तो राजस्थान में डॉक्टरों के खिलाफ जनता के आक्रोश का इंतजार है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को। मुख्यमंत्री फिर दिल्ली पहुंचे।

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में राजस्थान भर के प्राइवेट अस्पताल गत 15 मार्च से बंद है और डॉक्टर्स सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। प्राइवेट डॉक्टरों को सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों का भी समर्थन है, इसलिए सरकारी डॉक्टरों ने भी मरीजों को घरों पर देखना बंद कर दिया है। 75 प्रतिशत मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में ही होता है। यही वजह है कि राजस्थान में इन दिनों मरीजों का बुरा हाल है। एक और प्रदेशभर के लोग परेशान है तो वहीं सरकार की ओर से दो टूक शब्दों में कहा गया है कि विधानसभा में स्वीकृत राइट टू हेल्थ बिल को हर हाल  में लागू किया जाएगा। 26 मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से अखबारों में विज्ञापन के तौर पर पूरे पृष्ठ पर अपील जारी की गई है। हालांकि यह डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील है, लेकिन इसका मकसद यह भी है कि राइट टू हेल्थ बिल आम लोगों के लिए कितना जरूरी है। सीएम गहलोत की अपील में ऐसा एक भी शब्द नहीं है जो हड़ताल खत्म करने के लिए डॉक्टरों को प्रेरित करे। प्राइवेट अस्पतालों के बंद होने से प्रदेशभर में अप्रिय घटनाओं के समाचार भी आने लगे हैं। ऐसे समाचारों से जनता में नाराजगी देखी गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि सीएम गहलोत अब डॉक्टरों के खिलाफ जनता के आक्रोश का इंतजार कर रहे हैं। यदि जनता की नाराजगी सड़कों पर आएगी तो डॉक्टरों की हड़ताल पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, लेकिन वहीं डॉक्टरों का कहना है कि राइट टू हेल्थ बिल लागू होने के बाद राजस्थान में प्राइवेट अस्पताल चल ही नहीं पाएंगे। सरकार का मकसद प्राइवेट अस्पतालों में भी सरकारी अस्पतालों की तरह इलाज करवाना है। ऐसे में प्राइवेट अस्पताल चल नहीं पाएंगे। प्राइवेट अस्पतालों के बंद होने से सरकारी अस्पतालों में जबरदस्त भीड़ हो गई है, ऐसे में सरकारी अस्पतालों में भी इलाज नहीं हो पा रहा है। इस इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी 27 मार्च को देशभर में ब्लैक डे मनाने की घोषणा की है। 27 मार्च को देशभर के डॉक्टर राजस्थान के डॉक्टरों के समर्थन में काली पट्टी बांध कर विरोध जाएंगे। यानी अब राजस्थान के डॉक्टरों का आंदोलन देशव्यापी हो रहा है। डॉक्टरों और सरकार की खींचतान का खामियाजा प्रदेश के मरीजों को उठाना पड़ रहा है। जिन मरीजों को दर्द की पीड़ा है, उनकी परेशानी बहुत है। सरकार को मरीजों की पीड़ा को देखते हुए डॉक्टरों की हड़ताल खत्म करवाने में प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए। 
गहलोत फिर दिल्ली में:
26 मार्च को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली में रहे। दिल्ली में राजघाट के बाहर हुए कांग्रेस के सत्याग्रह में गहलोत ने भाग लिया। गहलोत 25 मार्च को भी दिल्ली में ही थे। दिन में राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित रहे और शाम को वापस जयपुर लौट आए। लेकिन राजनीतिक कारणों से गहलोत को 26 मार्च को फिर दिल्ली जाना पड़ा। हालांकि डॉक्टरों की हड़ताल को खत्म करवाने के लिए गहलोत ने मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा को आवश्यक निर्देश दिए है। सीएम के निर्देश के बाद मुख्य सचिव अब डॉक्टरों से वार्ता करने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन राइट टू हेल्थ बिल को वापस या प्रावधानों में संशोधन करने को लेकर सरकार की ओर से कोई आश्वासन नहीं दिया गया है। डॉक्टरों का स्पष्ट कहना है कि जब तक बिल वापस नहीं होता तब तक सरकार से वार्ता का कोई मतलब नहीं है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-03-2023)
Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9929383123To Contact- 9829071511

Print Friendly, PDF & Email

You may also like...