कश्मीर में पाकिस्तान से ही युद्ध लड़ा जा रहा है। 

कश्मीर में पाकिस्तान से ही युद्ध लड़ा जा रहा है। 
एनकाउंटर में फिर मेजर सहित चार जवान शहीद।
पत्थरबाजी भी हुई।
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पुलवामा हमले के ताकियों को ढेर करने के लिए सुरक्षा बलों ने 17 फरवरी की रात से पुलवामा के निकट ही जो कार्यवाही शुरू की उसमें 18 फरवरी को भारतीय सेना के मेजर विभूति शंकर सहित चार जवान शहीद हो गए। दावा है कि पुलवामा के हमले के मास्टर माइंड और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के अब्दुल गाजी और उसके साथी को मारा गया है। सुरक्षा बल जब आतंकियांे के साथ एनकाउंटर कर रहे थे, तब कश्मीरी युवक पत्थर फेंक रहे थे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे सुरक्षा बलों को किन परिस्थितियों में आतंकियों से मुकाबला करना पड़ रहा है। अभी 45 जवानों की शहादत के आंसू रुके भी नहीं थे कि मेजर सहित चार जवान और शहीद हो गए। पुलवामा हमले के बाद देश में लगातार मांग उठ रही है कि भारत को पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए। ऐसी मांग करने वाले लोग बताएं कि आखिर कश्मीर में क्या हो रहा है? सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि कश्मीर में पाकिस्तान से प्रशिक्षित हो कर आए युवक सक्रिय हैं। 45 जवानों की जान ले लेने के बाद भी पुलवामा क्षेत्र में आतंकी वारदातें जारी हैं। जब हम अपने ही कश्मीर में पाक आतंकियों से मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं, तब पाकिस्तान पर हमले के बाद उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। हम पाकिस्तान पर तभी हमला कर सकते हैं जब देश के अंदर व्यापक समर्थन मिले। जब पूरा देश 45 जवानों की शहादत पर आंसू बहा रहा है, तब कश्मीर में हमारे सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंके जा रहे है। जिन आतंकियों ने 45 जवानों की बली ली उन्हें कोई पछताव नहीं है। उल्टे हमारे सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंक रहे है। सुरक्षा बलों को पहले घर के अंदर बैठे पाकिस्तानियों से निपटना होगा। हमारा घर मजबूत होता तभी पाकिस्तान पर हमला किया जा सकता है। जब हमारे सुरक्षा बल अपने ही देश में आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करते हैं तो देश में ही विरोध होता है। इससे ज्यादा और क्या शर्मनाक बात हो सकती है कि सेना के मेजर स्तर के अधिकारी की जान ले ली जाती है।
नेताओं का समर्थन:
जो युवक सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंक रहे हैं उन्हें हर मौके पर राजनेताओं का समर्थन मिलता रहा है। पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला से लेकर महबूबा मुफ्ती तक पत्थर बाजों का समर्थन करती रही हैं। अफसोसनाक बात तो ये है कि ऐसे राजनेता कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ वार्ता करने का दबाव सरकार पर डालते हैं। कांग्रेस के नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू तो अब भी पाकिस्तान के हिमायती बने हुए हैं। जब हमारे देश के अंदर ऐसे हालात हैं तब पाकिस्तान पर हमला कैसे किया जा सकता है। यह माना कि सैन्य दृष्टि से भारत के मुकाबले पाकिस्तान कमजोर है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार भी है। यदि  भारत में रह रहे पाकिस्तानी समर्थकों को ठीक कर लिया जाए तो हम यह युद्ध आसानी से जीत सकते हैं।
एस.पी.मित्तल) (18-02-19)
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