धीरेंद्र शास्त्री की आड़ में सनातन धर्म पर हमला नहीं किया जाए। सनातन धर्म किसी की गर्दन काटने की सीख नहीं देता।
मध्यप्रदेश के बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री के करिश्मों को लेकर इन दिनों देशभर में चर्चा हो रही है। अनेक लोग धीरेंद्र के पक्ष में हैं तो कुछ लोग खिलाफ में बयानबाजी कर रहे हैं। चूंकि धीरेंद्र शास्त्री भारत की सनातन संस्कृति को आगे रखकर अपने करिश्मों का प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए आलोचकों को सनातन धर्म पर भी हमला करने का अवसर मिल गया है। धीरेंद्र शास्त्री के करिश्मों से सहमत नहीं होने वाले लोग उनकी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन धीरेंद्र की आड़ लेकर सनातन धर्म पर हमला करना उचित नहीं है। आलोचकों को यह भी समझना चाहिए कि सनातन धर्म किसी की गर्दन काटने की सीख नहीं देता है। धीरेंद्र शास्त्री की आड़ लेकर कुछ लोग जिस तरह सनातन धर्म पर हमला कर रहे हैं, वैसा हमला यदि किसी दूसरे धर्म पर किया जाता तो अब तक न जाने कितने आलोचकों की गर्दन तन से अलग हो जाती। जो टीवी चैनलों के स्टूडियो में बैठक कर सनातन धर्म पर हमला कर रहे हैं, वे स्टूडियो में ही मारे जाते। लेकिन भारत की संस्कृति से जुड़ा सनातन धर्म हमेशा सद्भाव और भाईचारे का संदेश देता है, इसलिए किसी को भी हमला करने से डर नहीं लगता है। लेकिन सनातन संस्कृति में भरोसा रखने वालों का मानना है कि ईश्वर सब का लेखा जोखा रखता है। सभी को उनके कर्मों के अनुरूप परिणाम मिलेंगे। भले ही अभी किसी की गर्दन नहीं कट रही हो, लेकिन समय आने पर उनके कृत्यों के अनुरूप फल मिलेंगे। धीरेंद्र शास्त्री किसी को पीले चावल देकर अपने धार्मिक अनुष्ठान में नहीं बुलाते हैं। कोई न आना चाहे तो न आए। 130 करोड़ देशवासियों में से कुछ हजार लोग ही धीरेंद्र के अनुष्ठान में पहुंचते हैं। भारत में ऐसे अनुष्ठान अनेक स्थानों पर होते हैं, लेकिन बागेश्वर धाम की कुछ ज्यादा ही चर्चा हो रही है। आलोचक यह भी समझ लें कि धीरेंद्र शास्त्री स्वयं को हनुमान जी का शिष्य बताते हैं। बालाजी महाराज की कृपा से ही धीरेंद्र शास्त्री करिश्मे करते हैं। करिश्मेों के बारे में तो धीरेंद्र शास्त्री और उनके अनुयायी ही जाने, लेकिन शास्त्रों में हनुमान की ताकत का जो विवरण दिया गया है, वह सभी को पता है। हनुमान जी की ताकत को चुनौती देने पर सोने की लंका को भी जलना पड़ा। सनातन संस्कृति में हनुमान जी एक ऐसे चरित्र हैं जो भक्त के रूप में प्रदर्शित हुए हैं। हो सकता है कि कुछ लोग सनातन धर्म से सहमत न हो, लेकिन फिर भी किसी भी धर्म की आलोचना करने का अधिकार नहीं है। वामपंथी विचारधारा के लोगों ने तो सनातन धर्म की आलोचना को अपने एजेंडा ही बना लिया है। धीरेंद्र शास्त्री से ज्यादा सनातन धर्म की परंपराओं पर हमला किया जा रहा है। ऐसे लोगों में दूसरे धर्म के खिलाफ एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं है। धीरेंद्र शास्त्री की आड़ में हिन्दू समुदाय में ही विवाद करवाने की कोशिश की जा रही है।
S.P.MITTAL BLOGGER (23-01-2023)
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