तो क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की धमकी से डर जाएंगे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी? पेपर लीक के मामलों में ईडी ने प्रदेशभर में छापा मार कार्यवाही की है। सरकार में बैठे लोग भी चपेट में आ सकते हैं। ईडी तो कांग्रेस नेता सचिन पायलट की मांग को ही पूरा कर रही है। मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आरोप भी गंभीर हैं। पांच लाख शिया मुसलमानों की मांगों को पूरा करें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, क्योंकि कांग्रेस को ही वोट देते हैं।

राजस्थान में पिछले चार सालों में लगभग 8 भर्ती परीक्षाओं के पेपर आउट हुए हैं। इससे प्रदेश के करोड़ों युवाओं को निराशा हाथ लगी है। बहुचर्चित वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने पर परीक्षा करवाने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा तक को गिरफ्तार किया गया है। इस गंभीर प्रकरण में पांच जून को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रदेश भर में छापामार कार्यवाही की। ईडी के पास सबूत है कि बड़े पैमाने पर नकदी का लेनदेन हुआ है और इसमें सरकार में बैठे लोग भी शामिल हैं। ईडी की छापेमारी कार्यवाही पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नाराजगी जताई है। गहलोत का कहना है कि राज्य सरकार की जांच एजेंसियां जब प्रभावी कार्यवाही कर रही है, तब ईडी को घुसने की क्या जरूरत है। जांच में लगे ईडी के अधिकारियों से सीएम गहलोत ने कहा कि वे कान खोल कर सुन लें, ऊपर के दबाव में कार्यवाही नहीं करें। गहलोत ने कहा कि सीबीआई इनकम टैक्स, ईडी की विश्वसनीयता बनी रहनी चाहिए। गहलोत के बयान से साफ जाहिर है कि वे ईडी की जांच पड़ताल से बेहद खफा हैं। पहला सवाल तो यह है कि जब उन्हें कोई डर नहीं है तो फिर ईडी की जांच से क्यों घबरा रहे हैं? दूसरा क्या सीएम की ऐसी धमकियों से ईडी के अधिकारी डर जाएंगे? जब सीएम गहलोत भी पेपर लीक के गुनाहगारों को सजा दिलाना चाहते हैं, तब ईडी की जांच पर एतराज क्यों किया जा रहा है? यदि ईडी की जांच में पेपर लीक के और गुनहगारों के चेहरे उजागर होते हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। यह अच्छी बात है कि गहलोत के अधीन काम करने वाले एसओजी ने भर्ती आयोग के सदस्य तक को गिरफ्तार किया है। अब यदि सदस्य कटारा को संरक्षण देने वालों तक ईडी पहुंचती है तो इस पर एतराज क्यों? वैसे भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने खुद पेपर लीक की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रखी है। पायलट भी गहलोत सरकार की अब तक की जांच से संतुष्ट नहीं है। देखा जाए तो ईडी तो पायलट की मांग को ही पूरा कर रही है। 
मंत्री खाचरियावास के आरोप भी गंभीर:
मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा फूट पैकेट योजना खाद्य विभाग से छीनकर सहकारिता विभाग को देने पर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने अपनी ही सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। खाचरियावास ने कहा कि वित्त विभाग के उन अधिकारियों का पता लगाया जाना चाहिए उन्होंने सहकारिता विभाग को उपकृत किया है। खाचरियावास ने कहा कि अन्नपूर्णा फूट पैकेट का वितरण विधानसभा के नियमों के मुताबिक खाद्य विभाग को ही करना था। लेकिन अफसरों ने एक हजार करोड़ रुपए वाली इस योजना को सहकारिता विभाग को दे दिया। इधर मुख्यमंत्री ने फूड पैकेट जरूरतमंद लोगों को देने की घोषणा कर दी है और उधर सहकारिता विभाग ने टेंडर तक जारी नहीं किए हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि वित्त विभाग भी सीएम गहलोत के पास ही है। वित्त विभाग के अधिकारी वो ही करते हैं, जो मुख्यमंत्री चाहते हैं। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप किसी भी अधिकारी की इतनी हिम्मत नहीं एक हजार करोड़ रुपए वाली योजना का विभाग बदल दिया जाए। हालांकि खाचरियावास ने सीधे तौर पर सीएम गहलोत पर कोई आरोप नहीं लगाया, लेकिन जो आरोप लगाए गए हैं, उनका जवाब मुख्यमंत्री को ही देना है। 
शियाओं की मांग:
शिया समुदाय के प्रदेश सचिव सैयद आसिफ अली ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को एक पत्र लिखकर मांग की है कि राजस्थान में शिया विकास बोर्ड का गठन किया जाए। साथ ही शिया समुदाय के प्रतिनिधियों को कांग्रेस संगठन में प्रदेश जिला और ब्लॉक स्तर पर पदाधिकारी नियुक्त किया जाए। आसिफ अली ने पत्र में बताया है कि राजस्थान में पांच लाख से ज्यादा शिया समुदाय के मतदाता है। ये मतदाता हमेशा ही कांग्रेस के पक्ष में वोट देते हैं। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि समाज के लोगों को सत्ता और संगठन से दूर रखा जाता है। पत्र में कहा गया कि शिया समुदाय को अब उचित सम्मान मिलना ही चाहिए। शिया समुदाय से जुड़ी अन्य मांगों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 8118866337 पर आसिफ अली से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-06-2023)
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