वकील अभिषेक मनु सिंघवी की फीस तो सरकार के खजाने से ही जाएगी। जो फीस वहन करने की क्षमता रखता है, वह कोई भी वकील ला सकता है, लेकिन केस तथ्य वही रहेंगे- सीजे पंकज मित्थल। स्पीकर जोशी ने कहा था-मेरा फैसला देश में मिसाल बनेगा।

राजस्थान में कांग्रेस के 81 विधायकों के इस्तीफे के प्रकरण में अब विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की ओर से कांग्रेस के नेता और देश के जाने माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे हैं। सिंघवी की व्यस्तता के कारण ही 30 जनवरी को प्रकरण की सुनवाई विलंब से हुई। हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट के सीजे पंकज मित्थल ने कहा भी कि जो फीस वहन करने की क्षमता रखता है, वह कोई भी वकील कर सकता है। लेकिन इससे केस के तथ्यों पर कोई फर्क नहीं पड़ता। तथ्य वही रहते हैं। सीजे ने यह टिप्पणी तब की जब 30 जनवरी को अध्यक्ष जोशी की ओर से सुनवाई लंच बाद रखने का आग्रह किया गया। सिंघवी को दिल्ली से जयपुर आना था। सिंघवी देश के प्रमुख महंगे वकीलों में से एक हैं और वे हर उपस्थिति की फीस लेते हैं। चाहे अदालत में सुनवाई हो या नहीं। सिंघवी भले ही विधानसभा अध्यक्ष जोशी के वकील हों, लेकिन सिंघवी की फीस तो राज्य सरकार के खजाने से ही जाएगी, क्योंकि विधानसभा का सारा खर्च सरकार ही वहन करती है। स्पीकर जोशी की ओर से महंगे वकील सिंघवी के आने से प्रतीत होता है कि राजस्थान में कांग्रेस के विधायकों का इस्तीफा प्रकरण कानूनी पेचीदगियों में फंस गया है। गत वर्ष 25 सितंबर को जब कांग्रेस के 81 विधायकों ने इस्तीफे का सामूहिक पत्र विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंपा था, तब जोशी ने कहा था कि मैं ऐसा फैसला दूंगा जो देश के संसदीय इतिहास में मिसाल बनेगा। लेकिन अब हाईकोर्ट में विधानसभा के सचिव की ओर से कहा गया है कि अध्यक्ष ने इस्तीफे अस्वीकार कर दिए हैं, क्योंकि 25 सितंबर को विधायकों ने अलग अलग पेश होकर इस्तीफे नहीं दिए। सभी विधायकों ने इस्तीफे शांति धारीवाल, महेश जोशी, महेंद्र चौधरी, संयम लोढ़ा, रामलाल जाट और रफीक खान ने आकर दिए। यह भी कहा गया कि विधायकों ने इस्तीफे स्वेच्छा से नहीं दिए थे। भाजपा के नेता राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर अब इस मामले में 13 फरवरी को सुनवाई होगी। स्पीकार जोशी का फैसला, कब मिसाल बनेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इस्तीफा प्रकरण में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की महत्वाकांक्षा को उजागर कर रहा है। सब जानते हैं कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई थी, लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने मंत्री शांति धारीवाल के सरकारी निवास पर समानांतर बैठक कर 81 विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए। तब यह कहा गया कि कांग्रेस के विधायक अशोक गहलोत के अलावा किसी और को मुख्यमंत्री स्वीकार नहीं करेंगे। अब जिस तरीके से विधानसभा सचिव का जवाब सामने आ रहा है, उससे प्रतीत होता है कि इस्तीफे सिर्फ अशोक गहलोत की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए दिलवाए गए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (31-01-2023)
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