6 वर्षों से जो दिल ने कहा उसे आरएएस प्रियंका जोधावत ने 365 पृष्ठों की पुस्तक में लिख दिया। सोशल मीडिया बना अभिव्यक्ति का आधार।
जो विवेकशील व्यक्ति कुछ लिखना और लोगों को पढ़ाना चाहता है उसे राजस्थान की वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और मौजूदा समय में जयपुर स्थित जवाहर कला केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत से प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रियंका भी उन विवेकशील व्यक्तियों में शामिल हैं, जो लीक से हट कर काम करना चाहती है। प्रियंका ने ऐसा किया भी। आमतौर देखा गया है कि बहुत से लोग अपनी भावनाओं को कविता या लेख में लिखते हैं, लेकिन उनके सामने अपने लिखे को दूसरों को पढ़ाने की समस्या होती है। इस समस्या का समाधान प्रियंका ने सोशल मीडिया से निकाला। प्रियंका ने अपना लेखन पहली बार 31 मार्च, 2017 को फेसबुक पर पोस्ट किया। लेखन के लिए फेसबुक पर जो दाद मिली, उससे उत्साहित होकर प्रियंका लिखती चली गई। अब प्रियंका ने अपने लेखन का संकलन एक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक का नाम है, कुछ दिल ने कहा। वाकई प्रियंका ने दिल की बात लिखी है। प्रियंका के गीत, गजल और दिल की बात पढ़ने से प्रकृति के हर मौसम का अहसास भी होता है। चूंकि प्रियंका ने अपने अहसासों को हर रोज लिखा है, इसलिए सर्दी, गर्मी, बरसात और उमस भरे माहौल का भी प्रतिबिंब होता है। प्रकृति से प्रेम करने वालों को भी यह पुस्तक पढ़नी चाहिए। युवा पीढ़ी की उमंगों को आसमान तक ले जाएगी प्रियंका के दिल की बातें। इस पुस्तक की सबसे खास बात यह है कि इसमें आम बोलचाल के शब्द हे। प्रशासनिक सेवा में रहते हुए रोजाना लिखना कोई आसान काम नहीं है। 365 पृष्ठों की पुस्तक से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रियंका ने कितना लिखा होगा। इस पुस्तक में तो दिल की खास बातें ही शामिल की गई है। अप्रकाशित सामग्री तो अभी और है। इस पुस्तक को पढ़ने और प्रियंका की योग्यता को समझने के बाद यह लिखने की जरूरत नहीं कि प्रियंका सेवानिवृत्त आईएएस डीआर जोधावत की बेटी है। इस पुस्तक का प्रकाश जयपुर स्थित बोधि प्रकाशन ने किया है। पुस्तक को मोबाइल नंबर 9829018081 या बेसिक फोन नंबर 0141-2213700 पर वार्ता कर मंगाया जा सकता है।
कुछ ऐसे कहा प्रियंका ने:
प्रियंका जोधावत ने अपने पुस्तक में कुछ ऐसा कहा है…
स्पन्दन
ये पन्ने भी मेरे हैं,
और यह रोशनाई भी मैं हूं,
फना भी मैं ही हुई,
और जिन्दा भी मैं ही हंू।
मेरे सब्र एक समीम का ही असर है..
देखो न
फिर से जिन्दगी लिख रही है,
ये जिंदगानी मेरी।
कलम का संगीत
आवाज में साज है..
साज में आवाज है,
शब्दों में स्वर है..
स्वर में शब्द है,
संगीत में एहसास है..
एहसास में संगीत है,
विश्व का संगीत है..
संगीत का विश्व है।
मृदुल स्पर्श
एक रोशनी है एहसासों की, जो राह में चलती है संग मेरे।
एक नूर है ये इबादत का, जो वजूद को थामे है मेरे।
स्वर्ण प्रकाश
कुछ जीवन लम्हों में गुज़र जाता है,
कुछ खास लम्हों से जीवन बनता है,
ये लम्हों की गिरह कितनी अजीब है
कुछ उलझी सी कुछ सुलझी हुई सी,
कभी ये उलझन लम्हा दर लम्हा सुलझती है,
जब सुलझती है तो फिर सब नया लगता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-01-2023)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511