार्मिक दृष्टि से पुष्कर मेला होता है, लेकिन सरकारी तंत्र में इसे पशु मेला ही माना जाता है। एक और प्रशासन धार्मिक मेले का ध्वजारोहण भी करवा रहा है तो दूसरी ओर एकादशी पर निकलने वाली साधु संतों की आध्यात्मिक यात्रा के इस बार शहरी क्षेत्र से निकालने की अनुमति नहीं दी गई है। प्रशासन ने इस परंपरागत आध्यात्मिक यात्रा को बाहरी क्षेत्रों में निकालने के निर्देश दिए हैं। यात्रा के आयोजकों का कहना है कि शहरी क्षेत्र में यात्रा के निकलने पर हजारों लोग साधु संतों पर पुष्प वर्षा करते हैं, लेकिन इस बार शहरवासियों को निराश होना पड़ेगा।
एक रुपए का भी बजट नहीं:
पुष्कर के सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुष्कर आने का स्वागत है। लेकिन उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पुष्कर मेले के लिए राज्य सरकार ने एक रुपए का भी बजट नहीं दिया है। मेले के शुरू होने से पहले उन्होंने मात्र पांच लाख रुपए के बजट की मांग की थी, लेकिन सरकार की ओर से एक रुपया भी नहीं दिया गया।
कैसे जलेंगे सवा लाख दीपक:
जानकारों के अनुसार दीपावली के अवसर पर अयोध्या में जो 15 लाख दीपक जलाए गए उनमें 20 हजार से भी ज्यादा स्कूली बच्चों और राम भक्तों का सहयोग रहा। इस हिसाब से पुष्कर के घाटों पर सवा लाख दीपक जलाने के लिए कम से कम दो हजार स्कूली बच्चे चाहिए। इन दिनों स्कूलों में दीपावली अवकाश चल रहा है, ऐसे में बच्चों को भी एकत्रित करना चुनौती भरा काम होगा।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-10-2022)
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