राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल फिलहाल समाप्त होने के आसार नहीं। प्राइवेट डॉक्टरों के भरोसे नहीं है सरकार-स्वास्थ्य मंत्री। नए जिलों की घोषणाओं को भुनाने के लिए सीएम गहलोत संभाग स्तरीय दौरों पर। वहीं डॉक्टरों ने भी रणनीति बनाई। डॉ. समित शर्मा का उपयोग क्यों नहीं करते सीएम गहलोत।
27 मार्च को जयपुर में विशाल प्रदर्शन के बाद प्राइवेट डॉक्टरों ने घोषणा की थी कि अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ही वार्ता की जाएगी। राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे डॉक्टरों की इस घोषणा के बाद सीएम गहलोत ने 28 मार्च को दोबारा से अखबारों में पूरे पृष्ठ का विज्ञापन छपवा कर बिल को जनता के हित में बताया और 28 मार्च को संभाग स्तरीय सम्मेलनों में भाग लेने के लिए जयपुर से रवाना हो गए। तय कार्यक्रम के अनुसार सीएम गहलोत 28 व 29 मार्च को बीकानेर और जोधपुर संभाग के दौरे पर रहेंगे। 30 मार्च को अहमदाबाद जाने और 31 मार्च को अजमेर संभाग स्तरीय सम्मेलन में भाग लेने का प्रोग्राम है। यानी हड़ताली डॉक्टरों से वार्ता करने में सीएम गहलोत की फिलहाल कोई रुचि नहीं है। जानकार सूत्रों के अनुसार विधानसभा में जो नए 19 जिले बनाने की घोषणा की गई, उसे राजनीतिक दृष्टि से भुनाने के लिए ही कांग्रेस की ओर से संभाग स्तरीय सम्मेलन हो रहे हैं। इन सम्मेलनों में सीएम के साथ प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी मौजूद रहेंगे। प्राइवेट डॉक्टरों की पूर्ण हड़ताल और सरकारी डॉक्टरों के आंशिक कार्य बहिष्कार की वजह से प्रदेश भर में त्राहि त्राहि मची हुई है। लेकिन सरकार की प्राथमिकता में मरीजों की परेशानी शामिल नहीं है। डॉक्टरों को उम्मीद थी कि 27 मार्च के शक्ति प्रदर्शन से सरकार पर दबाव पड़ेगा, लेकिन सीएम के संभाग स्तरीय दौरे पर जाने से प्रतीत होता है कि डॉक्टरों के शक्ति प्रदर्शन का सरकार पर कोई असर नहीं है। वहीं डॉक्टरों ने भी अब लंबी लड़ाई की रणनीति बना ली है। स्पष्ट कहा गया है कि जब तक सरकार राइट टू हेल्थ बिल को वापस नहीं लेती, तब तक निजी अस्पतालों में तालाबंदी रहेगी। 75 प्रतिशत मरीजों का इलाज निजी क्षेत्र में ही होता है, ऐसे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि यह बिलज जनता के हित में है, जबकि इस बिल से सरकारी डॉक्टर ही सहमत नहीं है। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी बिल के विरोध में रोजाना दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। सरकारी डॉक्टरों ने अपने घरों पर मरीजों को देखना बंद कर दिया है। प्रदेश में 15 मार्च से ही चिकित्सा सुविधाओं का बुरा हाल है। मरीज चिकित्सा के अभाव में बुरी तरह परेशान है। सरकारी अस्पतालों के बाहर लंबी कतारें हैं, लेकिन किसी भी पक्ष को मरीजों की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है। सरकार तो जिला बनाने के जश्न में ऐसी मस्त है कि वार्ता तक तैयार नहीं है, जबकि डॉक्टरों का कहना है कि राइट टू हेल्थ बिल लागू होता है तो निजी अस्पतालों पर ताले लग जाएंगे।
डॉक्टरों के भरोसे नहीं:
28 मार्च को एक बार फिर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने स्पष्ट किया है कि राइट टू हेल्थ बिल किसी भी कीमत पर वापस नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार प्राइवेट अस्पतालों के भरोसे नहीं है। सरकार अब अपने अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं ताकि प्राइवेट अस्पतालों की हड़ताल के दौरान किसी भी मरीज को परेशानी नहीं हो। उन्होंने कहा कि यदि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी कार्य बहिष्कार करते हैं तो उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
जयपुर प्रदर्शन में सवा लाख डॉक्टर जुटे:
27 मार्च को जयपुर में डॉक्टरों का जो प्रदर्शन हुआ उसमें प्रदेश भर से करीब सवा लाख डॉक्टर्स जुटे। डॉक्टरों ने इस शक्ति प्रदर्शन को महत्वपूर्ण माना है और कहा है कि सरकार को अब निजी अस्पतालों के कार्य बहिष्कार को गंभीरता से लेना चाहिए। यह पहला अवसर है जब निजी अस्पतालों के डॉक्टर इतनी बड़ी संख्या में एकजुट हुए हैं।
डॉ. समित शर्मा का उपयोग क्यों नहीं:
राज्य के सामाजिक एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव डॉ. समित शर्मा उन आईएएस में शामिल है, जिनकी वजह से अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में प्रदेश भर में नि:शुल्क दवा योजना शुरू हुई। प्रदेश के चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यदि प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स और सरकार के बीच चल रही खींचतान में डॉक्टर शर्मा का उपयोग किया जाए तो सकारात्मक परिणाम सामने आ सकता है। समित शर्मा के पास पीएचडी वाली डॉक्टर की डिग्री नहीं है, बल्कि उनके पास एमबीबीएस की असली डिग्री है। डॉ.शर्मा प्राइवेट डॉक्टरों की समस्याओं से भलीभांति परिचित है। अब जब प्रदेश के लाखों मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जब डौ. समित शर्मा जैसे डॉक्टर ही मामले को समझा सकते हैं। चिकित्सा मंत्री मीणा के बयान तो डॉक्टरों भडकाने वाले हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (28-03-2023)
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