महाराणा प्रताप के वंशज डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने मध्यप्रदेश सरकार के समारोह में भाग लिया। क्योंकि प्रताप जयंती पर राजस्थान सरकार की ओर से कोई बड़ा आयोजन नहीं हुआ। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उदयपुर में राजपूत सहित विभिन्न समाजों के कार्यक्रमों में भाग लिया।

22 मई को देशभर में महाराणा प्रताप जयंती उत्साह से मनाई गई। राजस्थान का उदयपुर राजघराना महाराणा प्रताप के वंश से है। यही वजह रही कि राजस्थान के प्रमुख सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने 22 मई को सुबह उदयपुर स्थित मोती मंगरी पर महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के स्मारक पर अनुष्ठान किया और फिर राज परिवार की परंपरा के अनुरूप 483 किलो का प्रसाद अर्पित किया। 22 मई को महाराणा प्रताप की 483 वीं जयंती रही। मोती मगरी के इस धार्मिक अनुष्ठान का वीडियो मेरे फेसबुक पेज   www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। सब जानते हैं कि राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के महाराणा प्रताप ने कभी भी मुगल बादशाह जलालुद्दीन अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। प्रताप को भले ही जंगल में घास की रोटियां खानी पड़ी लेकि प्रताप ने अपने स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं किया। यूं तो पूरे देश में महाराणा प्रताप का नाम गर्व और सम्मान के साथ लिया जाता है, लेकिन राजस्थान में प्रताप जयंती का विशेष महत्व है। यह बात अलग है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की ओर से प्रदेश में कोई बड़ा आयोजन प्रताप जयंती पर नहीं किया गया, जबकि पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में प्रताप जयंती पर भव्य आयोजन किया गया। राजधानी भोपाल के परेड ग्राउंड पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता महाराणा प्रताप के वंशज डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने की। जबकि मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रहे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समारोह के विशिष्ट अतिथि रहे। डॉ. लक्ष्यराज सिंह और शिवराज सिंह ने महाराणा प्रताप की वीरता के बारे में युवा पीढ़ी को बताया। राजस्थान में गहलोत सरकार की ओर से अधिकांश महापुरुषों की जयंती या पुण्यतिथि पर अखबारों में विज्ञापन दिए जाते हैं और भव्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। अनेक कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाग लेते हैं, लेकिन 22 मई को महाराणा प्रताप की जयंती पर सरकार की ओर से बड़ा कार्यक्रम नहीं हुआ। यही वजह रही कि प्रताप के वंशजों को भी मध्यप्रदेश के कार्यक्रम में जाना पड़ा। यदि राजस्थान सरकार की कोई कार्यक्रम करती तो प्रताप के वंशज की पहली प्राथमिकता राजस्थान को देते।  आखिर राजस्थान का मेवाड़ क्षेत्र प्रताप की कर्मस्थली रहा है। भोपाल के परेड ग्राउंड में जो समारोह हुआ उसमें महारानी पद्मावती की प्रतिमा का लोकार्पण भी किया गया। राजनीतिक क्षेत्रों में इस बात की चर्चा है कि जिस राजस्थान में प्रताप जयंती का भव्य समारोह होना चाहिए था, वहां क्यों नहीं हुआ? जबकि मध्यप्रदेश में महाराणा प्रताप के वंशज को बुलाकर भव्य समारोह किया गया।

मुख्यमंत्री उदयपुर में
22 मई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उदयपुर के दौरे पर रहे। गहलोत ने जैन समाज, नारायण सेवा संस्थान, सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित समारोह में तो भाग लिया ही साथ ही मेवाड़ के क्षत्रिय समुदाय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। क्षत्रिय समाज का यह कार्यक्रम प्रताप जयंती पर ही था। सीएम ने भरोसा दिलाया कि राजपूत समाज की समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (22-05-2023)
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