मल्लिकार्जुन खडग़े 100 दिन बाद भी राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता पद पर कायम। तो फिर गत वर्ष सितंबर में अशोक गहलोत को राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से हटाने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई?
मल्लिकार्जुन खडग़े को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बने 100 दिन से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक भी राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल का नेता पद नहीं छोड़ा है। यानी अध्यक्ष बनने के बाद भी खडग़े संसदीय दल के नेता पद पर भी कायम है। यानी कांग्रेस में एक व्यक्ति के पास दो महत्वपूर्ण पद है। कांग्रेस संसदीय दल का नेता होने के काम खडग़े को केबिनेट मंत्री की सभी सुविधा मिली हुई है। खडग़े के पास दोनों पद होने पर ही अब कांग्रेस में सवाल उठने लगे हैं कि गत वर्ष सितंबर में अशोक गहलोत को राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद से हटाने की जल्दबाजी क्यों दिखाई गई? एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत की दुहाई देकर ही अशोक गहलोत से मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए कहा गया था। उस समय गहलोत ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले थे। गहलोत के नामांकन से पहले ही 25 सितंबर को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुला ली। ताकि नए मुख्यमंत्री के चयन का अधिकार कांग्रेस हाईकमान को दिया जा सके। हाईकमान के रुख को देखते हुए ही स्वयं अशोक गहलोत को बगावत करनी पड़ी। गहलोत ने अपनी भरोसेमंद मंत्री शांति धारीवाल के घर पर कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाई और 91 विधायकों का सामूहिक इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को दिलवा दिया। इससे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित बैठक धरी रह गई। अब गहलोत समर्थकों का सवाल है कि जब खडग़े को दो पदों पर रहने की छूट दी जा सकती है तो फिर ऐसी छूट गहलोत को क्यों नहीं दी गई? जबकि खडग़े के मुकाबले में गहलोत ज्यादा वफादार हैं। यदि सितंबर में जल्दबाजी नहीं दिखाई जाती तो अशोक गहलोत को बगावत भी नहीं करनी पड़ती। जानकारों की माने तो अशोक गहलोत ने भले ही मुख्यमंत्री का पद बरकरार रखा हो, लेकिन गांधी परिवार से पहले वाले संबंध नहीं रहे हैं। संबंधों में तल्खी के चलते ही राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा के समापन समारोह में भी अशोक गहलोत श्रीनगर नहीं पहुंचे। हालांकि समारोह में नहीं जाने का कारण गहलोत का स्वास्थ्य खराब होना बताया गया, लेकिन दो दिन बाद ही गहलोत ने विधानसभा की कार्यवाही में भाग लिया और राज्यपाल के अभिभाषण पर विस्तृत जवाब भी दिया। गहलोत का कहना रहा कि डॉक्टरों ने बोलने के लिए माना किया है, लेकिन राजस्थान के हित में मुझे बीमारी में भी बोलना पड़ रहा है। गहलोत के इस कथन से उनके खराब स्वास्थ्य का अंदाजा लगाया जा सकता है।
S.P.MITTAL BLOGGER (08-02-2023)
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