प्रताप सिंह खाचरियावास का यह गहलोत सरकार बचाने का दंभ है। आखिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इतना अपमान क्यों सह रहे हैं? झगड़े हर पार्टी में होते हैं-गहलोत।

जयपुर शहर से विधायक बने प्रताप सिंह खाचरियावास राजस्थान के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री हैं। जुलाई 2020 से पहले तक खाचरियावास पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के कट्टर समर्थक थे। जुलाई 20 में खाचरियावास को भी जयपुर जिले के विधायकों को लेकर दिल्ली जाना था, लेकिन ऐन मौके पर खाचरियावास ने सीएम अशोक गहलोत का पल्लू पकड़ लिया। जानकारों की मानें तो खाचरियावास यदि दिल्ली चले जाते तो अशोक गहलोत मुख्यमंत्री नहीं रहते। गहलोत सरकार बचाने का दंभ ही है कि खाचरियावास अब मुख्यमंत्री के अधिकारों को चुनौती दे रहे हैं। खाचरियावास का कहना है कि आईएएस अधिकारियों की एसीआर भरने का अधिकार मुख्यमंत्री के बजाए मंत्रियों के पास होना चाहिए। 46 हजार टन गेहूं लैप्स होने का मुद्दा उठाकर खाचरियावास ने सीएम गहलोत की उपलब्धियों की पोल खोल दी। जब गहलोत समर्थक मंत्री महेश जोशी ने ऐसे बयानों का विरोध किया तो खाचरियावास ने जोशी को मुख्यमंत्री का गुलाम करार दे दिया। अब जोशी की बोलती बंद हैं। संभवत: यह पहला मौका रहा है जब किसी कैबिनेट मंत्री ने मुख्यमंत्री के अधिकारों को चुनौती दी है। खाचरियावास अपने बयानों से गहलोत को यह अहसास करवा रहे हैँ कि वे उन्हीं की बदौलत मुख्यमंत्री हैं। कोई मंत्री यदि अपने मुख्यमंत्री पर अविश्वास प्रकट कर दे तो उसे मंत्रिमंडल में रहने का अधिकार नहीं है, लेकिन दो दिन गुजर जाने के बाद भी सीएम ने खाचरियावास के बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 
अपमान क्यों सह रहे हैं?:
खाचरियावास से पहले भी कई मंत्री गहलोत सरकार के काम का पर प्रतिकूल टिप्पणी कर चुके हैं। अशोक चांदना जैसे मंत्री भी खाचरियावास की तरह अफसरशाही पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं। तीन नवंबर को ही चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने पुलिस को निकम्मा और दलाल तक कह दिया। जबकि मीणा को पता है कि गृह विभाग सीएम गहलोत के पास ही है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक बार फिर कहा कि मुख्यमंत्री पद का फैसला हाईकमान को जल्द करना चाहिए। पायलट ने गहलोत की तुलना कांग्रेस छोड़ने वाले गुलाम नबी आजाद से भी की। सवाल उठता है कि गहलोत इतना अपमान क्यों सह रहे हैं? मंत्रियों के बयान बताते हैं कि उनके मन में मुख्यमंत्री के प्रति कोई आदर और सम्मान नहीं है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान और गांधी परिवार की सहमति के बगैर गहलोत मुख्यमंत्री बने हुए हैं। क्या यह सत्ता का लालच है, जो गहलोत इतना अपमान सह रहे हैं? जबकि गहलोत की छवि तो आदर्शवादी, गांधीवादी नेता की है। 
झगड़े सब पार्टियों में:
4 नवंबर को सीएम गहलोत ने हाड़ौती के बारां में कहा कि झगड़े हर पार्टियों में होते हैं। गहलोत ने सचिन पायलट का नाम लिए बगैर कहा कि नेता को महत्वाकांक्षी होना चाहिए, लेकिन इसके लिए एप्रोच का तरीका सही हो। गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार की उपलब्धियों के कारण ही इस बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी। उन्होंने कहा कि गुजरात में कांग्रेस की सरकार बनने पर राजस्थान का मॉडल लागू किया जाएगा। गहलोत ने कहा कि अरविंद केजरीवाल महा झूठ बोलते हैं। उन्होंने गुजरात के नागरिकों से अपील की कि वे केजरीवाल के झूठे वादों के झांसे में नहीं आए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (04-11-2022)
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